बस्ती में नकली दवाओं का भांडाफोड़, शिकायत मिलने के बाद औषधि विभाग में मचा हड़कंप।
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बस्ती में नकली दवाओं के एक बड़े गोरखधंधे का फर्दाफाश हुआ है. बस्ती के पॉश इलाके में पवन फार्मा पर नकली दवाओं की बिक्री और उसकी सप्लाई का आरोप लगा है. दवाओं को सैंपलिंग के लिए भेजा गया है.
बस्ती जिले में नकली दवाओं के बिक्री की गोपनीय शिकायत मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग में हड़कंप मच गया है. ड्रग इंस्पेक्टर (DI) ने तत्काल प्रभाव से मामले की जांच शुरू कर दी है, जिससे भोले-भाले ग्राहकों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले तत्वों में खलबली मच गई है.
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में नकली दवाओं के एक बड़े गोरखधंधे का पर्दाफाश होने से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है. खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग को मिली एक गुप्त सूचना के बाद हरकत में आई ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने तत्काल जांच शुरू कर दी है. इस कार्रवाई ने उन संगठित तत्वों के बीच खलबली मचा दी है जो वर्षों से भोले-भाले उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे.
पवन फार्मा पर नकली दवाइयों की बिक्री का आरोप
सूत्रों की मानें तो पुरानी बस्ती के पॉश इलाके में स्थित पवन फार्मा नामक प्रतिष्ठान इस नकली दवा के निर्माण और बिक्री के केंद्र के रूप में काम कर रहा था. शिकायत में न केवल नकली दवाओं की बिक्री का आरोप लगाया गया है, बल्कि यह भी कहा गया है कि फर्म एक गुप्त स्थान पर इन दवाओं का निर्माण कर पूरे बाजार में एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से इनकी आपूर्ति कर रही थी.
इस गोरखधंधे की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन शुरुआती जानकारी ने प्रशासन और आम जनता दोनों को ही चिंता में डाल दिया है. नकली दवाओं का यह जाल न केवल मरीजों के इलाज को विफल कर रहा था, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव भी डाल रहा था, जिससे कई लोगों के जीवन खतरे में पड़ सकते थे.
मामले में ड्रग इंस्पेक्टर ने क्या बोला?
इस गंभीर मामले की जानकारी देते हुए ड्रग इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि विभाग को एक विश्वसनीय सूत्र से गोपनीय शिकायत मिली थी, जिसमें पवन फार्मा द्वारा नकली दवाएं बेचने और बनाने की विशिष्ट जानकारी दी गई थी. शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, उन्होंने तुरंत एक विशेष जांच टीम का गठन किया और फर्म पर छापेमारी की योजना बनाई गई. उन्होंने यह भी बताया कि जांच की प्रारंभिक प्रकृति को देखते हुए और सबूतों को सुरक्षित रखने के लिए पूरी गोपनीयता बरती जा रही है. टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी तरह से जांच प्रभावित न हो और दोषियों तक पहुंचने में कोई बाधा न आए.
जांच के अगले चरण के बारे में जानकारी देते हुए ड्रग इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि पवन फार्मा से विभिन्न दवाओं के नमूने सील कर लिए गए हैं. इन नमूनों को अब राज्य स्तरीय एक उच्च स्तरीय प्रयोगशाला में भेजा जाएगा, जहां इनकी गुणवत्ता, सामग्री और प्रामाणिकता की विस्तृत जांच की जाएगी.
पवन फार्मा के मालिक ने आरोपों को बेबुनियाद बताया
उन्होंने कहा कि सैंपलिंग की रिपोर्ट विभाग के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, क्योंकि इसी के आधार पर यह तय होगा कि दवाओं में किस प्रकार की मिलावट की गई थी या क्या वास्तव में दवाइयां नकली थी. रिपोर्ट के निष्कर्षों के बाद, दोषियों के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.
उधर, पवन फार्मा के मालिक अनिल रूंगटा ने इन गंभीर आरोपों को एक सिरे से खारिज करते हुए खुद को निर्दोष बताया है. उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और उनकी व्यावसायिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की साजिश हैं. रूंगटा ने यह भी दावा किया कि जिस व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई है, उसका नाम और पता भी गलत है, जिससे शिकायत की सत्यता पर संदेह होता है.
नकली दवाओं से बाजारों में मची खलबली
उन्होंने विश्वास जताया कि विभाग की निष्पक्ष जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी और उनकी फर्म को क्लीन चिट मिल जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे और उनके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उनकी फर्म किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं है. इस घटना के सामने आने के बाद जिले के दवा बाजार में खलबली मच गई है. अन्य दवा विक्रेता भी सतर्क हो गए हैं और अपने स्टॉक की जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अनजाने में भी नकली दवाएं तो नहीं बेच रहे हैं.
आम जनता में नकली दवाओं को लेकर भय और अविश्वास का माहौल है. लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इस मामले की गहराई से जांच करे और दोषियों को कड़ी सजा दे. कई नागरिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद की है और सरकार से अपील की है कि वे नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाएं.
सैंपलिंग रिपोर्ट आने के बाद होगी आगे की कार्रवाई
खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग की इस त्वरित कार्रवाई से आम जनता में थोड़ी उम्मीद जागी है कि अब उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर लगाम लगेगी. लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि विभाग न केवल इस मामले में दोषियों को पकड़ेगा, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाएगा.
अब सभी की निगाहें प्रयोगशाला से आने वाली सैंपलिंग रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह बताएगी कि बस्ती में नकली दवाओं का यह जाल कितना बड़ा है और इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं. इस रिपोर्ट के आने के बाद ही इस पूरे मामले की अगली दिशा तय होगी और यह भी पता चलेगा कि क्या इस गोरखधंधे के पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा था या नहीं. प्रशासन पर अब यह जिम्मेदारी है कि वह इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करे ताकि जनता का विश्वास बना रहे.
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