जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 4.31 प्रतिशत हो गई, जो पांच महीने का निम्नतम स्तर है।
1 min read
|








केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत की मामूली गिरावट की उम्मीद जताई है।
नई दिल्ली: बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में लगातार तीसरे महीने घटकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई। पांच वर्षों के अंतराल के बाद हाल ही में रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती के बाद मुद्रास्फीति में सुखद गिरावट से भविष्य में और अधिक कटौती की संभावना बढ़ गई है।
इससे पहले दिसंबर 2024 के महीने में खुदरा महंगाई दर 5.22 फीसदी दर्ज की गई थी। जनवरी में मुद्रास्फीति में कमी आई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट थी, जो पिछले कुछ महीनों से अस्थिर रही थी। जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.24 प्रतिशत रह गई, जिसका मुख्य कारण अनाज, सब्जियों और दालों की कीमतों में निरंतर गिरावट है। राहत की बात यह है कि चार महीनों में पहली बार यह 8 प्रतिशत से नीचे आई है। पिछले महीने सब्जियों की मुद्रास्फीति दर 26.6 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह घटकर 11.4 प्रतिशत हो गई है।
दालों और उन पर आधारित उत्पादों, जो प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ हैं, की मुद्रास्फीति दर पिछले महीने के 3.83 प्रतिशत से घटकर 2.59 प्रतिशत हो गई। अंडों की कीमत में वृद्धि 27 महीने के निचले स्तर पर थी। हालांकि, खाद्य तेल और फलों की महंगाई दर बढ़कर दोगुनी हो गई है। फलों की मुद्रास्फीति लगभग पांच वर्ष के उच्चतम स्तर 12.2 प्रतिशत पर थी, जबकि खाद्य तेल की मुद्रास्फीति लगभग तीन वर्ष के उच्चतम स्तर 15.6 प्रतिशत पर थी।
आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति की दरें उसी स्तर पर स्थिर रहने की संभावना है। रिजर्व बैंक ने जनवरी से मार्च 2025 की चौथी तिमाही में औसत मुद्रास्फीति दर 4.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन केंद्रीय बैंक ने वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत की प्रबंधनीय गिरावट की उम्मीद जताई है।
जुलाई 2016 में जब से रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण नीति रूपरेखा अपनाई है, उसके बाद के 102 महीनों में से केवल 13 महीनों में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास रही है।
दिल्ली में सबसे कम महंगाई
जनवरी में राष्ट्रीय औसत से अधिक मुद्रास्फीति दर वाले पांच राज्यों में केरल (6.76 प्रतिशत), ओडिशा (6.05 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (5.85 प्रतिशत), हरियाणा (5.1 प्रतिशत) और बिहार (5.06 प्रतिशत) शामिल हैं। सबसे कम मुद्रास्फीति दिल्ली में दर्ज की गई। वहां मुद्रास्फीति की दर 2.02 प्रतिशत दर्ज की गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के चयनित 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से नियमित रूप से वस्तुओं के मूल्य संबंधी आंकड़े एकत्र करता है।
खुदरा मुद्रास्फीति अपेक्षा से कहीं अधिक गिरकर पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछले सप्ताह सर्वसम्मति से ब्याज दरों में कटौती करने का निर्णय लिया, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में गिरावट थी। अप्रैल या जून में होने वाली आगामी बैठकों में रेपो दर में एक और चौथाई प्रतिशत की कटौती होने की संभावना है। हालांकि, केंद्रीय बैंक को वैश्विक घटनाक्रमों और रुपये की चाल पर नजर रखनी होगी, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है।
-अदिति नायर, मुख्य अर्थशास्त्री, आईसीआरए
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments