क्या गिरावट रुक गयी है? मुंबई शेयर बाजार में उछाल; सेंसेक्स में 1200 अंकों की उछाल!
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पिछले कुछ दिनों से लगातार गिरावट देख रहे मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ने मंगलवार को बड़ी छलांग लगाई!
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ की छाया में अंधेरे में था, अंततः आज अपनी चमक वापस पा गया! सप्ताह के पहले दिन 4,000 अंकों तक की गिरावट के बाद, दूसरे दिन पहले सत्र में कारोबार शुरू होने पर शेयर बाजार में 1,200 अंकों तक की उछाल आई। निफ्टी 50 भी सेंसेक्स की ही तरह 22,550 हजार अंक पर पहुंच गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि सुबह के पहले सत्र में निवेशकों को बड़ी राहत मिली।
कौन समृद्ध हुआ?
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में सेंसेक्स के बड़ी छलांग लगाने के बाद टाइटन, बजाज फिनसर्व और एसबीआई के शेयरों में भी बड़ी छलांग देखी गई। इन शेयरों में 3 से 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके बाद एक्सिस बैंक, अडानी पोर्ट्स, टीएटी मोटर्स और भारती एयरटेल के शेयरों में भी सुबह के पहले सत्र में कम से कम 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
निफ्टी 50 की स्थिति क्या है?
सेंसेक्स की तरह निफ्टी में भी सुबह कारोबार शुरू होते ही करीब डेढ़ फीसदी यानी करीब 387.85 अंकों की बढ़त दर्ज की गई। इससे निफ्टी सीधे 22,549 अंक पर पहुंच गया। वहीं, सेंसेक्स करीब 1,200 अंक बढ़कर 74,337 पर पहुंच गया। सेंसेक्स कंपनियों के कुल 29 शेयरों में कल की गिरावट के बाद उछाल आया, जिससे निवेशकों में नई उम्मीद जगी। आज सुबह पावर ग्रिड एकमात्र ऐसा स्टॉक था जो घाटे में कारोबार करता हुआ देखा गया।
सोमवार को वास्तव में क्या हुआ?
सप्ताह के पहले दिन की शुरुआत मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में निराशाजनक रही। कारोबार शुरू होते ही सेंसेक्स में 3,000 अंकों तक की गिरावट आ गई। शेयर बाजार में पूरे दिन यही पैटर्न चलता रहा। यह संख्या अंततः 4,000 अंक तक पहुंच गयी। यह पिछले 10 महीनों में शेयर बाज़ार का सबसे निचला प्रदर्शन था। मुंबई शेयर बाजार में सोमवार को एक ही दिन में निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये डूब गए।
भारतीय बाजार की तरह अमेरिकी शेयर बाजार पर भी डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हथियार का असर देखने को मिल रहा है और वहां भी बड़े पैमाने पर गिरावट देखने को मिल रही है। अमेरिका पर डोनाल्ड ट्रम्प की नीति के प्रभाव को देखते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका के कई हिस्सों में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अन्य देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी व्यापार कर लगाए जाने के कारण, संयुक्त राज्य अमेरिका में इन वस्तुओं के आयात की मात्रा में कमी आई है। हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिकी लोगों को भारी मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि इन वस्तुओं का घरेलू उत्पादन तुलनात्मक रूप से नहीं बढ़ा है। इसी डर के कारण अमेरिकी जनता डोनाल्ड ट्रम्प की नीति की निंदा कर रही है।
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