नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 30, 2025

    अंग्रेजों की वजह से नहीं, बल्कि ‘इस’ मराठी मानुष की वजह से पूरे देश को मिलती है रविवार की छुट्टी!

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    1 मई को मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मजदूरों को रविवार की छुट्टी क्यों दी जाती है?

    1 मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है। इसी दिन मजदूर दिवस भी मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मजदूरों को रविवार की छुट्टी एक मराठी मानुष की वजह से मिली। उन्होंने 7 साल तक रविवार की छुट्टी के लिए लड़ाई लड़ी और आखिरकार उनकी लड़ाई सफल हुई और मजदूरों को रविवार की छुट्टी मिलने लगी। आइए आज मजदूर दिवस के मौके पर विस्तार से जानकारी लेते हैं।

    अंग्रेजों के जमाने में मिल मजदूरों को हफ्ते के सातों दिन काम करना पड़ता था। उन्हें हफ्ते में एक भी दिन छुट्टी नहीं मिलती थी। उस समय मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने अंग्रेजों के सामने रविवार की छुट्टी का प्रस्ताव रखा। छुट्टी क्यों होनी चाहिए? उन्होंने इसकी वजह भी बताई। रविवार को कई अंग्रेज अफसर प्रार्थना के लिए चर्च जाते थे। हालांकि, भारतीयों में ऐसी परंपरा नहीं थी। तब मजदूरों के नेता नारायण लोखंडे ने बॉम्बे मिल हैंड्स एसोसिएशन की स्थापना की। उन्होंने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव रखा। हम अपने और अपने परिवार के लिए छह दिन काम करते हैं। इसलिए हमें सप्ताह के अंत में एक दिन देश की सेवा और कुछ सामाजिक कार्य करने के लिए मिलना चाहिए। उन्होंने इस प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया कि चूंकि रविवार भगवान खंडोबा का दिन है, इसलिए हमें उस दिन साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए।

    हालांकि, नारायण लोखंडे के रविवार की छुट्टी के प्रस्ताव को इतनी आसानी से मंजूरी नहीं मिली। 1884 में उन्होंने रविवार की छुट्टी के लिए लड़ाई शुरू की। उन्होंने और मजदूरों ने सात साल तक लड़ाई लड़ी। उनके नेतृत्व में हजारों मजदूरों ने मार्च भी निकाला। उनके आंदोलन से कई मजदूर भड़क गए। आखिरकार मिल मालिकों को लोखंडे के आंदोलन पर ध्यान देना पड़ा। मिल मालिकों ने एक संयुक्त बैठक की और रविवार की सार्वजनिक छुट्टी की मांग को स्वीकार कर लिया। 10 जून 1890 को आखिरकार मजदूरों के लिए रविवार की सार्वजनिक छुट्टी लागू की गई। साथ ही 8 घंटे काम के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।

    कौन थे नारायण लोखंडे?

    नारायण लोखंडे का पैतृक गांव कनेरसर, खेड़, पुणे जिला था। उनके पिता काम के लिए ठाणे गए थे। नारायणराव का जन्म 13 अगस्त 1848 को ठाणे में हुआ था। मैट्रिक तक की शिक्षा पूरी करने के बाद वे मुंबई के बायकुला में बस गए। पहले उन्होंने रेलवे में क्लर्क की नौकरी की। बाद में उन्होंने पोस्ट ऑफिस और एक मिल में काम किया। 13 अगस्त 1895 को प्लेग से उनकी मृत्यु हो गई। रविवार को छुट्टी क्यों होती है? क्या आपने कभी सोचा है कि रविवार को सप्ताह का सार्वजनिक अवकाश क्यों होता है? जिन देशों में अंग्रेजों का शासन था, वहां रविवार को छुट्टी होती थी। इसका कारण बाइबिल है। बाइबिल के अनुसार, भगवान ने छह दिनों में दुनिया बनाने के बाद सातवें दिन आराम किया। इसलिए, छह दिन काम करने के बाद, वे सातवें दिन छुट्टी लेते हैं। इस दिन, वे सुबह चर्च में प्रार्थना करने जाते हैं।

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    6:36 PM