क्रिकेट में ‘मैच फिक्सिंग’ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, देश को लेकर पीठ ने कही बड़ी बात।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि ‘मैच फिक्सिंग’ का देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में टी-20 कर्नाटक प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी की भूमिका की तह तक जांच किए जाने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्रिकेट ‘मैच फिक्सिंग’ का देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हाई कोर्ट के 10 जनवरी 2022 के आदेश के खिलाफ कर्नाटक पुलिस ने दायर याचिका में सहायता के लिए अधिवक्ता शिवम सिंह को न्याय मित्र नियुक्त किया.
इस मुद्दे की तह तक जांच करने को इच्छुक- कोर्ट
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मुद्दे की तह तक जांच करने को इच्छुक हैं. इसका (मैच फिक्सिंग) अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ता है. आज हम ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहते जिससे लगे कि हम इस मुद्दे पर पहले से ही अपनी राय बना रहे हैं. लेकिन इस तरह की सट्टेबाजी का अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ता है.’’
जस्टिस कांत ने इस तथ्य पर गौर किया कि कर्नाटक सरकार की अपील 2022 में दायर की गई थी और अब तीन साल बाद अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आई है. जस्टिस ने कहा, ‘‘यह मामला कहां गायब हो गया था? तीन साल तक इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया. हमें बताएं कि मेरी सेवानिवृत्ति का इंतजार कौन कर रहा था.’’
मैच फिक्सिंग खेल समुदाय के लिए हानिकारक- नटराज
इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि मामले को चार हफ्ते के बाद मामला सूची से नहीं हटाया जाए और मामले को सूचीबद्ध न करने के लिए रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा. केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ खेल समुदाय के लिए हानिकारक है. पीठ ने अधिवक्ता सिंह से कहा कि वह अदालत की सहायता करें, क्योंकि वह खेल कानून में अच्छे हैं और उन्होंने इस विषय पर एक किताब भी लिखी है.
जस्टिस कांत ने कहा, ‘‘आप इस मामले में हमारी सहायता कर सकते हैं. यह भारतीय दंड संहिता की धारा 419 या 420 या इससे कुछ ज्यादा है. राज्य सरकार का अपना दृष्टिकोण होगा, लेकिन हम एक तटस्थ व्यक्ति चाहते हैं, जैसे खेलों में अंपायर होते हैं.’’ जस्टिस ने जमानत के एक मामले को याद किया, जिसमें एक व्यक्ति को सट्टेबाजी के लिए लालच दिया गया और उसने अपना सब कुछ खो दिया. जस्टिस ने कहा, ‘‘वह वस्तुतः कंगाल हो गया और जेल के अंदर है. पूरा परिवार अब संकट में है. वे एक अच्छी जिंदगी जी रहे थे और अब पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं.’’
कोर्ट ने ‘‘परिणामों और निहितार्थों’’ को रेखांकित करते हुए न्याय मित्र नियुक्त किया और आदेश दिया, ‘‘रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उन्हें संपूर्ण रिकॉर्ड और भारत सरकार ने दाखिल जवाबी हलफनामा उपलब्ध कराए.’’ शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर 2022 को मामले पर नोटिस जारी किया था.
मैच फिक्सिंग के मामले धोखाधड़ी के नहीं थे
दस जनवरी 2022 को हाई कोर्ट ने कहा था कि कर्नाटक प्रीमियर लीग (केपीएल) टी-20 टूर्नामेंट में क्रिकेट खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन से जुड़े भ्रष्टाचार की जांच के दौरान 2019 में बेंगलुरु पुलिस की अपराध शाखा से उजागर किये गए ‘मैच फिक्सिंग’ के मामले धोखाधड़ी के नहीं थे. कोर्ट ने मामले में तीन खिलाड़ियों और केपीएल के एक टीम अधिकारी के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया था. कर्नाटक क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सी एम गौतम, दो खिलाड़ियों अबरार काजी और अमित मावी और बेलगावी पैंथर्स टीम के मालिक असफाक अली थारा सहित कई आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
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