आयकर अधिकारी आपके फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कड़ी नजर रख रहे हैं; 1 अप्रैल से कौन सा नया नियम लागू होगा?
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आयकर विभाग अब डिजिटल दुनिया में कर चोरी रोकने के लिए नए प्रावधानों के साथ तैयार है। आयकर विधेयक 2025 के तहत कर अधिकारी सोशल मीडिया, ईमेल और डिजिटल वॉलेट जैसे प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकेंगे।
डिजिटल युग में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन लेनदेन और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से कर चोरी की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसे रोकने के लिए भारत सरकार ने प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 में कई कड़े प्रावधान शामिल किए हैं। इस नए कानून के तहत अब आयकर विभाग को करदाताओं के डिजिटल डेटा तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट और क्रिप्टो वॉलेट शामिल हैं। यदि अधिकारियों को कोई संदेह हो तो उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म के एक्सेस कोड को बदलने का अधिकार दिया जाएगा। यह कदम कर चोरी रोकने और डिजिटल अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर करीबी नजर
यह विधेयक प्राधिकारियों को सोशल मीडिया, ईमेल और एन्क्रिप्टेड चैट की जांच करने का अधिकार देता है। यदि किसी व्यक्ति पर कर चोरी का संदेह है, तो अधिकारी डिजिटल डेटा तक पहुंचने के लिए एक्सेस कोड को बदल सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी पर कार्रवाई
क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ते निवेश पर नजर रखने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। वर्तमान में क्रिप्टो लेनदेन पर 30% कर और 1% टीडीएस लागू है। लेकिन नए विधेयक के तहत, अधिकारी क्रिप्टो वॉलेट्स, एक्सचेंजों और एन्क्रिप्टेड चैट की जांच कर सकेंगे। आयकर विधेयक की धारा 247 के तहत यदि कोई अधिकारी इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि कोई व्यक्ति अघोषित संपत्ति या आय छुपा रहा है। इसलिए वह वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को खोलकर या ओवरराइड करके किसी भी दरवाजे, तिजोरी, लॉकर या कंप्यूटर सिस्टम की जांच कर सकता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 भी ऐसी तलाशी और जब्ती की अनुमति देती है, लेकिन इसके लिए अधिकारियों के पास ठोस जानकारी होनी चाहिए।
कानूनी प्रक्रिया और अधिकार
संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों को डिजिटल डेटा तक पहुंच का अधिकार दिया गया है। वर्तमान कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की निगरानी की अनुमति पहले से ही है, लेकिन नया विधेयक इस शक्ति का विस्तार करता है। गोपनीयता बनाम निगरानी.
इस प्रस्ताव ने गोपनीयता के अधिकार पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रावधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। सरकार का कहना है कि यह सिर्फ़ संदिग्ध मामलों में ही लागू होगा और सिलेक्ट कमेटी की समीक्षा के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। अगर यह बिल कानून बन जाता है तो यह अप्रैल 2026 से लागू हो जाएगा। इससे कर चोरी रुकेगी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। सरकार का दावा है कि इससे कर प्रणाली अधिक प्रभावी हो जाएगी।
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