ईंट से इमारत तक: डॉ. राजाप्रसाद चंद्रशेखर चौधरी की संघर्ष और सफलता की कहानी।
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“अगर सपने सच्चे इरादों से देखे जाएं, तो वो ज़रूर पूरे होते हैं।” यह बात सच कर दिखाई है डॉ. राजाप्रसाद चौधरी ने। कभी आर्थिक तंगी से जूझने वाले एक सामान्य परिवार के बेटे ने अपनी मेहनत, लगन और सोच के दम पर आज एक बड़ी निर्माण कंपनी खड़ी कर दी है – राज कन्स्ट्रक्शन।
डॉ. राजाप्रसाद चौधरी का जन्म 4 फरवरी 1980 को हैदराबाद में हुआ था। उनके माता-पिता एक निजी फैक्टरी में काम करते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कई बार ज़रूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो जाता था। पढ़ाई के दौरान उन्हें कई बार रुकना पड़ा क्योंकि घर में पैसे नहीं थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
अपने शुरुआती दिनों में वे अपने दादा-दादी के साथ रहे। वहीं से उन्होंने जीवन के असली मूल्यों – मेहनत, ईमानदारी और सहनशीलता – को सीखा। 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और परिवार चलाने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़े। लेकिन पढ़ने और आगे बढ़ने की चाह उनके मन में बनी रही।
लगभग 20 साल बाद, 2016 में, उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और 2018 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया। इसी दौरान उन्होंने राज कन्स्ट्रक्शन की नींव रखी। शुरुआत में छोटे काम जैसे रंगाई-पुताई और मरम्मत से काम शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे कंपनी ने औद्योगिक निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया।
आज उनकी कंपनी ऑटोमोबाइल और फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए फैक्ट्री, ऑफिस और अन्य इंडस्ट्रियल इमारतें बनाती है। साल 2010 में ₹5-6 लाख की आमदनी से शुरू हुई कंपनी आज ₹6 करोड़ से ज़्यादा का कारोबार कर रही है, और जल्द ही इसे ₹12 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
डॉ. राजाप्रसाद चौधरी सिर्फ एक बिज़नेस मैन ही नहीं हैं, बल्कि एक समाजसेवी भी हैं। वे अपने मुनाफे का 10% हिस्सा बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और जरूरतमंदों की मदद के लिए दान करते हैं। Child Hearts Foundation और अन्य सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से वे कई बच्चों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं।
उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं, जैसे “भारत बिज़नेस अवॉर्ड 2024“, जिसमें उनकी कंपनी को महाराष्ट्र की सबसे भरोसेमंद इंडस्ट्रियल कन्स्ट्रक्शन कंपनी घोषित किया गया।
डॉ.राजाप्रसाद चौधरी का मानना है – “अगर आप गरीब पैदा हुए हैं तो वो आपकी गलती नहीं है, लेकिन अगर आप गरीब ही मरते हैं, तो ज़रूर कुछ कमी आपकी सोच में थी।” वे युवाओं को भी यही संदेश देते हैं – “बड़े सपने देखो, मेहनत करो, और कभी हार मत मानो।”
आज डॉ.राजाप्रसाद चौधरी का सपना है कि उनकी कंपनी आने वाले समय में प्राइवेट लिमिटेड बने और 1000 लोगों को रोज़गार दे। वे चाहते हैं कि उनकी कंपनी सिर्फ इमारतें न बनाए, बल्कि लोगों की ज़िंदगी को भी संवारें।
डॉ. राजप्रसाद चौधरी की कहानी हम सबको सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मज़बूत हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
Reseal.In की और से डॉ. राजाप्रसाद चंद्रशेखर चौधरी को उनके भविष्य की योजनाओं और सपनो को ढ़ेर सारी शुभकामनाये।
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