क्या होता है मनी लेंडिंग बिजनेस, कैसे स्टूडेंट को टारगेट कर विवेक ओबेरॉय ने खड़ा किया ₹3400 करोड़ का साम्राज्य।
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साल 2002 में फिल्म गैंग्सटर से फिल्मी दुनिया में डेब्यू करने वाले एक्टर विवेक ओबेरॉय एक बार फिर से चर्चा में हैं. इस बार अपनी फिल्म को लेकर नहीं बल्कि बिजनेस को लेकर वो छाए हुए हैं. एक्टिंग के साथ-साथ वो बिजनेस वर्ल्ड में भी छा गए हैं.
साल 2002 में फिल्म गैंग्सटर से फिल्मी दुनिया में डेब्यू करने वाले एक्टर विवेक ओबेरॉय एक बार फिर से चर्चा में हैं. इस बार अपनी फिल्म को लेकर नहीं बल्कि बिजनेस को लेकर वो छाए हुए हैं. एक्टिंग के साथ-साथ वो बिजनेस वर्ल्ड में भी छा गए हैं. वो भी ऐसे की उन्होंने देखते-देखते ही 3400 करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा कर दिया. मनी लैंडिंग बिजनेस के जरिए विवेक ने अपने स्टार्टअप की वैल्यूएशन 3400 करोड़ रुपये पर पहुंचा दी.
क्या है विवेक ओबरॉय का बिजनेस ?
हाल ही में एक इंटरव्यू में विवेक ओबरॉय ने अपने स्टार्टअप बिजनेस के बारे में बताया. विवेक ने बताया कि कैसे उन्होंने छात्रों को टारगेट करते हुए अपना मनी लेंडिंग बिजनेस शुरू किया. विवेक ने कहा कि कैसे इस बिजनेस से उन्हें कुछ ही सालों में भारी फायदा मिला और आज उनकी कंपनी का मूल्य 3400 करोड़ रुपये पर पहुंच गयाय. अपने स्टार्टअप के जरिए विवेक एजुकेशन लोन बांटते हैं. उन्होंने B2B नेटवर्क में 12000 से अधिक कॉलेजों-यूनिवर्सिटी के साथ टायअप कर रखा है. इसके अलावा B2C के जरिए वो 45 लाख छात्रों से सीधे जुड़े हैं. इसकी बदौलत उनकी कंपनी का वैल्यूएशन 3400 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है. उनका एजुकेशन फाइनेंसिंग स्टार्टअप छात्रों को बिना कोलेटरल यानी बगैर कुछ गिरवी रखे लोन देती है, ताकि छात्र अपनी फीस आसानी से भर सकें. लोन के जरिए ब्याज से होने वाली कमाई से उनका बिजनेस बढ़ता जा रहा है.
क्या होता है मनी लेंडिंग बिज़नेस
मनी लेडिंग बिजनेस का मतलब है किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे उधार देना. इस बिजनेस में उधार या लोन के बदले ब्याज़ और अन्य शुल्क चुकाना होता है. आम तौर पर बैंकों के जरिए लोन बांटे जाते हैं, लेकिन अब एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों भी लोन बांटकर कमाई कर रही है. विवेक की कंपनी भी यही काम करती है. ब्याज पर पैसे बांटने के लिए मनी लैंडिंग एक्ट के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है. इस लाइसेंस के बाद आप लोन बांटकर और ब्याज के जरिए कमाई कर सकते हैं. बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें कागजों की कमी के चलते बैंकों से लोन नहीं मिल पाता है. ऐसे में लोगों के लिए माइक्रो फाइनेंस कंपनियां मददगार साबित होती है.
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