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    April 13, 2025

    पुलिस हेड कांस्टेबल से डिप्टी कलेक्टर तक, यहां पढ़ें श्यामबाबू का ‘सफरनामा’.

    1 min read
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    श्यामबाबू की सफलता की कहानी एक प्रेरणा है, जिन्होंने पुलिस ड्यूटी के बावजूद यूपीपीसीएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की.

    श्यामबाबू की कहानी सिर्फ मेहनत और संघर्ष की नहीं बल्कि एक निर्णायक पल की है जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. यूपीपीसीएस परीक्षा में सफलता पाने के बाद श्यामबाबू अब सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी में युवा प्रतियोगी छात्रों के लिए आदर्श बन गए हैं. आज जिस श्यामबाबू को लोग एक डिप्टी कलेक्टर के रूप में जानते हैं, वह कभी प्रयागराज पुलिस हेडक्वार्टर में एक साधारण हेड कांस्टेबल हुआ करते थे.

    उनकी सफलता का सबसे अहम मोड़ तब आया, जब वे पुलिस की कठिन ड्यूटी निभाते हुए भी अपनी शिक्षा जारी रखे हुए थे. 2014 में जब उनकी तैनाती प्रयागराज में हुई, तो उन्होंने सोच लिया था कि वे पुलिस की नौकरी में ही ऊंचा पद प्राप्त करेंगे. लेकिन उसी दौरान एक घटना ने उनकी दिशा बदल दी.

    दौड़ छोड़कर लक्ष्य तय किया
    श्यामबाबू पुलिस की शारीरिक परीक्षा के लिए लखनऊ गए थे, जहां उन्हें लगभग 20 राउंड की दौड़ पूरी करनी थी. दौड़ के दौरान जैसे ही वे अंतिम राउंड में पहुंचे उनके दिमाग में एक सवाल आया अगर मैंने यह दौड़ पूरी की तो क्या यह पीसीएस की तैयारी करने के मेरे सपने के साथ मेल खाता है? यही वह क्षण था, जिसने उनका दृष्टिकोण बदल दिया. श्यामबाबू ने उस दौड़ को छोड़ दिया और वापस लौट आए. यह उनका टर्निंग प्वाइंट था. उसी पल उन्होंने ठान लिया कि अब उनकी मंजिल केवल पीसीएस होगी.

    संघर्ष से मिली सफलता
    पुलिस ड्यूटी के बीच श्यामबाबू के पास कोचिंग जाने का समय नहीं था, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति बुलंद थी. उन्होंने किसी भी प्रकार की कोचिंग से परहेज किया और खुद से पढ़ाई शुरू की. किराए के कमरे में रहकर, प्रतियोगी छात्रों के बीच रहते हुए उन्होंने नोट्स इकट्ठा किए और स्वाध्याय से अपनी तैयारी को एक नया मोड़ दिया. श्यामबाबू के मुताबिक जब लक्ष्य साफ था तो तैयारी आसान हो गई. उन्होंने कभी भी असफलताओं को खुद पर हावी नहीं होने दिया और हर हाल में अपने सपने को पूरा करने का संकल्प लिया.

    अंग्रेजी में कमजोरी के बावजूद सफलता
    अंग्रेजी में उनकी पकड़ मजबूत नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसे अपनी राह में रुकावट नहीं बनने दिया. श्यामबाबू का मानना था कि अगर तैयारी का तरीका सही हो तो कोई भी बाधा सफलता की ओर नहीं बढ़ने से रोक नहीं सकती.

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