राहुल द्रविड़ को सलाम…लॉयल्टी के लिए ‘ब्लैंक चेक’ भी ठुकराया, 13 साल पहले की घटना से है नाता।
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भारतीय टीम को टी20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी दिलाने के बाद राहुल द्रविड़ ने कोच के रूप में अपनी विदाई के तीन महीने से भी कम समय बाद नई टीम को जॉइन कर लिया है. पूर्व कप्तान अपने अगले कोचिंग असाइनमेंट के लिए लौट रहे हैं.
भारतीय टीम को टी20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी दिलाने के बाद राहुल द्रविड़ ने कोच के रूप में अपनी विदाई के तीन महीने से भी कम समय बाद नई टीम को जॉइन कर लिया है. पूर्व कप्तान अपने अगले कोचिंग असाइनमेंट के लिए लौट रहे हैं. वह आईपीएल 2025 (IPL 2025) में राजस्थान रॉयल्स के कोच होंगे. इस फ्रेंचाइजी के लिए वह पहले भी खेल चुके हैं. यहां तक की टीम के मेंटर भी रहे हैं. द्रविड़ के पास कई ऑफर थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ राजस्थान को ही चुना.
आरसीबी से राजस्थान आए थे द्रविड़
द्रविड़ ने अपना आईपीएल करियर 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु (RCB) के साथ शुरू किया था. तीन सीजन टीम के लिए खेलने के बाद वह एक नई फ्रेंचाइजी के साथ जुड़ गए. कुछ ही समय में द्रविड़ और रॉयल्स के बीच अच्छे संबंध बन गए. 2013 में क्रिकेट से रिटायर होने के बाद द्रविड़ कुछ समय के लिए ब्रॉन्डकास्टिंग में भी नजर आए, लेकिन उन्हें कोचिंग ही रास आई.
फैमिली के लिए द्रविड़ ने IPL को चुना
द्रविड़ ने भारतीय अंडर-19 और ए टीमों को कोचिंग दी. इसके बाद उन्हें नेशनल टीम का कोच बना दिया गया. उन्होंने टीम को टी20 वर्ल्ड कप में जीत दिलाई. द्रविड़ अपनी फैमिली के साथ-साथ क्रिकेट को भी समय देना चाहते थे. पूर्व भारतीय कप्तान को कुछ ऐसा चाहिए था जो उन्हें काम और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद कर सके. ऐसे में आईपीएल से बेहतर ऑप्शन क्या हो सकता था.
द्रविड़ ने ‘ब्लैंक चेक’ ठुकराया
द्रविड़ राजस्थान रॉयल्स के साथ जुड़ना चाहते थे. यह फ्रेंचाइजी उनके दिल के करीब है. एक रिपोर्ट के अनुसार, द्रविड़ इतने निश्चित थे कि राजस्थान को कोच करने के अपने निर्णय के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा. यहां तक कि उन्होंने कई आईपीएल फ्रेंचाइजी से मिले ‘ब्लैंक चेक’ को भी स्वीकार नहीं किया. राजस्थान के लिए उन्होंने कई टीमों के ऑफर को ठुकरा दिया.
द्रविड़ ने राजस्थान को ही क्यों चुना?
दरअसल, द्रविड़ जब आरसीबी में थे तो वह टीम के साथ पूरी तरह ईमानदार थे. द्रविड़ ने आरसीबी के लिए 2008 में 371 रन, 2009 में 271 और 2010 में 256 रन बनाए थे. 2011 आईपीएल से पहले जब खिलाड़ियों की नीलामी हुई तो आरसीबी ने द्रविड़ का दिल तोड़ दिया. उसने पहले तो अपने पूर्व कप्तान को रिटेन नहीं किया. उसके बाद नीलामी में उन्हें नहीं खरीदा. ऑक्शन टेबल पर मौजूद आरसीबी के मेंटर अनिल कुंबले और मालिक विजय माल्या ने द्रविड़ के लिए बोली नहीं लगाई. ऐसा लग रहा था कि द्रविड़ को कोई नहीं खरीदेगा तो राजस्थान रॉयल्स ने बोली लगा दी. इस फ्रेंचाइजी ने उसके ऊपर तब विश्वास किया जब किसी अन्य फ्रेंचाइजी ने नहीं किया था.
राजस्थान में छा गए द्रविड़
राजस्थान की टीम में द्रविड़ आए और अपने पहले सीजन में 343 रन बनाकर अच्छी शुरुआत की. अगले साल इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद द्रविड़ ने IPL 2012 में रॉयल्स की कप्तानी की. उन्होंने 462 रन बनाए. 2013 में फ्रेंचाइजी के तीन क्रिकेटरों पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया था. आईपीएल स्पॉट-फिक्सिंग घोटाले में शामिल पाए जाने के बावजूद द्रविड़ ने वही किया जो वह जानते थे. उन्होंने अपनी टीम और बैटिंग पर ध्यान दिया. द्रविड़ ने 471 रन बनाए, जिसमें चार अर्धशतक शामिल थे. राजस्थान 2008 के बाद पहली बार प्लेऑफ में पहुंचा. दुर्भाग्य से उनकी टीम आईपीएल नहीं जीत पाई. उन्होंने रिटायर होने से पहले टीम को चैंपियंस लीग टी20 के फाइनल तक पहुंचाया. उन्होंने अपने बेहतरीन संबंधों के कारण ही राजस्थान को फिर से चुना है.
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