‘वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इन्वेस्ट के लिए पहली पसंद भारत’, RBI गवर्नर ने कहा- निवेशकों को मिलेगी पूरी मदद।
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आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब कई उन्नत अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक चुनौतियों और बिगड़ते आर्थिक परिदृश्य का सामना कर रही हैं, भारत मजबूत वृद्धि और स्थिरता दर्शा रहा है.
ग्लोबल मार्केट में बनी अनिश्चितताओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अमेरिकी उद्योग से भारत में निवेश करने को कहा है. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत नीतिगत स्थिरता और निश्चितता के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि बेहतर बैलेंस शीट, पर्यप्त नकदी और पूंजी बफर के साथ भारत का बैंकिंग सेक्टर उद्योग में इन्वेस्ट संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए पूरी तह से तैयार है.
शुक्रवार को मल्होत्रा ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अमेरिका भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के एक कार्यक्रम में कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ने के बावजूद भारत में चालू वित्त वर्ष के दौरान 6.5 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है.
उद्योग को मदद को तैयार बैकिंग सेक्टर
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब कई उन्नत अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक चुनौतियों और बिगड़ते आर्थिक परिदृश्य का सामना कर रही हैं, भारत मजबूत वृद्धि और स्थिरता दर्शा रहा है. ऐसे में ये दीर्घकालिक मूल्य और अवसर की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए एक स्वाभाविक विकल्प बन गया है.”
उन्होंने कहा कि भारत ”मौद्रिक, वित्तीय, राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता, अनुकूल कारोबारी माहौल, और मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियाद से समर्थित अर्थव्यवस्था बना हुआ है.” आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि हमारे पास एक साथ भविष्य को आकार देने का मौका है – न केवल भारत के लिए बल्कि एक बेहतर दुनिया के लिए. मैं आपको इस यात्रा का हिस्सा बनने, सहयोग करने, नवाचार करने और भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता हूं.”
इन्वेस्ट के लिए बेहतर मौका
संजय मल्होत्रा ने आगे कहा कि फॉरेन इन्वेस्टर्स का भारत के ऊपर लगातार भरोसा बरकरार है और इसका संकेत देश में आ रहे सकल प्रत्यक्ष विदेश निवेश में इजाफा से भी पता चलता है. उन्होंने कहा कि 2024 के अप्रैल से लेकर 2025 के फरवरी तक भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेश निवेश बढ़कर 75.1 अरब डॉलर पहुंच गया, जो एक साल पहले की अवधि में करीब 65.2 अरब डॉलर था. इसके साथ ही, आरबीआई ने घरेलू आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की भी उम्मीद जताई.
आरबीआई गवर्नर ने इस बारे में कहा कि ये हाल के वर्षों की तुलना में कम है. भारत की उम्मीदों के मुताबिक नहीं है लेकिन ये प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सबसे ज्यादा तेज वृद्धि दर है.
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