कश्मीरी गायिका शमीमा अख्तर द्वारा गाया गया गीत “सौभाग्य से, हम मराठी बोलते हैं”।
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‘सरहद’ संगठन से जुड़ी कश्मीरी गायिका शमीमा अख्तर द्वारा गाया गया एक गीत 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की पृष्ठभूमि में चर्चा का विषय बन गया है।
मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद पहला सम्मेलन राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का आयोजन ‘सरहद’ संस्था के माध्यम से किया जा रहा है। यह सम्मेलन 21 फरवरी से 23 फरवरी तक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा और इसमें साहित्य जगत के साथ-साथ राजनीतिक हलकों की भी गणमान्य हस्तियां मौजूद रहेंगी। इसलिए, सम्मेलन के राजनीतिक चेहरे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इन विवादित विषयों के साथ-साथ कश्मीरी गायिका शमीमा अख्तर भी मराठी साहित्य महोत्सव के सिलसिले में सुर्खियों में आ गई हैं। उन्होंने जो गीत गाया, वह इसका कारण था!
कश्मीर के बांदीपोरा इलाके की रहने वाली मशहूर गायिका शमीमा अख्तर द्वारा गाए गए मराठी गाने का एक वीडियो चर्चा का विषय बन गया है। शमीमा अख्तर ने 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर ‘लभले अम्हस भाग्य बोलतो मराठी’ गीत गाया है। मराठी साहित्य सम्मेलन के इंस्टाग्राम पेज पर इस गाने का एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें शमीमा अख्तर अपने पारंपरिक परिधान में मराठी गाना गाती नजर आ रही हैं।
शमीमा अख्तर का बहुभाषी गायन!
गायिका शमीमा अख्तर अपनी बहुभाषी गायन के लिए जानी जाती हैं। मराठी के साथ-साथ शमीमा अख्तर बंगाली, कन्नड़, डोगरी, पंजाबी, संस्कृत और अपनी मातृभाषा कश्मीरी में भी गीत गाती हैं। शमीमा अख्तर गीतों के माध्यम से समाज में प्रेम और शांति का संदेश फैलाने के लक्ष्य के साथ विभिन्न भाषाओं में गाती हैं। उनके गानों को भी दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है। शमीमा अख्तर द्वारा गाए गए भक्ति गीत भी श्रोताओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय रहे हैं।
कुछ दिन पहले शमीमा अख्तर ने संत तुकाराम महाराज की जयंती के अवसर पर अभंग ‘वृक्षवल्ली अम्हा सोयरे वनचरे’ की रचना और गायन किया था। वहीं, पिछले महीने उन्होंने महावितरण के एक कार्यक्रम में ‘माझे माहेर पंढरीचे’ गाना गाया था। इस गाने का वीडियो भी बड़े पैमाने पर वायरल हुआ था।
साहित्य महोत्सव में उमड़ी मराठी जनता
इस वर्ष 71 वर्षों के बाद पहली बार अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का स्थल, यानि तालकटोरा स्टेडियम, भी मराठी से ऐतिहासिक संबंध रखता है। 1731 में महान बाजीराव पेशवा के नेतृत्व में मराठा सेना ने मुगलों को हराया। इसलिए इस वर्ष का साहित्य सम्मेलन ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया है।
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