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    April 16, 2025

    हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर चला ट्रंप का डंडा! 2.3 बिलियन डॉलर की फंडिंग पर रोक, आदेश न मानने पर एक्शन।

    1 min read
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    अमेरिकी शिक्षा विभाग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर बड़ा एक्शन लिया है. यह निर्णय यहूदी विरोधी भावना से निपटने के लिए बनाए गए एक सरकारी टास्क फोर्स की सिफारिश पर लिया गया है.

    अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सोमवार (14 अप्रैल) को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली लगभग 2.3 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोक दी. इसका कारण यह है कि हार्वर्ड ने व्हाइट हाउस की उन मांगों को मानने से इनकार कर दिया, जिनमें कैंपस में विरोध-प्रदर्शनों को सीमित करने और विविधता, समानता और समावेश (DEI) से जुड़े कार्यक्रमों को खत्म करने को कहा गया था.

    यह फैसला यहूदी विरोधी भावना से निपटने के लिए बनाए गए एक सरकारी टास्क फोर्स की सिफारिश पर लिया गया. इस फंडिंग में 2.2 बिलियन डॉलर का अनुदान और 60 मिलियन डॉलर का सरकारी अनुबंध शामिल है. टास्क फोर्स का कहना है कि हार्वर्ड का यह रवैया एक चिंताजनक तानाशाही सोच को दिखाता है, जो हमारे देश के सबसे मशहूर विश्वविद्यालयों में फैली हुई है.

    यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने लगाया था हस्तक्षेप करने का आरोप
    शिक्षा विभाग का यह बयान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर के एक पत्र के बाद आया. उन्होंने यह पत्र यूनिवर्सिटी के छात्रों और स्टाफ को भेजा था. इसमें गार्बर ने ट्रंप की मांगों को साफ तौर पर खारिज कर दिया, यूनिवर्सिटी की आजादी का बचाव किया और सरकार पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया. गार्बर ने लिखा, “किसी भी सरकार को चाहे वो किसी भी पार्टी की हो यह हक नहीं होना चाहिए कि वो निजी विश्वविद्यालयों को बताए कि वे क्या पढ़ाएं, किसे एडमिशन दें, किसे नौकरी दें और किस विषय पर रिसर्च करें.”

    उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन की ये मांगें अमेरिका के संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करती हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है. साथ ही यह टाइटल VI कानून के खिलाफ है, जो नागरिकों को नस्ल, रंग या देश के आधार पर भेदभाव से बचाता है. गार्बर ने कहा, “अगर कोई सरकार हार्वर्ड में पढ़ाई और सिखाने की प्रक्रिया को अपने हिसाब से चलाना चाहे तो इससे हमारे असली मकसद पूरे नहीं होंगे. हमें ही अपनी कमियों में सुधार करना होगा.”

    ट्रंप ने लिखा था लेटर
    राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रशासन और लीडरशिप में बड़े बदलाव करने और उसकी एडमिशन पॉलिसी में सुधार की बात कही. उन्होंने हार्वर्ड से यह भी कहा कि वह अपनी ‘विविधता’ (डाइवर्सिटी) से जुड़ी पहलों की दोबारा समीक्षा करे और कुछ छात्र क्लबों की मान्यता खत्म करे.

    सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर हार्वर्ड ने इन बातों को नहीं माना तो उसे मिलने वाले लगभग 9 बिलियन डॉलर के फंड और कॉन्ट्रैक्ट्स पर खतरा मंडरा सकता है. हार्वर्ड अकेला ऐसा बड़ा संस्थान नहीं है, जिस पर सरकार दबाव बना रही है. शिक्षा विभाग ने इसी तरह के मतभेदों की वजह से पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी, ब्राउन और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को मिलने वाले फंड भी रोक दिए हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी को भी सरकार ने अरबों डॉलर की ग्रांट रोकने की धमकी दी थी, जिसके बाद उसे अपनी नीतियों में बदलाव करने पड़े.

    हार्वर्ड के अध्यक्ष गार्बर ने माना कि यूनिवर्सिटी ने यहूदी विरोध की घटनाओं को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कहा कि ऐसे बदलाव हार्वर्ड अपने तरीके से करेगा, किसी सरकारी आदेश के दबाव में नहीं.

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