चेतक, चीता के बाद अब ध्रुव हेलिकॉप्टर्स की उड़ान पर रोक! जानें भारतीय सेना ने ऐसा क्यों लिया फैसला?
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भारतीय सशस्त्र बलों को बड़ा झटका लगा है. 330 से अधिक ‘ध्रुव’ हेलिकॉप्टर तकनीकी खामी के कारण ग्राउंड कर दिए गए हैं. जानें इसका क्या प्रभाव पड़ा है.
भारतीय सशस्त्र बलों को बड़ा झटका लगा है. देश के सबसे भरोसेमंद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ‘ध्रुव’ को तकनीकी खामी के चलते ग्राउंड कर दिया गया. लगभग 330 हेलिकॉप्टरों के उड़ान बंद होने से सैन्य अभियान, अग्रिम चौकियों तक सप्लाई और टोही मिशन ठप पड़ गए हैं.
ये हेलिकॉप्टर भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल की हवाई रीढ़ माने जाते हैं, जो चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर मिशनों के लिए जरूरी हैं, लेकिन जनवरी 2025 में पोरबंदर दुर्घटना के बाद से ये सभी हेलिकॉप्टर तीन महीने से ग्राउंडेड हैं.
कैसे हादसे का शिकार हुआ था ध्रुव हेलिकॉप्टर?
5 जनवरी 2025 को पोरबंदर में तटरक्षक बल का एक ध्रुव हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें दो पायलट और एक एयरक्रू की मौत हो गई थी. जांच में सामने आया कि हेलिकॉप्टर में ‘स्वैशप्लेट फ्रैक्चर’ हुआ, जिससे पायलटों का कंट्रोल खो गया. इस कारण अन्य ALH हेलिकॉप्टरों में भी संभावित मैकेनिकल और मटेरियल फेल्योर की आशंका को देखते हुए पूरे बेड़े को ग्राउंड कर दिया गया है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने IISc बेंगलुरु की मदद से इसकी जांच शुरू की है और अप्रैल के अंत तक रिपोर्ट आने की उम्मीद है.
सेना पर सबसे ज्यादा असर, पायलट सिमुलेटर पर सीमित
ध्रुव हेलिकॉप्टरों की सबसे बड़ा ऑपरेटर भारतीय थल सेना है, जिसके पास 180 से अधिक ALH हैं, जिनमें 60 ‘रुद्र’ हथियारबंद वर्जन भी शामिल हैं. इसमें 75 ALH वायुसेना, 24 नौसेना और 19 तटरक्षक बल के पास मौजूद है. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इन हेलिकॉप्टरों के बंद होने से 40,000 घंटे की वार्षिक उड़ान क्षमता प्रभावित हुई है और पायलटों की रियल फ्लाइंग दक्षता भी गिर रही है. अब वे केवल सिमुलेटर अभ्यास तक सीमित रह गए हैं, जिससे मिशन रेडीनेस पर असर पड़ा है.
हेलिकॉप्टरों की पहले से ही भारी कमी
भारतीय सशस्त्र बलों को पहले से ही चेतक और चीता जैसे पुराने सिंगल-इंजन हेलिकॉप्टरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ये हेलिकॉप्टर बार-बार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, जिससे एयर लिफ्टिंग और एवाक्यूएशन जैसे मिशन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं. आने वाले 10–15 वर्षों में सशस्त्र बलों को 1,000 से अधिक नए हेलिकॉप्टरों की आवश्यकता होगी, जिनमें 484 लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH), 419 मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर शामिल हैं. हालांकि पिछले महीने 62,700 करोड़ रुपये की डील के तहत 156 ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर 2028 तक मिलने की संभावना है.
सिविल हेलिकॉप्टरों से अस्थायी राहत
ALH की अनुपलब्धता को देखते हुए सेना ने उत्तर और मध्य कमांड में नागरिक हेलिकॉप्टर किराए पर लेने का फैसला लिया है. नवंबर 2024 से यह विकल्प अपनाया गया, जिससे अग्रिम इलाकों में सप्लाई और मेडिकल सहायता जैसे मिशनों को आंशिक राहत मिली है लेकिन दीर्घकालिक समाधान के रूप में यह उपाय पर्याप्त नहीं है.
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