कैसे काम करेगा MITRA प्लेटफॉर्म? जिसे SEBI ने अनक्लेम्ड म्यूचुअल फंड के लिए शुरू किया.
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सेबी की तरफ से नए प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने के साथ ही कहा गया कि निवेशक कई बार समय के साथ अपने म्यूचुअल फंड निवेश को ट्रैक नहीं कर पाते. उनके पास संपर्क से जुड़ी जानकारी नहीं होती या उन्हें अपने नाम पर किये गए निवेश के बारे में याद नहीं रहता.
मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) की तरफ से नया डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘मित्र’ (MITRA) लॉन्च किया गया है. इस प्लेटफॉर्म के जरिये निवेशकों की इनएक्टिव या बिना दावे वाले म्यूचुअल फंड फोलियो को ट्रैक करने में मदद मिलेगी. म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट ट्रेसिंग एंड रिट्रीवल असिस्टेंट (Mutual Fund Investment Tracing and Retrieval Assistant) नामक इस प्लेटफॉर्म का मकसद निवेशकों को भूले हुए म्यूचुअल फंड निवेश और सर्च करने और मौजूदा नियमों के अनुसार केवाईसी अपडेट करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
भूले हुए निवेश के बारे में पता किया जा सकेगा!
एक सर्कुलर में सेबी की तरफ से कहा गया कि यह प्लेटफॉर्म बढ़ती हुई चिंता को दूर करता है, जिसमें निवेशक समय के साथ, अपने म्यूचुअल फंड निवेश का ट्रैक खो देते हैं, उनके पास संपर्क से जुड़ी जानकारी नहीं होती या उन्हें अपने नाम पर किये गए निवेश के बारे में पता नहीं होता. सेबी ने कहा, ‘चिंताओं को दूर करने के लिए, आरटीए (रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट) द्वारा ‘मित्र’ प्लेटफॉर्म को तैयार किया गया है ताकि निवेशकों को इंडस्ट्री लेवल पर इनएक्टिव और बिना दावा वाले म्यूचुअल फंड फोलियो का एक खोज योग्य आंकड़े प्रदान किया जा सके.’
किसी दूसरे के निवेश की पहचान में भी मदद मिलेगी
सर्कुलर के अनुसार, MITRA प्लेटफॉर्म निवेशकों को उनके भूले हुए निवेश या किसी और की तरफ से किये गए निवेश की पहचान करने में मदद करेगा. ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को मौजूदा नियमों के हिसाब से KYC कराने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे बिना KYC वाले फोलियो की संख्या कम होगी. सेबी ने यह भी कहा कि MITRA प्लेटफॉर्म से लावारिस म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या में भी कमी आएगी. किसी फोलियो को इनएक्टिव तब माना जाएगा, जब उसमें यूनिट बैलेंस होने के बावजूद, पिछले दस साल में निवेशक द्वारा कोई लेन-देन नहीं किया गया हो.
सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों के तहत यूनिट होल्डर प्रोटेक्शन कमेटी (UHPC) के कामकाज को बदल दिया है. अब UHPC निष्क्रिय फोलियो के साथ-साथ लावारिस डिविडेंड और रिडेम्प्शन की भी समीक्षा करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे मामलों को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाए जाएं. मार्केट रेग्युलेटर ने सभी शेयरहोल्डर, जिनमें एएमसी, आरटीए, आरआईए, एएमएफआई और म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर शामिल हैं, को निवेशकों के बीच इस पहल के बारे में जागरूकता पैदा करने का निर्देश दिया है.
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