कर्नाटक में नई जंग: विधानसभा अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं कोई विधायक, सता रहा इतिहास का खौफ :
1 min read
|








Karnataka Assembly Speaker Post कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद अब विधानसभा स्पीकर को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। पार्टी में कोई भी वरिष्ठ विधायक इस पद को स्वीकार करने को राजी नहीं दिख रहा है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Karnataka Politics कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब नया नाटक शुरू होता दिख रहा है। सीएम और डिप्टी सीएम पद पर माथापच्ची के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर पेंच फंसता दिख रहा है।
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने प्रोटेम स्पीकर का एलान किया था, लेकिन स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) किसे बनाया जाए, इसपर अभी तक फैसला नहीं हो सका है।
पद लेने को तैयार नहीं वरिष्ठ नेता
रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता, जिन्हें विधानसभा में अध्यक्ष पद की पेशकश की जा रही है, वो इस पद को मनहूस मानते हुए जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। इसी के चलते पार्टी को इस पद के लिए वरिष्ठ नेताओं को मनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मंत्री परमेश्वर को भी हुई थी पेशकश
जानकारी के अनुसार, डॉ. जी परमेश्वर ने विधानसभा अध्यक्ष पद को सीधे तौर पर अस्वीकार कर दिया था और इसी वजह से उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अब कांग्रेस पार्टी टीबी जयचंद्र, एचके पाटिल, बीआर पाटिल और वाईएन गोपालकृष्ण जैसे वरिष्ठ नेताओं में से किसी एक को अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है।
हालांकि, कोई भी नेता इस पद को संभालने को इच्छुक नहीं है।
आज से तीन दिनों का सत्र शुरू
सीएम सिद्धारमैया (Karnataka CM) ने 19 मई को घोषणा की कि अनुभवी कांग्रेस नेता आरवी देशपांडे प्रोटेम स्पीकर बनेंगे। सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय पहले सत्र में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा और विधायक अपने पद की शपथ लेंगे।
अध्यक्ष पद को क्यों माना जा रहा अशुभ?
कर्नाटक में स्पीकर के पद को मनहूस मानने की एक खास वजह है। इसके पीछे का कारण यह है कि इस पद को संभालने वाले कई राजनीतिक नेता चुनाव हार गए और कई नेताओं का तो राजनीतिक करियर ही समाप्त हो गया।
जानकारों का कहना है कि 2004 के बाद से जो भी इस कुर्सी पर बैठा, उसे अपने राजनीतिक करियर में बड़े झटकों का सामना करना पड़ा है।
कितने नेताओं को हो चुका नुकसान?
- केआर पेट निर्वाचन क्षेत्र से 2004 में एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में कृष्णा विधानसभा अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं, वो 2008 में चुनाव हार गए थे। 2013 में अध्यक्ष की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी कगोडु थिम्मप्पा भी 2018 में बाद के सभी चुनाव हार गए।
- विधानसभा में पांच बार के सदस्य केबी कोलीवाड़ 2016 में स्पीकर बने थे, उन्हें भी इस मनहूस कुर्सी से नुकसान हुआ। 2018 के विधानसभा चुनाव में कोलीवाड़ को भी हार मिली और 2019 के चुनाव में भी वे हार गए।
- इसके बाद रमेशकुमार जो 2018 में कांग्रेस-जेडीएस सरकार में स्पीकर थे, उन्हें भी इस हालिया चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
- भाजपा की बोम्मई सरकार के दौरान अध्यक्ष बने विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी की भी इस बार हार हुई है, जिसके चलते अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डरते दिख रहे हैं।
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments