भारत का सबसे सस्ता और नंबर 1 मेडिकल कॉलेज है एम्स; इस राजकुमारी ने रखी थी संस्थान की नींव, महज 8,240 रु है MBBS की फीस।
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आज देश में 25 एम्स संस्थान है, जिनमें 20 पूरी तरह कार्यात्मक और 5 एम्स संस्थान वर्तमान में अंडर कंस्ट्रक्शन हैं. ये देश के सबसे सस्ते मेडिकल कॉलेज है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि एम्स का सपना किसका था और इसे कैसे आकार दिया गया…
एम्स (AIIMS) को देश का सबसे बेहतरीन मेडिकल कॉलेज माना जाता है. हर साल नीट (NEET) परीक्षा के टॉपर्स इसे अपनी पहली पसंद बनाते हैं. खास बात यह है कि एम्स दिल्ली में एएमबीबीएस (MBBS) कोर्स की एक साल की फीस सिर्फ 1,648 रुपये है, यानी पूरे कोर्स की फीस मात्र 8,240 रुपये. हालांकि, इसके अलग-अलग ब्रांचेस में फी स्ट्रक्चर अलग हैं, इसके बावजूद भी यह देश के सबसे सस्ता मेडिकल कॉलेज हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की नींव एक राजकुमारी ने रखी थी? चलिए जानते हैं एम्स की इतिहास कि कैसे और कब इसकी स्थापना हुई…
कौन थीं राजकुमारी अमृत कौर?
एम्स की स्थापना भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने की थी. अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी 1887 को लखनऊ में हुआ था. वे राजा हरनाम सिंह अहलूवालिया की बेटी थीं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत लौटीं और महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया.
एम्स की स्थापना के लिए 10 साल की मेहनत
भारत में मेडिकल शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए 1946 में सरकार ने एक सर्वे कराया, जिसमें एक उच्च स्तरीय मेडिकल संस्थान की जरूरत बताई गई, लेकिन फंडिंग की कमी सबसे बड़ी चुनौती थी. राजकुमारी अमृत कौर ने इस सपने को हकीकत बनाने के लिए लगातार 10 साल तक प्रयास किया और आखिरकार एम्स की नींव रखने में सफल रहीं.
संसद में पेश किया बिल, पूरा हुआ सपना
18 फरवरी 1956 को अमृत कौर ने लोकसभा में एक नया बिल पेश किया, जिसमें उन्होंने देश में मेडिकल शिक्षा को नया स्तर देने के लिए एम्स की स्थापना की जरूरत बताई. संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और मई 1956 में एम्स की नींव रखी गई.
सपने को हकीकत बनाया
लोकसभा में बिल पेश करते हुए राजकुमारी का कहना था, “यह मेरा हमेशा से एक सपना था कि भारत में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई और मेडिकल एजुकेशन के हायर लेवल को बरकरार रखने के लिए, एक ऐसे संस्थान की जरुरत है, जो युवाओं को अपने ही देश में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद की पढ़ाई के लिए प्रेरित कर सके. मैं यह कहना चाहूंगी कि ये एक ऐसी घटना होगी, जिस पर भारत को हमेशा गर्व रहेगा और मैं चाहती हूं कि भारत इस पर गर्व करे.” इस तरह संसद के दोनों सदनों ने ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एक्ट पास कर दिया और फिर एम्स की नींव पड़ी.
भारत को दिया मेडिकल शिक्षा का सबसे बड़ा उपहार
राजकुमारी अमृत कौर ने सिर्फ एम्स ही नहीं, बल्कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, पटियाला की भी नींव रखी. राजकुमारी खेल और शहरी विकास मंत्री भी रहीं. उनका सपना था कि भारत में डॉक्टरों को क्वालिटी एजुकेशन और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके. अमृत कौर 1957 तक भारत की स्वास्थ्य मंत्री रहीं और इस दौरान उन्होंने मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. राजकुमारी अमृत ने 6 फरवरी 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन एम्स आज भी उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी सुनाता है.
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