फर्स्ट अटेम्प्ट में UPSC क्लियर कर 22 साल की मोनिका बनी IAS अफसर, पिता भी हैं RAS अधिकारी।
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22 साल की उम्र में बनीं IAS, अपनी मिट्टी को आज भी नहीं है छोड़ा. पिता हैं RAS अधिकारी और पट्टी भी हैं IAS. पढ़िए ऐसी महिला IAS अधिकारी की Success Story.
आज के आधुनिक युग में जहां युवा अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं, वहीं राजस्थान की एक ऐसी महिला ऑफिसर की जिन्होंने एक अलग मिसाल पेश करती हैं. चकाचौंध भरी दुनिया में जहां अधिकतर युवा अपनी संस्कृति और परंपराओं से दूर हो रहे हैं. ऐसे में हम आपके लिए एक खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम आपको बताएंगे IAS मोनिका यादव के बारे में जिन्होंने आईएएस बनने के बावजूद अपनी मिट्टी से नाता नहीं तोड़ा है. इसी वजह से आज वे सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हो गई हैं.
कई प्रशासनिक पदों पर किया है काम
राजस्थान के लिसाड़िया गांव की डेरी वाली ढाणी की रहने वाली मोनिका ने महज साढ़े 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में 403वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार मोनिका ने इससे पहले राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा में 93वीं रैंक प्राप्त की थी. इतना ही नहीं, नेट, जेआरएफ और सीए जैसी कठिन परीक्षाओं में भी वे सफल रहीं. भारतीय रेल प्रबंधन संस्थान, लखनऊ में 78 सप्ताह के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार भी मिला, जिससे उन्होंने अपने जिले का नाम रोशन किया.
पिता हैं RAS अधिकारी, पति भी हैं IAS
मोनिका के पिता हरफूल सिंह यादव वरिष्ठ आरएएस अधिकारी हैं और माता सुनीता यादव हाउसवाइफ हैं. तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी मोनिका का विवाह आईएएस सुशील यादव से हुआ है. शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय प्रदर्शन करने के साथ-साथ मोनिका का सामाजिक परंपराओं से गहरा जुड़ाव रहा है. आईएएस की नौकरी जैसे बड़े मुकाम पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपने गांव की परंपराओं और सादगी को नहीं छोड़ा. जब भी वे अपने गांव जाती हैं, पारंपरिक पोशाक में नजर आती हैं, जिससे स्थानीय लोगों को भी प्रेरणा मिलती है.
खुद को बनाएं सशक्त
युवा आईएएस अधिकारी मोनिका युवाओं को महत्वपूर्ण संदेश देती हैं कि मेहनत करें, सकारात्मक सोच रखें और अपने विचारों को खुला रखें. वे कहती हैं, “नए विचारों को अपने अंदर आने दें. अगर हम बहुत ज्यादा कठोर हो जाते हैं, तो चीजें बहुत मुश्किल लगने लगती हैं.” समाज में आज भी कई जगहों पर लड़कियों और महिलाओं के प्रति व्यवहार नहीं बदला है. इस बारे में मोनिका का संदेश है, “सबसे पहले शिक्षा प्राप्त करें और खुद को सशक्त बनाएं. शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जो हमें जागरूक और मजबूत बनाता है. हमेशा अपने सपने देखें और उन्हें पूरा करने की पूरी कोशिश करें. ऐसा आदर्श बनें जिससे समाज प्रोत्साहित हो.”
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