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    April 23, 2025

    इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया; अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत का सफल प्रयोग।

    1 min read
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    जिन दो उपग्रहों को नियोजित कक्षा में स्थापित किया गया है, वे इसरो की सहायता से निजी क्षेत्र में निर्मित पहले उपग्रह हैं। दोनों उपग्रहों का नाम ‘एसडीएक्स-01’ और ‘एसडीएक्स-02’ है।

    देशभर के वैज्ञानिकों को बधाई
    बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को स्थापित करने का सफल प्रयोग किया। यह इसरो के स्पैडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट) मिशन का हिस्सा था। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा प्रयोग करने वाला चौथा देश बन गया है। इस उपलब्धि के लिए पूरे देश में वैज्ञानिकों को बधाई दी जा रही है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विभिन्न नेताओं ने वैज्ञानिकों को बधाई दी। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने भी वैज्ञानिकों को बधाई दी। इसरो ने ‘एक्स’ पर अपनी टिप्पणी में कहा, ‘भारत ने अंतरिक्ष के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है।’ इसरो के ‘स्पेडेक्स’ मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग प्रयोग में सफलता प्राप्त की। इस क्षण का साक्षी बनकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। डॉकिंग प्रयोग के बाद, दोनों उपग्रहों को इस प्रकार नियंत्रित किया गया मानो वे एक ही हों। अब, आने वाले दिनों में डॉकिंग से मूल स्थिति में परिवर्तन और ऊर्जा के हस्तांतरण पर ध्यान दिया जाएगा।

    डॉकिंग प्रयोग पहले भी दो बार स्थगित किया जा चुका था। 12 जनवरी को दोनों उपग्रहों को एक दूसरे से 3 मीटर की दूरी पर लाया गया और फिर अलग कर दिया गया। इसरो ने 30 दिसंबर को ‘स्पेडेक्स’ मिशन लॉन्च किया था।

    पीएसएलवी-सी60 मिशन ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो एसपीईडीईएक्स उपग्रहों को वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किया। इस मिशन में अनुसंधान एवं विकास के लिए 24 और ‘पेलोड’ हैं। ये ‘पेलोड’ हैं, उपग्रह नहीं। इन्हें पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण में जोड़ा जाएगा। अगले दो महीनों में इस पर प्रयोग किये जायेंगे। यह सिर्फ एक स्पैडेक्स अभियान नहीं होगा, बल्कि आगे चलकर ऐसे कई और अभियान चलाए जाएंगे। दोनों उपग्रहों का वजन 220 किलोग्राम है।

    इन उपग्रहों का निर्माण और परीक्षण अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एटीएल) द्वारा किया गया है। उपग्रहों का निर्माण कंपनी के बेंगलुरू स्थित अत्याधुनिक केंद्र में किया गया।

    निजी क्षेत्र के लिए असीमित अवसर
    अंतरिक्ष उद्योग संघों ने विश्वास व्यक्त किया कि इसरो के सफल उपग्रह डॉकिंग प्रयोग ने निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अनंत अवसर खोल दिए हैं। संगठनों ने कहा कि यदि निजी क्षेत्र विकसित होता है, तो भारत अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बना सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए. क. भट्ट ने कहा कि यह प्रयोग वास्तव में कई संभावनाओं के द्वार खोलता है, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने से लेकर भविष्य में अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने तक। उन्होंने कहा कि इस प्रयोग से निजी अंतरिक्ष उद्योग का तेजी से विकास होगा।

    सफल डॉकिंग प्रयोग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों को बधाई। यह भारत के भावी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

    इसरो ने अंततः यह कर दिखाया। ‘स्पेडेक्स’ ने अविश्वसनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। डॉकिंग प्रयोग सफल रहा और यह सब स्वदेशी उपकरणों की मदद से हुआ। यह ‘भारतीय डॉकिंग’ तंत्र है। इससे चंद्रयान-4 और गगनयान सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशन अधिक सुगम हो जाएंगे। – जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्य मंत्री

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