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    April 24, 2025

    विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का साथ, हरियाणा चुनाव में कितना मजबूत करेगा कांग्रेस का हाथ?

    1 min read
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    चर्चित पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के शामिल होने से हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कितना सियासी फायदा हो सकता है? लंबे समय से जारी तमाम तरह की अटकलों पर शुक्रवार को विराम लग गया. वहीं, सियासी जगत में अब इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है.

    पेरिस ओलंपिक में 100 ग्राम ज्यादा वजन के चलते मेडल से चूक गईं महिला पहलवान विनेश फोगाट और ओलंपियन रेसलर बजरंग पूनिया शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल, मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा, हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदयभान और हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया भी इस मौके पर मौजूद थे.

    विनेश फोगाट की राजनीति में एंट्री की तरह ही उनके चुनाव लड़ने की संभावना भी जताई जा रही है. वहीं, बजरंग पूनिया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे. कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं. बुरे दिनों में उन्हें कांग्रेस से काफी समर्थन मिला था.

    कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले रेलवे की नौकरी से विनेश का इस्तीफा
    इसके एक दिन पहले कुश्ती के अखाड़े के दोनों धुरंधर खिलाड़ियों ने दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी. वहीं, कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मिले. कांग्रेस मुख्यालय पहुचने से पहले ही विनेश फोगाट ने रेलवे की अपनी नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया. अपने त्याग पत्र को विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया.

    दिल्ली में दीपेंद्र हुड्डा, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का काफिला
    पार्टी सूत्रों के मुताबिक, विनेश फोगाट चरखी दादरी, बाढ़डा या जुलाना से चुनाव लड़ सकती हैं. ज्यादा चर्चा इस बात की है कि कांग्रेस जींद जिले की जुलाना विधानसभा सीट से विनेश फोगाट को चुनाव लड़ा सकती है. क्योंकि इसी इलाके में विनेश फोगाट की ससुराल है. विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से लौटकर दिल्ली आई थीं तो उनके स्वागत में रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के एयरपोर्ट पहुंचने के बाद से इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. क्योंकि दिल्ली एयरपोर्ट से निकले विनेश फोगाट के काफिले की जीप में दीपेंद्र हुड्डा, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया साथ बैठे थे.

    भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने की थी विनेश को राज्यसभा भेजे जाने की मांग
    दीपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इसके संकेत दिए थे. उन्होंने विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजे जाने की मांग उठाई थी. हालांकि, यह नहीं हो सका, लेकिन कांग्रेस हरियाणा के विधानसभा चुनाव में विनेश फोगाट की लोकप्रियता का फायदा उठाना चाह रही है. आइए, जानते हैं कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के साथ आने से हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को क्या सियासी फायदा हो सकता है.

    कुश्ती संघ की राजनीति और सड़क पर प्रदर्शन के बाद सियासत
    साल भर से ज्यादा समय पहले जब भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप के साथ आंदोलन के लिए सामने आए महिला पहलवानों का कांग्रेस ने समर्थन करते हुए काफी मदद की थी. पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा और रणदीप सिंह सुरजेवाला उनके साथ खुलकर खड़े हुए थे. इसके बाद माना जाने लगा था कि जल्दी ही हरियाणा के अंदर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में पहलवानों की मदद ली जा सकती है. हरियाणा में एक दशक से कांग्रेस सत्ता से बाहर है.

    विनेश फोगाट के लिए हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति
    दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे.

    लंबे समय से विनेश को चुनाव लड़ाने की कोशिश में कांग्रेस
    विनेश फोगाट ने सरकार विरोधी किसान आंदोलन को भी जमकर समर्थन दिया था. बीते दिनों शंभू बॉर्डर पर जारी किसानों के धरने में भी वह पहुंची थीं. वहीं, जींद में एक सामाजिक कार्यक्रम में भी उनका भव्य स्वागत किया गया था. खाप पंचायतों ने तो विनेश फोगाट को अलग से गोल्ड मेडल दे दिया और उनके लिए भारत रत्न तक की मांग कर डाली थी. लगभग सभी जगह कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ देखकर विनेश फोगाट के चुनाव लड़ने की भविष्यवाणियां की जाने लगी थी.

    हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट का मशहूर सियासी समीकरण
    राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य की पूरी राजनीति जाट बनाम गैर जाट के सियासी और जातीय गोलबंदी के समीकरण पर चलती है. हरियाणा में पिछले एक दशक से जारी भाजपा की सरकार में गैर जाट नेताओं की ताकत बढ़ी है. भाजपा ने पहले मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. इससे पहले साल 2005 से 2014 तक हरियाणा में कांग्रेस ने जाट बिरादरी से आने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया हुआ था. इसको लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंदिता सतह पर आ चुकी है.

    हरियाणा का जातीय समीकरण, किस जाति की कितनी संख्या?
    राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में जाट समाज की आबादी 22 फीसदी, दलित समुदाय की संख्या 21 फीसदी, ओबीसी वर्ग की आबादी 30 फीसदी और ब्राह्मणों की संख्या 8 प्रतिशत है. वहीं, वैश्य 5 फीसदी, पंजाबी 8 फीसदी, राजपूत 3.5 फीसदी, मुस्लिम 3.5 फीसदी है. इसके अलावा बाकी जातियों की सियासी भागीदारी नगण्य है. इसलिए, ज्यादातर बार जाट और बाकी जातियों का समीकरण ही सियासत में चलता है.

    विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया से कांग्रेस को फायदे की उम्मीद
    विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं. हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं. इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है.

    कांग्रेस के मुकाबले के लिए जाट नेताओं को जोड़ने में जुटी भाजपा
    दूसरी ओर, हरियाणा में गैर जाट राजनीति करने का आरोप लगने के जवाब में भाजपा ने बड़ी संख्या में जाट नेताओं को आगे बढ़ाने का दावा किया है. भाजपा ने ओम प्रकाश धनखड़ को राष्ट्रीय सचिव बनाया है. वहीं, हाल ही में किरण चौधरी और सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा है. विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने कई जाट नेताओं को टिकट दिया है. इनमें से कई नेताओं ने दल बदल कर भाजपा का टिकट हासिल किया है.

    विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया से कांग्रेस को हरियाणा में क्या मिलेगा?
    विनेश फोगाट के कांग्रेस में शामिल होने से हरियाणा की राजनीति में असर पड़ने की बात इसलि भी कही जा रही है कि खाप पंचायतों और किसानों से उनके रिश्ते मजबूत हैं. वह महिला और युवा होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं. वहीं, महिला के अलावा ये सारी खूबियां बजरंग पूनिया में भी है. उनके साथ लोगों की सहानुभूति है और वह लोकप्रिय जुझारू चेहरा भी हैं. ये सभी समीकरण उन्हें चुनाव में बड़ा समर्थन दिला सकते हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होंगे और इसके नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे.

    वोटों के ध्रुवीकरण में काम आ सकती है विनेश- बजरंग की भावुक अपील
    हरियाणा में अगर पिछले चुनावों की तरह जाट और गैर जाट मतदाताओं का ध्रुवीकरण हुआ तो विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का भावुक अपील कांग्रेस के पक्ष में लोगों को एकजुट कर सकती है और भाजपा को नुकसान हो सकता है. हरियाणा में गैर जाट समुदाय की आबादी 75 फीसदी है. हरियाणा में खिलाड़ियों की अपील जाति से ऊपर उठकर लोगों पर असर करती है. हालांकि, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि हमारे एथलीट विरोध प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए हैं. ये लोग कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं. इसका मतलब है कि एक सांठगांठ है.

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