चारों तरफ जमीन से घिरा, 77 लाख की आबादी…क्यों छोटा सा देश लाओस भारत के लिए है अहम?
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लाओस दक्षिण पूर्व एशिया का एक देश है, जिसकी आबादी महज 77 लाख है. यह पूरी तरह जमीन से घिरा हुआ देश है. लेकिन रणनीतिक रूप से देखें तो इसकी सीमा पूर्व में वियतनाम, दक्षिण पूर्व में कंबोडिया, उत्तर पश्चिम में चीन और म्यांमार और दक्षिण पश्चिम में थाइलैंड से लगती है.
लाओस के दो दिन के दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी रवाना हो गए हैं. वह 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस बार आसियान की अध्यक्षता लाओस के हाथों में है. यहां यह समझना भी बेहद जरूरी है कि एक छोटा सा देश लाओस रणनीतिक रूप से इतना अहम क्यों है? इस देश के साथ भारत के रिश्ते कैसे हैं और क्यों पीएम मोदी इसे तवज्जो दे रहे हैं.
लाओस दक्षिण पूर्व एशिया का एक देश है, जिसकी आबादी महज 77 लाख है. यह पूरी तरह जमीन से घिरा हुआ देश है. लेकिन रणनीतिक रूप से देखें तो इसकी सीमा पूर्व में वियतनाम, दक्षिण पूर्व में कंबोडिया, उत्तर पश्चिम में चीन और म्यांमार और दक्षिण पश्चिम में थाइलैंड से लगती है. भारत के लिए लाओस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह चीन और म्यांमार से घिरा हुआ है. इसकी भौगोलिक स्थिति भी कारोबारी नजरिए से बेहद अहम है. इस देश पर कभी जापान का कब्जा रहा तो कभी फ्रांस का. इसे स्वतंत्रता मिली थी साल 1953 में. इसके बाद चीन ने इस देश में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश की.
भारत का अहम दोस्त है लाओस
भारत ने भी जल्द ही लाओस की रणनीतिक अहमियत को समझते हुए फरवरी 1956 में उसके साथ अच्छे रिश्ते स्थापित किए. 1954 में देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने लाओस का दौरा किया था. इसके बाद 1956 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद लाओस गए थे. जिस तरह से दक्षिण चीन सागर में चीन अपना दावा ठोकता है और उसकी विस्तारवादी नीतियों के कारण लाओस और भी अहम हो जाता है.
लाओस की खास बातें
भारत और लाओस के बीच अच्छे रिश्ते हैं. कार्गो और यात्री परिवहन के लिए मेकांग नदी एक अहम रास्ता है. इसी नदी से लाओस बिजली बनाता है और पड़ोसियों को भी देता है. लाओस में साल 2008 में भारत ने एयरफोर्स अकैडमी खोलने का फैसला किया था. इसके अलावा वक्त-वक्त पर भारत लाओस की आर्मी को एडवांस टेक्नोलॉजी भी देता रहता है. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच व्यापार और साइंस एंड टेक्नोलॉजी को लेकर भी काफी समझौते हुए हैं.
कोरोना का कहर जब टूटा था, तब भी लाओस को भारत ने मदद पहुंचाई थी, जिसकी लाओस ने भरपूर तारीफ की थी. कई मामलों में लाओस ने भारत का साथ दिया है. भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने की कोशिशों का लाओस ने समर्थन किया है. इतना ही नहीं, उसने राम मंदिर उद्घाटन समारोह का डाक टिकट भी जारी किया था. ऐसा करने वाला लाओस पहला देश था.
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