क्या है क्रॉस-बॉर्डर यूपीआई? जिससे इस बैंक को लगी 19 करोड़ की चपत, ग्राहकों पर क्या होगा असर.
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बैंक की तरफ से हुए नुकसान की भरपाई के लिये रिकवरी प्रोसेस शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा बैंक ने भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत किया है.
प्राइवेट सेक्टर के कर्नाटक बैंक लिमिटेड (Karnataka Bank Ltd) को क्रॉस-बॉर्डर यूपीआई ट्रांजेक्शन (Cross Border UPI) में बड़ी गड़बड़ी का पता चला है. इससे बैंक को करीब 18.57 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. हालांकि, बैंक की तरफ से कहा गया कि इस प्रॉब्लम से उसके ऑपरेशन्स या कस्टमर सर्विस पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा. बैंक की तरफ से बताया गया कि उसने अपने यूपीआई ग्लोबल ट्रांजेक्शन के रिव्यू के दौरान कुछ रिकंसीलेशन प्रोसेस (लेन-देन मिलान) में कमियां पाई हैं. इसका मतलब यह हुआ कि कुछ लेनदेन में रकम ग्राहकों को गलत तरीके से वापस कर दी गई.
बैंक ने क्या कदम उठाया?
इस गड़बड़ी के कारण बैंक को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि, बैंक ने इस मामले को तुरंत पहचाना और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को 17 फरवरी 2025 को इस बारे में जानकारी दी. कर्नाटक बैंक लिमिटेड ने इस नुकसान की भरपाई के लिए रिकवरी प्रोसेस शुरू कर दिया है. इसके अलावा, बैंक ने भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत कर दिया है.
बैंक का तिमाही प्रदर्शन
दिसंबर 2024 की तिमाही में कर्नाटक बैंक का नेट प्रॉफिट 283.6 करोड़ रुपये रहा. यह प्रॉफिट पिछले साल की इसी तिमाही के 331 करोड़ रुपये के मुकाबले 14.3% कम है. बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) भी घटकर 792.8 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 827.6 करोड़ रुपये थी. बैंक ने साफ किया कि इस गड़बड़ी का किसी भी कस्टमर की बैंकिंग सर्विस पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा. कस्टमर अपने सभी बैंकिंग काम पहले की ही तरह कर सकते हैं.
क्रॉस-बॉर्डर यूपीआई क्या है?
क्रॉस-बॉर्डर यूपीआई एक ऐसा सिस्टम है जो आपको देश से बाहर के देशों में भी यूपीआई के जरिये पेमेंट करने की सुविधा देता है. यह इंटरनेशनल पेमेंट करने का फास्ट, सेफ और सुविधाजनक तरीका है. क्रॉस-बॉर्डर यूपीआई के जरिये पेमेंट भुगतान तुरंत हो जाता है और आपको लंबी प्रोसेसिंग अवधि का इंतजार नहीं करना पड़ता. यह एक सुरक्षित पेमेंट सिस्टम है, जिसमें धोखाधड़ी का खतरा कम रहता है. इसके अलावा आपको किसी विदेशी मुद्रा विनिमय या अन्य मुश्किल प्रोसेस से नहीं गुजरना पड़ता. यह आमतौर पर बैंकों या किसी भी पेमेंट सिस्टम की तुलना में ज्यादा किफायती होता है.
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