बजट में महिलाओं के लिए बड़ा ऐलान कर सकती हैं वित्त मंत्री, जानकारों ने क्या जताई उम्मीद?
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Budget 2025: दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने महिलाओं को नकद राशि दिये जाने की घोषणा की हैं. इससे पहले, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी इस प्रकार की घोषणाएं देखने को मिली थीं.
केंद्र सरकार के प्रस्तावित बजट से पहले इकोनॉमिस्ट ने कहा कि सरकार बजट में महिलाओं की सहायता के लिए कैश ट्रांसफर की केंद्रीय योजना लाने पर विचार कर सकती है. साथ ही इकोनॉमी को रफ्तार देने और खपत बढ़ाने के लिए चाहे वह डायरेक्ट टैक्स हो या फिर इनडायरेक्ट टैक्स, करों में कटौती पर गौर कर सकती है. इकोनॉमिस्ट का यह भी कहना है कि ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि और तटीय गतिविधियों जैसे क्षेत्रों लिए एक नई सब्सिडी व्यवस्था की जरूरत है, जिसपर बजट में ध्यान दिया जा सकता है.
एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. यह उनका लगतार आठवां और प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा. बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने कहा, ‘बजट में महिलाओं की सहायता के लिए कैश ट्रांसफर की केंद्रीय योजना लाने पर विचार किया जा सकता है. इसका कारण हमने अध्ययन में पाया है कि इससे वास्तव में परिवार को खासकर पोषण के मामले में ज्यादा लाभ मिल रहा है.’
महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर विचार करने की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसे इस रूप से शुरू किया जाए जिससे राजकोष पर कोई पर बोझ न पड़े. इसके लिए, हमें महिलाओं से संबंधित दूसरी मिलती-जुलती योजनाओं पर फिर से विचार करने की जरूरत है.’ इस बारे में अर्थशास्त्री एवं शोध संस्थान आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘मेरे हिसाब से महिलाओं को कैश ट्रांसफर किया जाना अहम पहल है और इसे शुरू किया जा सकता है. इसका कारण यह पाया गया है कि महिलाओं को नकद हस्तांतरण योजना के परिणाम कुपोषण दूर करने, आत्मसम्मान जैसे लाभों के साथ कई अन्य योजनाओं के मुकाबले बेहतर हैं.’
राजनीतिक दलों ने महिलाओं को नकद राशि दिये जाने के लिए कहा
आपको बता दें दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने महिलाओं को नकद राशि दिये जाने की घोषणा की हैं. इससे पहले, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी इस प्रकार की घोषणाएं देखने को मिली थीं. इस बारे में एनआईपीएफपी (NIPFP) में प्रोफेसर और म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की संचालन प्रबंधन मंडल की मेंबर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘महिलाओं के हाथों में नकद ट्रांसफर एक अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन यह आजीविका संकट से निपटने के लिए शॉर्ट टर्म का उपाय है. महिलाओं को रोजगार और लोन डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करना उन्हें लंबे समय में मदद कर सकता है.’
पीएम किसान सम्मान निधि की राशि भी बढ़ सकती है
किसान सम्मान निधि के तहत राशि बढ़ाये जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा, ‘किसान सम्मान निधि से पूर्व में फायदा देखने को मिला है. इससे… वास्तव में छोटे और सीमांत किसानों को ज्यादा बढ़ावा मिला है.’ चतुर्वेदी आरबीआई (RBI) निदेशक मंडल के मेंबर भी हैं. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, सरकार इसे कृषि से जुड़ी विनिर्मित वस्तुओं की खरीद से जोड़ सकती है ताकि कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण बढ़े. इसलिए 6,000 रुपये नकद देने के बजाय, उन्हें ज्यादा राशि दी जा सकती है ताकि वे कृषि के लिए उपयोगी छोटे उपकरण खरीद सकें. इससे विनिर्माण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा.’
छह से सात प्रतिशत लोग ही देते हैं इनकम टैक्स
बजट में टैक्स के मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा, ‘वित्त मंत्री क्या करेंगी, इस बारे में मैं अनुमान नहीं लगाया जा सकता. हालांकि यह सही है कि इकोनॉमी को गति देने के लिए टैक्स का बोझ कम किया जा सकता है. चाहे वह अप्रत्यक्ष टैक्स हो या प्रत्यक्ष कर. वैसे मेरा मानना है कि अप्रत्यक्ष कर (GST) में कटौती ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसका प्रभाव सभी पर पड़ेगा.’ उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं, आयकर छह से सात प्रतिशत लोग देते हैं. इसलिए, अगर आप प्रत्यक्ष कर में कटौती करते हैं तो आप केवल छह से सात प्रतिशत लोगों को ही लाभ पहुंचा रहे हैं…मेरे हिसाब से जीएसटी अर्थव्यवस्था में खपत के मुद्दे से निटपने का एक बेहतर तरीका है.’
इस बारे में चतुर्वेदी ने भी कहा, ‘आयकर में कटौती का किसी को कोई खास लाभ नहीं मिलेगा. शुल्क दरों में कमी और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है.’ चक्रवर्ती ने कहा, ‘कर दरों में कटौती से लोगों के हाथ में खर्च योग्य आय बढ़ सकती है, जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा. मुझे उम्मीद है कि इस बजट में कर राहत की कोई घोषणा की जाएगी.’ एक अन्य सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा, ‘भारत ने चुनावी वर्षों में भी राजकोषीय समझदारी का परिचय दिया है, इसलिए घाटा कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है.
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