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    April 21, 2025

    कैसे बना पिंक कलर महिलाओं का सिंबल, जानें इसके पीछे की कहानी।

    1 min read
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    आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या आपको पता कि क्यों पिंक रंग को सिर्फ महिलाओं से जोड़ा जाता है. अगर नहीं तो इस खबर को आप पढ़ सकते हैं.

    आज के समय में जब भी महिलाओं के लिए कुछ खरीदने की बात होती है तो लोग कपड़ों से लेकर कोई और सामान तक सारी चीजें पिंक कलर की देखते हैं. पिंक कलर को औरतों से जोड़कर हमेशा देखा जाता है. इस रंग को महिलाओं का रंग माना जाता है. इतना ही नहीं महिलाओं के गुलाबी होठ और गालों पर कई सारे गाने भी बन चुके हैं.

    ऐसे में सवाल अब ये आता है कि क्यों सिर्फ ये रंग महिलाओं के लिए इस्तेमाल होता है. क्या लड़कों के गुलाबी होंठ नहीं होते हैं क्या उन्हें पिंक कलर के कपड़े पहनना मना है. इस खबर में हम जानेंगे इन्हीं सवालों के जवाब. साथ ही कैसे ये कलर लड़कियों का सिंबल बन गया इसके बारे में भी आपको बताएंगे.

    एक समय पर पिंक कलर को शक्ति, रॉयल्टी और हाई क्लास की पहचान माना जाता था. इसे रंग को ज्यादातर पुरुष धारण करते थे, लेकिन बदलते वक्त के साथ ये भी बदल गया और मार्केटिंग के साथ इसे महिलाओं से जोड़ दिया गया. जानकारी के अनुसार, पिंक कलर पहली बार 800 BC में होमर की Odyssey में पहचाना गया था. इसके बाद 17वीं सदी में ग्रीक बॉटनिस्ट के फूलों के किनारों के व्याख्यान के लिए इस रंग का इस्तेमाल हुआ था.

    इस रंग को यूरोप में शक्ति और जोश के लिए इस्तेमाल किया जाता था. ये लाल रंग का हल्का रूप है इसलिए इसे खून और शक्ति का प्रतीक माना जाता था. उसवक्त ये रंग पुरुष और महिला दोनों ही पहना करते थे. वहीं, इस रंग को फ्रांस के राजा लुई XV की मशहूर मिस्ट्रेस मैडम की पोम्पाडोर ने और ज्यादा मशहूर कर दिया. इसके बाद से ये रंग पोम्पाडौर पिंक के नाम से जाना जाने लगा.

    हालांकि, 19वीं शताब्दी में रंगों को लिंग के आधार पर जोड़ा शुरू किया गया. उस वक्त पिंक कलर को लड़कों से जोड़कर देखा जाता था. वहीं, नीले रंग को महिलाओं से जोड़ा जाता था. ऐसा इसलिए क्योंकि नीले रंग को कोमलता का प्रतीक मानते थे. 20वीं शताब्दी में फिर से बदलाव हुआ और 1940-50 के दौर में पिंक कलर को महिलाओं की शक्ति और जुड़ाव का प्रतीक माना जाने लगा. इसके बाद कंपनियों ने मार्केटिंग के जरिए इसे और बढ़ावा दिया और तब से इस रंग को महिलाओं से जोड़कर पहचान मिलने लगी.

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