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    May 30, 2025

    खूंखार औरंगजेब की थी कईं रानियां, फिर भी था रंगरसिया, छावा की महारानी येसूबाई साहेब ने चटा दी थी धूल।

    1 min read
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    औरंगजेब अपने दौर का सबसे खूंखार बादशाह होने के साथ रंग रसिया था. उसकी दहशत अखंड भारत की चौहद्दी के बाहर तक फैली थी. उसकी कई शादियां हुईं थीं. कुछ इतिहासकरों ने उसकी 12 बेगम होने का जिक्र किया था. उसे शंभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) की धर्मपत्नी महारानी येसुबाई (Maharani Yesubai Bhonsale) ने धूल चटाकर रख दी थी.

    बॉलीवुड प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टरों की नजरों में इपिक और बॉयोपिक हमेशा से हॉट टॉपिक यानी फेवरेट सब्जेक्ट रहा है. ताजा मिसाल 14 फरवरी को रिलीज विकी कौशल और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म ‘छावा’ है, जिसने सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स को हिलाकर रख दिया है. इस ऐतिहासिक कामयाबी के बीच मुगल एक बार फिर चर्चा/सुर्खियों में हैं. हिस्ट्री में दिलचस्पी रखने वाली पीढी हो या आज की जेनरेशन (Gen- Z ) सब ‘औरगंजेब’ को खंगाल रहे है, उसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, ऐसे में आइए बताते हैं उस मुगल बादशाह की कहानी जो मराठा योद्धाओं से कभी जीत नहीं पाया लेकिन उसकी गिनती उस दौर के मशहूर राजाओं और बादशाहों में होती थी.

    छावा …..
    छावा की कहानी छत्रपति संभाजी महाराज पर बेस्ड है. फिल्म टीजर रिलीज हुआ, उस समय औरंगजेब के किरदार ने सबका ध्यान खींचा था. हालांकि, तब लोगों ने उस एक्टर को नहीं पहचाना पर बाद में जब खुलासा हुआ कि औरंगजेब के रोल में कोई और नहीं बल्कि अक्षय खन्ना हैं तो सारे बॉलीवुडिया प्रेमी उनका ट्रांसफॉर्मेशन देख हैरान रह गए थे. रश्मिका मंदाना ने फिल्म में संभाजी की पत्नी येसूबाई का किरदार निभाया है, उनके लुक पर भी डायरेक्टर ने काफी काम किया है. छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति शंभाजी महाराज के जीवन पर बनी ‘छावा'(Chhavva) बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में नए-नए रिकॉर्ड बना रही है.

    ‘छावा’ में केवल औरंगजेब पर ही नहीं बल्कि सभी किरदार को हुबहु स्क्रीन पर उतारने के लिए मेकर्स ने करीब-करीब सालभर का वक्त लगाया है. रश्मिका मंदाना को मराठी लुक देने के लिए फिल्म से जुड़े लोगों ने औरंगाबाद, रत्नागिरी, पुणे, नासिक, पैठण समेत महाराष्ट्र के कई शहरों की खाक छानी तब रश्मिका समेत पूरी स्टारकास्ट का लुक मराठा साम्राज्य जैसा हो गया. इसके लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनर शीतल शर्मा बधाई की पात्र हैं.

    मुगलों के हरम और वहां होने वाली प्रेम लीलाओं के किस्से आपने सुने ही होंगे. बाबर से लेकर औरंगजेब तक सब बहुत बड़े वाले शौकीन थे. हजरत औरगंजबेग की पर्सनल लाइफ का जिक्र हो और उससे जुड़ी उन खासो आम महिलाओं का नाम न लिया जाए तो आलमगीर सरकार की कहानी अधूरी रह जाती है. इनमें से कुछ के प्यार में वो खुद पागल पागल बना तो इसके उलट कुछ उसकी मोहब्बत में दीवानी थीं. तो आइए शॉर्ट में लार्ज बनाते हुए आपको बताते हैं कि औरंगजेब आखिर कितना अत्याचारी था, जिससे खौफ खाते थे लोग.

    कौन था औरंगजेब?
    मुगल बादशाह औरंगजेब का नाम मुहिउद्दीन मोहम्मद था. शाही दरबार में उसे बड़े अदब के साथ ज़िल्ल-ए-इलाही कहकर पुकारा जाता था. उसे लोग आलमगीर कहकर बुलाते थे. उसके चाहने वाले उसे जिंदा पीर कहते थे. औरंगजेब भारत पर राज करने वाला छठा मुगल शासक था. जिसका शासन 1658 से लेकर 1707 में उसकी मृत्यु पर्यंत तक चला. औरंगजेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर लगभग आधी सदी राज किया. वह अकबर के बाद सबसे अधिक समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था.

    औरंगजेब लव लाइफ और हिंदू पत्नियां
    बाकी मुगल बादशाहों की तरह औरंगजेब की कई शादियां हुईं. वैसे तो मुगल सम्राट औरंगजेब की कई पत्नियों का जिक्र मिलता है, लेकिन प्रमुखत: उनकी तीन पत्नियां थीं. मुगल बादशाह औरंगजेब की पहली पत्नी का नाम दिलरास बानो बताया जाता है. इतिहास की किताबों में यह पाया जाता है कि औरंगजेब की 2 हिन्दू पत्नियां भी थीं.

    बात मुगल साम्राज्य के इतिहास की आती है और उसमें दिलरास बानो बेगम का नाम सबसे पहले आता है. वो आखिरी शक्तिशाली मुगल बादशाह औरंगजेब की पहली पत्नी थीं. दिलरास बानो एक सफवी राजवंश से थीं. वह ऊंचे घराने और खानदान से थीं. होशियार थीं इसलिए उनका नाम मुगल इतिहास की शक्तिशाली महिलाओं में गिना जाता है. ‘राबिया उद्दौरानी’ की उपाधि मिली थी. औरंगजेब और दिलरास बानो बेगम की शादी की तारीख को लेकर मतभेद है, कहा जाता है कि 1637 में बादशाह से निकाह किया था. वो औरंगजेब की पहली बेगम थीं, जिनसे उनके पांच औलादें हुईं. कहा जाता है कि औरंगजेब की कुल 12 पत्नियां थीं, लेकिन ज़ी न्यूज़ इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.

    खूंखार औरंगजेब ने 1657 में दिलरास बानो की मौत होने के बाद बेगम की याद में ताजमहल जैसे मकबरा बनवाया. औरंगजेब हूबहू ताजमहल के जैसा मकबरा बनवाना चाहता था, लेकिन उतना भव्य न बनवा सका. उसने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मकबरे का निर्माण कराया. जिसे बीबी का मकबरा के नाम से जाना गया.

    इसी तरह नवाब बाई और उदयपुरी उसकी दो हिंदू पत्नियां थीं. उदयपुरी को औरंगजेब से इतना प्रेम था कि वो उसके मरने के बाद सती होने तक को तैयार थी. उस दौर के कुछ खतों में ऐसा जिक्र है. औरगंजेब की मौत के कुछ समय बाद उदैपुरी का निधन हो गया था.

    महारानी येसुबाई साहब ने चटा दी थी धूल
    महारानी येसुबाई साहेब राजनीतिक रूप से कुशल महिला थीं. जिन्होंने 1680 से 1730 तक के कठिन दौर में स्वराज्य में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी कूटनीति के चलते औरंगजेब अपने जीते-जी मराठा साम्राज्य न जीत पाया था.

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