राजकोषीय और मौद्रिक नीति में बड़े सुधारों के बाद ही 6.4 प्रतिशत की विकास दर संभव – मूडीज।
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मूडीज एनालिटिक्स ने बुधवार को कहा कि कमजोर रुपये, विदेशी निवेश में गिरावट और अस्थिर मुद्रास्फीति जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच यदि अर्थव्यवस्था को 2025 में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी है तो राजकोषीय और ऋण नीतियों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
नई दिल्ली: मूडीज एनालिटिक्स ने बुधवार को कहा कि यदि अर्थव्यवस्था को कमजोर रुपये, घटते विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच 2025 में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी है तो राजकोषीय और ऋण नीतियों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट से घरेलू मांग, विशेषकर निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है। केंद्र सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत से कम रखने का लक्ष्य रखा है। 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.6 प्रतिशत था, जो चालू वित्त वर्ष में घटकर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है। दूसरी ओर, विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार में शेयरों की बिकवाली शुरू कर दी है और विदेशी निवेश तेजी से खत्म हो रहा है। मूडीज एनालिटिक्स की एसोसिएट अर्थशास्त्री अदिति रमन ने कहा कि यदि देश को अगले वर्ष 6.4 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी है तो चालू वर्ष की पहली छमाही में राजकोषीय और ऋण नीतियों में बड़े बदलाव की जरूरत है। उनके अनुसार, चूंकि ब्याज दरें लंबे समय तक उच्चतम स्तर पर रहीं, इसका घरेलू मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
भारत 2024 में एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। हालाँकि, वित्तीय वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि धीमी रही है। दिसंबर के अंत तक तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि में तेजी आने की संभावना है, जिससे 2024-25 में 6.8 प्रतिशत की समग्र विकास दर संभव होगी। 2023 में विकास दर 7.8 प्रतिशत होगी।
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