स्पर्धा, सकारात्मक सिद्धांत और ईमानदारी का अनोखा संगम, श्री. श्रीधर निवृत्ति गिरीजी का श्री नारायणी कंस्ट्रक्शन
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स्पर्धा किसी भी क्षेत्र में नवप्रवर्तन लाने के लिए एक ईंधन का काम करती है। किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक स्पर्धा होना निजी और व्यावसाय की गुणवत्ता बढ़ाने केलिए एक बेहद आवश्यक चीज़ है। पर कुछ लोग इस स्पर्धा से डरकर प्रतियोगिता में भाग ही नहीं लेते और प्रतियोगिता में भाग न लेने से उनके जितने का सवाल ही नहीं उठता, वे सिर्फ दर्शक के तौर पर अपना जीवन गुज़ार देते है। पर कुछ लोग प्रतियोगिता में भाग लेकर गिरते हुए, उठते हुए और सीखते हुए जीवन में आगे बढ़ते है।
श्री. श्रीधर निवृत्ति गिरी, एक ऐसे ही प्रतियोगी है जिन्होंने स्पर्धा में सिर्फ हिस्सा ही नहीं लिया बल्कि उसमे अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। श्री. नारायणी कंस्ट्रक्शन २०१८ में शुरू किया और इस कंस्ट्रक्शन व्यवसाय ने आज तक ६४००० स्क्वे. फुट इतना कंस्ट्रक्शन करने में सफल रही है। साल २०१२ में इंजीनियरिंग कॉलेज पासआउट करने के बाद श्रीधरजी एक प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में जॉब किया। एक फ्रेशर होने के कारण उन्हें शुरुवाती दौर में ८००० रूपये मिले। पर उनके काम को देखते हुए उन्हें २००० रूपये की बढ़ोतरी मिली। अब उन्हें १०००० रूपये मिलना शुरू हुआ। यह उनके ईमानदारी और मेहनती स्वभाव का बड़ा उदहारण है।
नौकरी के दौरान जहा उनके दोस्त दिखावे के वस्तुओ पर ज्यादा आमदनी खर्च कर रहे थे वही पर श्रीधरजी ने जरूरत अनुसार सेकंड हैंड बाइक और E.M.I. पर एक लैपटॉप लिया। उसी लैपटॉप पर उन्होंने प्लान और इस्टीमेट के काम शुरू किए। २०१२ से लेकर २०१८ तक उन्होंने नौकरी में साइट इंजिनियर से लेकर चीफ इंजिनियर तक बढ़ौतरी मिलती रही। नौकरी में मिल रहे बढ़ौतरी के साथ काम का तनाव भी बढ़ता रहा। महज़ ८००० रूपये से शुरू हुई नौकरी गुजरते सालो में ४८००० रुपयों तक बढ़ती चली गई। इस दौरान एक विचार उनके दिमाग में अपनी जगह बना रहा था, की जितनी मेहनत हम नौकरी करते समय दुसरो के लिए करते है उतनी ही मेहनत अगर खुदके व्यवसाय के लिए करे तो एक दिन जरुर सफ़लता के मुकाम तक पहुँचा जा सकता है।
दिमाग में पनप रहे इस विचार की वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय का उनकी माँ और पत्नीने स्वागत किया और पुरे विश्वास के साथ श्रीधरजी के साथ खड़े रहे। घर की आर्थिक परिस्थिति अच्छी न होने के कारण उनका नौकरी छोड़ने का निर्णय लेना बिलकुल भी आसान नहीं था। पर परिवार से मिल रही सहायता और नौकरी करते हुए मिले अनुभव की वजह से मिले आत्मविश्वास से उन्होंने साल २०१८ में अपनी खुदकी कंस्ट्रक्शन कंपनी ‘श्री नारायणी कंस्ट्रक्शन’ की नींव रखी।
इस क्षेत्र में बढ़ती स्पर्धा ने उनके जूनून से लगे आग में ईंधन का काम किया। धीरे धीरे कर के उन्होंने व्यवसाय को नए मुकामो तक पहुँचाने का काम किया। व्यवसाय पूरी ईमानदारी और ग्राहको की संतुष्टि ध्यान में रख कर उन्हें सेवा दी गई तो व्यवसाय ज़रूर सफल होता है श्रीधरजी का मानना है। इस स्पर्धा की एक अँधेरी बाजू भी है, इस स्पर्धा की वजह से ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट मिलने के लिए काम की गुणवत्ता से समझौता कर लेते है। पर श्रीधरजी ने अपनी काम की गुणवत्ता कायम रखते हुए पूरी ईमानदारी के साथ श्री.नारायणी कंस्ट्रक्शन से ग्राहकों को सेवाए दी। जिससे की उनके ग्राहक पूरी ख़ुशी और संतुष्टि के साथ अपना काम पूरा होते देख सके। इसी के साथ श्री. नारायणी कंस्ट्रक्शन की ओर से मिले प्रॉफिट में से ५% रक़म सामजिक कार्यो में दान किये जाते है। स्पर्धा को सकरात्मक मार्ग से लेकर बिना डगमगाए अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हुए श्रीधरजी अपने व्यवसाय को लेकर सफलता की राह पर चल रहे है। हम रिसिल की ओर से श्री. श्रीधर निवृत्ति गिरीजी को ढ़ेर सारी शुभकामनाए देते है।
लेखक: सचिन जाधव
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