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    April 23, 2025

    महीने के 80 रुपये कमाने से साल के 8 करोड़ रुपये तक का सफर; देशी गायों के बल पर हुई प्रगति।

    1 min read
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    खेती से मुनाफा कमाने के बाद रमेश ने अपनी चार एकड़ जमीन खरीदी और खेती के साथ-साथ गाय पालन का व्यवसाय भी शुरू किया।

    हर इंसान अपने सपनों को पूरा करने के लिए जीता है। दुनिया में हर व्यक्ति का सपना अलग-अलग होता है। कुछ लोग अपनी पसंदीदा चीज़ से कुछ नया बनाने का प्रयास करते हैं। इस सपने को साकार करने के लिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं। आज हम एक ऐसे ही सफल व्यक्ति की प्रेरणादायक यात्रा साझा करने जा रहे हैं, जिन्होंने गरीबी से जूझते हुए कड़ी मेहनत से अपना व्यवसाय खड़ा किया।

    दरअसल, पशुपालन हमारे देश में किसानों की समृद्धि का आधार रहा है। हालाँकि समय बदल गया है, कई लोग पुराने पारंपरिक व्यवसायों पर नए सिरे से विचार कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं रमेश रूपारेलिया, जो कभी सिर्फ 80 रुपये कमाते थे, अब 8 करोड़ रुपये सालाना कमाते हैं।

    गुजरात के एक छोटे से गाँव में रहने वाले रमेश रूपारेलिया को बचपन से ही अपने जीवन में कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इसलिए उन्होंने केवल सातवीं कक्षा तक ही अपनी शिक्षा पूरी की। रमेश को बचपन से ही संगीत का शौक था। उन्हें गायों से भी बहुत प्रेम था. 2010 में उन्होंने खेती शुरू करने का फैसला किया, लेकिन रमेश के पास अपनी जमीन भी नहीं थी. उन्होंने गोंडल में एक जैन परिवार से जमीन किराए पर ली थी। वे कृषि में रसायनों का प्रयोग नहीं करते थे। वे केवल गाय के गोबर का उपयोग खाद के रूप में करते थे। खेती में रमेश को लाखों रुपए का मुनाफा हुआ।

    गायों के लिए गौशाला बनाई गई
    खेती से मुनाफा कमाने के बाद रमेश ने अपनी चार एकड़ जमीन खरीदी और खेती के साथ-साथ गाय पालन का व्यवसाय भी शुरू किया। कृषि में उन्होंने वैदिक गौपालन तथा गौ-आधारित कृषि का प्रयोग किया। आज वह ‘श्री गिर गौ कृषि जत्थान संस्था’ नाम से अपना गोठा चलाते हैं। वह गीर गाय के दूध से बना ऑर्गेनिक घी बेचकर करोड़ों रुपये कमाते हैं।

    आज उनके पास 250 से ज्यादा गिर गायें हैं. उनकी गौशाला को देखने के लिए देशभर से लोग आते हैं। यहां उत्पादित दूध, छाछ, मक्खन और घी की भी काफी मांग है। छोटे पैमाने से शुरू हुआ उनका कारोबार अब 123 देशों तक फैल चुका है। रमेश ने अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए अपने उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में लाया और आवश्यक प्रमाणपत्र और लाइसेंस प्राप्त किये। वह साल में करीब आठ करोड़ रुपये कमाते हैं।

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