दिसंबर तक दिवालियापन अधिनियम के माध्यम से 1,119 मामलों का समाधान; ऋणदाताओं से 3.58 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि की वसूली।
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1,274 मामलों में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है। इससे 13,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली: केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि चालू वित्त वर्ष में 31 दिसंबर, 2024 तक दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के तहत 1,119 मामलों का समाधान किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ऋणदाताओं से 3.58 लाख करोड़ रुपये का बकाया वसूल किया गया है।
एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मल्होत्रा ने बताया कि भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) के अनुसार, दिसंबर के अंत तक 2,707 मामलों में परिसमापन निर्णय लिए जा चुके हैं, जबकि 1,119 मामलों में वसूली हो चुकी है। इसमें से ऋणदाता संस्थानों ने 3.58 लाख करोड़ रुपये वसूल लिये हैं। इसके साथ ही 1,274 मामलों में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है। इससे 13,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है।
मल्होत्रा ने कहा कि ऐसे मामलों में कितना पानी छोड़ा जाना था या कितनी राशि माफ की गई थी, इसका रिकॉर्ड नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता अधिनियम के तहत प्रक्रिया बाजार से संबंधित है। यह परिसंपत्तियों की गुणवत्ता और दिवालियापन प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किये जा सकने वाले मूल्य पर निर्भर करता है। इसलिए, इस प्रक्रिया से प्राप्त मूल्य की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक इस बात का हिसाब नहीं रखते कि इस प्रक्रिया के तहत उन्हें कितना पैसा मिला है।
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