इस शहर की मेयर ने क्रिकेट पर लगाया बैन, बांग्लादेशी मुस्लिमों से है दिक्कत.
1 min read
|








इटली के शहर मोनफालकोन की कुल आबादी 30 हजार है. इनमें से एक तिहाई विदेशी प्रवासी हैं, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेशी मुस्लिम हैं. जाहिर है कि बांग्लादेश में क्रिकेट का जूनून सिर चढ़कर बोलता है. 1990 के दशक में क्रूज शिप बनाने के लिए इनका मजदूरों के रूप में यहां आगमन हुआ.
क्या आपने सुना है कि क्रिकेट खेलने पर जुर्माना लगाया जा सकता है? जी हां, इटली के शहर मोनफालकोन (Monfalcone) शहर में ये हकीकत है. इस शहर में यदि कोई क्रिकेट खेलता पाया जाता है तो उस पर 100 यूरो (करीब 9200 रुपये) का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है. नतीजतन शहर के सभी प्रमुख मैदानों और मोहल्लों में पुलिस सीसीटीवी से नजर रखती है कि क्या कहीं किसी गली-मोहल्ले, मैदान में क्रिकेट तो नहीं खेला जा रहा है?
बैन की वजह क्या है?
दरअसल इटली के शहर मोनफालकोन की कुल आबादी 30 हजार है. इनमें से एक तिहाई विदेशी प्रवासी हैं, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेशी मुस्लिम हैं. जाहिर है कि बांग्लादेश में क्रिकेट का जूनून सिर चढ़कर बोलता है. 1990 के दशक में क्रूज शिप बनाने के लिए इनका मजदूरों के रूप में यहां आगमन हुआ. धीरे-धीरे इनकी आबादी बढ़ती गई. स्वाभाविक है कि ये क्रिकेट खेलने लगे और सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने लगे. इन सबसे वहां के स्थानीय लोगों को ये खतरा पैदा हुआ कि यदि इसी तरह से ये बांग्लादेशी आते रहे तो शहर की सांस्कृतिक अस्मिता खतरे में पढ़ जाएगी. इन सबका नतीजा ये हुआ कि यहां धुर दक्षिणपंथी लीग पार्टी की नेता एना मारिया सिसिन इसी मुद्दे पर चुनाव लड़कर जीत गईं. प्रवासी विरोधी भावनाओं की पृष्ठभूमि में उन्होंने अपने टाउन को इन सब विदेशी संस्कृतियों से बचाने और ईसाई मूल्यों को बचाए रखने का फैसला किया है. बीबीसी से बात करते हुए मेयर ने कहा कि इस तरह तो हमारा इतिहास मिट जाएगा. लिहाजा क्रिकेट को बांग्लादेशी मुस्लिमों के खिलाफ प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करते हुए उसको खेलने पर बैन लगा दिया गया है.
मोनफालकोन में बांग्लादेशी रेस्टोरेंट, हलाल शॉप, शलवार-कमीज और हिजाब में महिलाएं दिखती हैं. सार्वजनिक जगहों, साइकिल पथ बीच-बीच में जहां बेंच लगी थीं और बांग्लादेशी समुदाय एकत्र होता था, उन सभी बेंचों को हटा दिया गया है. दो इस्लामिक केंद्रों में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी गई है. मेयर ने बीबीसी की इस रिपोर्ट के लिए बात करते हुए कहा कि यहां पर इस्लामिक कट्टरवाद की प्रक्रिया पूरी ताकत से चल रही है. उन्होंने तो उलटे ही बीबीसी से सवाल पूछ लिया कि बताइए कि इनको यहां के मूल निवासियों जैसी सुविधाएं क्यों दी जानी चाहिए? बदले में ये हमें क्या दे रहे हैं? क्रिकेट के बैन के बारे में उनका कहना है कि हमारे पास क्रिकेट पिच बनाने के लिए न ही पैसा है और न ही जगह. वैसे भी क्रिकेट गेंद से खतरा पैदा होता है क्योंकि ये किसी को भी लग सकती है. अगर इनको क्रिकेट खेलने का इतना शौक है तो इस शहर से बाहर चले जाएं और वहां खेलें. अपनी इस तरह की बयानबाजी के कारण मेयर को जान से मारने की कई धमकियां भी मिल चुकी हैं. लिहाजा सरकार ने उनको चौबीसो घंटे पुलिस की सुरक्षा दे रखी है. कैसे पहुंचे बांग्लादेशी?
दरअसल इटली में यहां के निकटवर्ती फिनसेंटियरी (Fincantieri) शिपयार्ड है जोकि यूरोप में सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे बड़े शिपयार्डों में शुमार है. जहाज बनाने के लिए इसके संचालक विदेशी श्रमिकों पर ज्यादा भरोसा करते हैं क्योंकि ये स्थानीय लोगों की तुलना में अधिक सस्ते और कुशल श्रमिक हैं. इसलिए शिपयार्ड में विदेशी मजदूरों खासकर बांग्लादेशियों की भर्ती की जाती है. शिपयार्ड के संचालकों का कहना है कि हमको यूरोप में काम के कुशल कारीगर नहीं मिलते. खासबात ये भी है कि इटली में जन्मदर पूरे यूरोप में सबसे कम है. पिछले साल पूरे इटली में 3,79000 नवजातों का जन्म हुआ. यहां प्रति महिला जन्म दर 1.2 है.
क्या कहते हैं बांग्लादेशी?
इन सब प्रतिबंधों से यहां का प्रवासी बांग्लादेशी समुदाय नाराज है. उसका कहना है कि यदि हमारी वर्कफोर्स यहां से चली जाए तो यहां शिपयार्ड में एक जहाज को बनाने में पांच साल लगेंगे लेकिन फिर भी हमारी अहमियत को नहीं समझा जा रहा है. हमारे साथ भेदभाव हो रहा है. कई लोगों ने तो बीबीसी से कहा कि उनका वर्क लिमिट पूरा हो जाने पर वो वापस अपने मुल्क लौट जाएंगे. वहीं दूसरी तरफ मेयर यूरोपीय पार्लियामेंट के लिए निर्वाचित हो गई हैं और इस मुद्दे पर उनकी आवाज अब ब्रुसेल्स में सुनाई देगी.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments