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    April 29, 2025

    जो देख नहीं सकते उनकी आंख बनेगा ये AI वाला चश्मा, सड़क में गढ्ढे बताएगा साइन बोर्ड भी पढ़ेगा।

    1 min read
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    चश्मा पहनने पर एआई वाले ग्लास से चेहरे की पहचान में मदद मिलेगी और लोग दवाओं और खाने पीने की चीजों में अंतर कर सकेंगे.

    यूपी के लखीमपुर खीरी के एक छोटे से कस्बे गौरिया में जन्मे मुनीर खान ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए हाल ही में एआई वाला चश्मा तैयार किया है जिसे एआई-विजन प्रो के नाम से जाना जाता है. खान का कहना है कि उनके सभी इनोवेशन ने आम लोगों की रोजाना की जिंदगी को आसान बनाया है. चाहे वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विकसित हाइड्रोहोमी नाम का स्मार्ट वाटर बॉटल हो जो शरीर में पानी का लेवल पता लगाकर तत्काल पानी पीने का सुझाव देता है या मिट्टी की जांच वाला स्मार्ट डिवाइस जिससे किसानों को मिनटों में अपनी मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पहचान करने में मदद मिली.

    उनके स्मार्ट वाटर बॉटल को कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा बेस्ट प्रोजेक्ट का अवार्ड दिया गया. मिट्टी की जांच करने वाले उनके स्मार्ट डिवाइस के लिए जुलाई में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें “यंग साइंटिस्ट अवार्ड” से सम्मानित किया. अब मुनीर ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए एआई वाला चश्मा डिवेलप किया है जिसे एआई-विजन प्रो का नाम दिया गया है.

    मुनीर ने बताया, “दृष्टि बाधित लोगों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले चश्मे 17 से 19 दिसंबर तक आईआईटी, मुंबई में आयोजित टेकफेस्ट में लोगों को दिए जाएंगे.” उन्होंने कहा, “इन चश्मों से लोगों को डेली लाइफ में सहूलियत मिलेगी. सेंसर्स, कैमरे, एनविडिया जेटसन प्रोसेसर्स, लिडार टेक्नोलॉजी और एआई मॉडल कंप्यूटेशन से इंटीग्रेट विजनप्रो चश्मे आसपास के माहौल की सटीक अनुभूति प्रदान करेंगे.”

    उन्होने बताया, “चश्मा पहनने पर एआई वाले ग्लास से चेहरे की पहचान में मदद मिलेगी और लोग दवाओं और खाने पीने की चीजों में अंतर कर सकेंगे. साथ ही वे चलते-फिरते समय आने वाली अड़चनों को भी पहचान सकेंगे. इसके अलावा, लिखी हुई चीजों को वे पढ़कर उसका अर्थ समझ सकेंगे.” मुनीर ने कहा कि आईआईटी बांबे में एशिया के सबसे बड़े टेकफेस्ट के दौरान पहली बार लोगों के सामने इस अनूठे चश्मे को अनवील करने की घोषणा करते हुए आयोजक रोमांचित हो गए.

    खीरी के गौरिया गांव में एक गरीब परिवार में जन्मे मुनीर जब महज एक साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया. उनके चार भाइयों और मां ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की. अपने गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद मुनीर ने एक प्राइवेट इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने भीमताल स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लायड साइंसेज़ में दाखिला लिया. बाद में फेलोशिप मिलने पर उन्होंने फ्रांस और रूस में इंटर्नशिप की जिससे एआई और सेंसर टेक्नोलॉजी में उनकी रुचि पैदा हुई.

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