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    April 22, 2025

    Amarnath Yatra: कब से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा? क्या है नियम-कानून, परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर…पढ़ें पूरी डिटेल्स।

    1 min read
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    अमरनाथ यात्रा को लेकर प्रशासन पूरी तरीके से कमर कसे हुए हुए है. जम्मू से लेकर कश्मीर तक कड़े सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. 60 हजार सुरक्षाबल होंगे तैनात. जानें क्या है यात्रियों के लिए नियम॒-कानून, पढ़ें पूरी डिटेल्स.

    बाबा अमरनाथ की तीर्थयात्रा 29 जून से शुरू होनी वाली है, यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन कोई भी कोर कसर छोड़ना नहीं चाहता. जम्मू के रियासी इलाके में बीते रविवार आतंकियों ने शिवखोड़ी (Shivkhori Terror Attack) से लौट रही एक बस को जिस तरह निशाना बनाया है इसके बाद तो प्रशासन पूरी तरह चौंकन्ना हो गया है.

    अमरनाथ यात्रियों के लिए बहुस्तरीय सुरक्षा
    भारतीय सेना ने अमरनाथ यात्रा के लिए बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है, जिसमें नाइट विजन डिवाइस, स्नाइपर्स, ड्रोन सिस्टम और यात्रा के दोनों मार्गों, पहलगाम और बालटाल पर बम निरोधक दस्तों के जरिए रात में भी निगरानी होगी.

    सेना के साथ और सुरक्षा में कौन होगा शामिल
    अमरनाथ यात्रियों के लिए सेना, पुलिस, बीएसएफ एसएसबी और सीआरपीएफ सभी एक साथ मिलकर सुरक्षा करेंगे. जम्मू से लेकर पवित्र गुफा तक दोनों रास्तों पर कड़े सुरक्षा के प्रबंध किये गए है. बालटाल और पहलगाम दोनों रास्तों पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे.सुरक्षा का अधिकतर जिम्मा सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस को सौंपा गया है.

    30,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती
    सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने अमरनाथ यात्रा के लिए बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीआरपीएफ 30,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियोंको तैनात किया है. इसके इलावा जम्मू कश्मीर पुलिस, बीएसएफ और एसएसबी के जवानों की तैनाती होगी. एक अनुमान के तहत जम्मू से लेकर गुफा तक, पहलगाम और बालटाल दोनों रास्तों पर करीब 60 हज़ार सुरक्षाबल तैनात रहेंगे.

    रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन नंबर की टैगिंग
    यात्रा को सुरक्षित और सरल करने के लिए नवीनतम तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन का भी उपयोग किया जाएगा. जितने भी यात्री आएंगे उनकी टैगिंग होगी. जिसे यात्रियों की पोज़िशन पता रहेगी, अमरनाथ यात्रा के लिए आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन नंबर) प्रदान किया जाएगा. इससे अधिकारियों को तीर्थयात्रियों के स्थान की निगरानी करने में मदद मिलेगी, जब वे अपने बेस कैंप से तीर्थयात्रा पर निकलेगे. इसके इलावा यूएवी, सीसीटीवी कैमरा का इस्तेमाल भी होगा. हवाई निगरानी और नाइट विजन उपकरणों के साथ 24×7 निगरानी योजना लागू की गई है. सेना और बीएसएफ ऊंचे इलाकों में एरिया डोमिनेशन पर रहेगी.जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के साथ एसएसबी को जम्मू से कश्मीर राजमार्ग और पवित्र गुफा के दोनों मार्गों पर तैनात किया गया है. बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में नाइट विजन डिवाइस, स्नाइपर, ड्रोन सिस्टम, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वॉड, काउंटर आईईडी उपकरण, वाहन मरम्मत और रिकवरी टीमों के माध्यम से यात्रा काफिले की सुचारु आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए शामिल है.

    डिजिटल हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर
    इसके इलावा हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर में लगभग 20 सरकारी विभागों के लगभग 60 लोग दिन-रात उपस्थित रहे गए. हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर में काम करने वाले विभागों में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य, पीएचई, पीडीडी, दूरसंचार और कई अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं. बेस कैंप से लेकर गुफा तक के सभी मार्गों पर लगभग 17 पीटीजेड हाई डेफिनिशन 360-डिग्री व्यू कैमरे लगाए गए हैं.

    बालटाल और चंदनवारी बेस कैंप दोनों से रणनीति रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर दर्जनों स्थिर कैमरे लगाए गए हैं जिसकी सारी लाइव फीड कॉमेड कंट्रोल सेंटर मैं लगातार आती रहेगी. डिजिटल हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर चिकित्सा आपात स्थितियों, संभावित आपदा स्थितियों की पहचान करने, लापता व्यक्तियों का पता लगाने और उनकी वापसी में सहायता करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

    मौसम के लिए भी तैयारी
    सुरक्षा की चुनौती के साथ मौसम भी एक बड़ी चुनौती बन सामने खड़ा हुआ हें, जिसके लिए मौसम विभाग ने “कस्टमाइज्ड वेदर अपडेट” सिस्टम लगाया है, जो यात्रिओं को मौसम के बारे में खबर देते रहेगा. यात्रियों को यह हर तीन घंटों के बीच उपडेट देता रहेगा और इसका सीधा प्रसारण हर यात्री कैंप में होगा. इस वर्ष पिछले वर्षों के मुक़ाबले में कई ज़्यादा यह आटोमैटिक वैदर सिस्टम लगाए गए है.मौसम को देखते सुरक्षाबलों और प्रशासन ने भी यात्रा के दौरान किसी आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी की है. सेना, जम्मू कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ की डिसास्टर मैनेजमेंट टीमों के इलावा स्टेट डिजास्टर मैनजेमेंट की दर्जनों टीमों को यात्रा के दोनों रास्तों पर तैनात किया गया है.

    अमरनाथ श्राइन बोर्ड के नियम
    १. अमरनाथ श्राइन बोर्ड के आदेश मुताबिक 15000 रजिस्टर्ड यात्रियों को हर दिन दोनों रास्तों से गुफा तक जाने की अनुमति होगी.
    २. पैदल यात्रा के अलावा हेलीकॉप्टर सर्विस की भी सुविधा दोनों मार्गों से उपलब्ध होगी.
    ३. सुबह क़रीब 9 बजे से पहले किसी यात्री गाड़ी को कैम्प से निकलने और हाईवे पर चलने की अनुमति नहीं होगी.
    ४. शाम को 5 बजे के बाद किसी भी यात्री या पर्यटक गाड़ी को हाईवे पर चलने की अनुमति नहीं होगी.
    ५. अगर इस कट आउट टाइम के बाहर कोई यात्री गाड़ी सड़क पर मिलती है उसे नजदीक के पुलिस स्टेशन या अन्य सुरक्षाबलों के कैम्प में लिया जाएगा. जहां उनके लिए रात ठहरने के लिए पूरी व्यवस्था रखी गई है.

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