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    April 24, 2025

    जाति या क्षेत्रीय… किस समीकरण के साथ CM चेहरे का ऐलान करेगी BJP; क्या एक बार फिर करेगी Shocked?

    1 min read
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    दिल्ली में भाजपा की शानदार जीत के बाद एक बार फिर सीएम फेस के लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. लगभग हर राज्य में भाजपा अपने सीएम चेहरे को लेकर सस्पेंस बनाए रखती है और आखिर में ऐसा चेहरा सामने लाती है जो बिल्कुल हैरान कर देने वाला होता है. तो चलिए जानते हैं कि दिल्ली में के बड़े चेहरे कौन हैं.

    दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद शानदार जीत हासिल कर इतिहास बना दिया है और लगातार पिछले तीन चुनावों से जीत दर्ज करती आ रही आम आदमी पार्टी (AAP) को सत्ता से बेदखल कर दिया है. हैरानी की बात यह है कि भाजपा की इस आंधी में 10 साल तक सीएम रहने वाले केजरीवाल और डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया समेत कई मंत्रियों का भी पत्ता साफ हो गया है. भाजपा की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कवायद शुरू हो गई है, क्योंकि भाजपा सीएम चेहरे के बिना ही चुनाव में उतरी थी. तो चलिए जानते हैं कि दिल्ली में कौन मुख्यमंत्री हो सकता है या फिर कौनसे चेहरे आगे चल रहे हैं.

    दिल्ली सीएम की रेस के बड़े चेहरे
    भारतीय जनता पार्टी क्योंकि चुनाव में बिना सीएम चेहरे के साथ उतरी थी तो ऐसे में अब जीत के बाद पार्टी आला कामान और विधायकों की सहमति के बाद ही सीएम चेहरे का ऐलान होगा. हालांकि फिलहाल जो नाम रेस में चल रहे हैं उनमें सबसे आगे परवेश वर्मा हैं. सांसद रह चुके परवेश वर्मा ने नई दिल्ली विधानसभा से चुनाव लड़ा और आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता को विधानसभा चुनाव में शिकस्त भी दी है. परवेश वर्मा के अलावा विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद, मोहन सिंह बिष्ट और सतीश उपाध्याय के नाम भी इस रेस में हैं.

    चौंकाने वाले चेहरे लेकर आती है BJP
    हालांकि भाजपा हमेशा सीएम पद के लिए कोई ऐसा चेहरा सामने लेकर आती है, जिसका नाम सुनकर सभी लोग हैरान रह जाते हैं. क्योंकि इसके पीछे पार्टी की बड़ी रणनीति रहती है. ऐसे में दिल्ली में भी भगवा पार्टी उन फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए सीएम चेहरे का ऐलान कर सकती है, जिनकी मदद से अगले 5 साल अपने कोर वोट के अलावा अन्य वोटर्स भी उसकी तरफ आकर्षित हों और सत्ता सुचारू ढंग से चल सके.

    क्षेत्रीय समीकरण पर गौर करेगी BJP?
    शनिवार को शानदार जीत हासिल करने के बाद पीएम मोदी ने भाजपा दफ्तर में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और अपने भाषण में दिल्ली के ‘मिनी हिंदुस्तान’ करार दिया. पीएम मोदी के इस टैग का मतलब स्पष्ट था कि वो ये कहना चाह रहे हैं कि दिल्ली एक ऐसी जगह हैं जहां अलग-अलग जातियों, धर्म और यहां तक कि राज्य व क्षेत्रों के वोटर्स/लोग अपना-अपना वर्चस्व रखते हैं. जैसे कि दिल्ली में सबसे बड़ा प्रभाव उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर बसने वाले वोटरों का है. माना जाता है कि 20 सीटें ऐसी हैं जिनपर यूपी-बिहार से आकर बसने वाले वोटर अपना प्रभाव रखते हैं. इसके अलावा 28 सीटें ऐसी हैं जहां पर 10 प्रतिशत से ज्यादा पंजाबी वोटर्स हैं और पार्टी को इन 28 सीटों में 23 में जीत हासिल हुई है.

    कौन कितना मजबूत चेहरा?
    दिल्ली में दूसरे राज्यों के वोटरों को साधने के लिए पार्टी क्षेत्रीय समीकरण अपनाकर सीएम पद का ऐलान कर सकती है. ऐसे में अगर भाजपा क्षेत्रीय समीकरण को साधती है तो पास अजय महावर, अभय वर्मा, मनजिंदर सिंह सिरसा और मोहन बिष्ट जैसे नाम भी है. अजय महावर पूर्वांचली नेता हैं और घोंडा से दूसरी बार चुनाव जीतकर आए हैं. जबकि अभय वर्मा लक्ष्मी नगर से जीते हैं. मोहन बिष्ट की बात करें तो वो उत्तराखंड से आते हैं और ठछीं बार चुनाव जीते हैं. पंजाबी वोटर्स को साधने के लिए पार्टी के पास मनजिंदर सिंह सिरसा सबसे बड़ा चेहरा है.

    जातिगत समीकरण
    जातिगत समीकरण चुनाव में सबसे ज्यादा अहमियत रखता है. ऐसे में भाजपा इस पर भी विचार कर सकती है. इस हिसाब से देखें तो भाजपा ने दिल्ली में 13 जाट बहुल सीटों में से 12 सीटों पर फतह का परचम लहराया है और पार्टी के पास परवेश वर्मा एक बेहतरीन जाट नेता हैं. दूसरे नंबर विजेंद्र गुप्ता वैश्य समुदाय से आते हैं, जो दो बार दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं. अगर पार्टी ब्राह्मण चेहरे की तरफ जाती है तो उसके पास सतीश उपाध्याय जैसे मजबूत उम्मीदवार मौजूद है. साथ ही सिख समुदाय को टार्गेट करने के लिए पार्टी के पास मनजिंदर सिंह सिरसा मौजूद हैं. जो तीसरी बार राजौरी गार्डन से जीते हैं. अगर पार्टी सिरसा के साथ जाती है तो इसका यह कदम पंजाब विधानसभा चुनाव 2027 को प्रभावित कर सकता है. दिल्ली में महिला वोटर्स भी अहम किरदार अदा करती हैं. ऐसे में उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता. अगर पार्टी किसी महिला चेहरे के साथ जाती हो तो उसके पास रेखा गुप्ता हैं. जो शालीमार बाग से जीतकर आई हैं.

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