नेपाल में वायनाड जैसा जल प्रलय, एवरेस्ट फतह करने वाले तेनजिंग नोर्गे का गांव तबाह, क्या है GLOF?
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पड़ोसी देश नेपाल में आई भीषण बाढ़ ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को पहली बार फतह करने वाले तेनजिंग नोर्गे के थमे गांव में भयानक तबाही मचाई है. बाढ़ के पानी के कारण पूरा थमे शेरपा गांव कीचड़ और मलबे से भर गया और ज्यादातर घर और होटल जमीन में धंस गए..
पड़ोसी देश नेपाल में शुक्रवार (16 अगस्त) को एवरेस्ट के नीचे बने थेंगबो ग्लेशियर पर झील के टूटने से केरल के वायनाड जैसे भयानक जल प्रलय आ गया. माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहली बार फतह करने वाले नेपाली शेरपा तेनजिंग नोर्गे का गांव थमे भी एवरेस्ट से आई आपदा का शिकार हो गया. फ्लैश फ्लड और लैंड स्लाइड से पूरा गांव कीचड़ और मलबे से भर गया. वहीं, ज्यादातर घर और होटल जमीन में धंस गए.
दुनिया के सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले शख्स
तेनजिंग नोर्गे मई 1953 में न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले शख्स थे. खुंभू घाटी में 12,500 फीट की ऊंचाई पर मौजूद थमे गांव नामचे बाजार के नजदीक स्थित है. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की शुरुआत यहीं से करते हैं. इस थमे गांव से एवरेस्ट पर फतह करने वाले कई मशहूर शेरपा निकले हैं. इनमें तेनजिंग नोर्गे के अलावा अपा शेरपा, कमी रिता शेरपा, लाकपा रिता शेरपा का नाम शामिल है
जान-माल के नुकसान का आकलन करने के लिए हेलिकॉप्टर सर्वे
नेपाल के दूधकोशी नदी की सहायक नदियों में से एक थामे में बाढ़ आने के कारण इस इलाके में प्राकृतिक आपदा से हुए जान-माल के नुकसान का आकलन किया जाना बाकी है. इसके लिए हेलीकॉप्टर सर्वे किया जा रहा है. सोलुखुंभू के डीएसएपी द्वारिका प्रसाद घिमिरे के मुताबिक राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है. वहीं, प्रशासन की ओर से निचले इलाके में रहने वाले लोगों के लिए बाढ़ की चेतावनी भी जारी की गई है.
ग्लेशियर की झीलों के बांध टूटने या भारी बारिश से भीषण बाढ़?
हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट में थामेचो किदुग के मिगमा शेरपा के हवाले से बताया गया है कि कि थेंग्बो ग्लेशियर के नीचे की झीलों के बांध टूटने से बड़े पैमाने पर बाढ़ और भूस्खलन हुआ. इससे थामे शेरपा गांव का आधे से ज्यादा हिस्सा बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं, काठमांडू पोस्ट ने मुख्य जिला अधिकारी देवी पांडे के हवाले से रिपोर्ट किया है कि हिमनद झील के तटबंध टूटने की पुष्टि नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि प्रभावित इलाके में बारिश हो रही है. इसकी वजह से भी बाढ़ आई हो सकती है.
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण थमे शेरपा गांव में तबाही
स्थानीय लोगों और प्रशासनिक बयानों में फिलहाल अंतर दिख रहा है. वहीं, वैज्ञानिकों ने ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) को नेपाल के थमे शेरपा गांव में हुई भयानक तबाही की वजह बताया है. ग्लेशियर हजार्ड एक्सपर्ट के मुताबिक नेपाल में थमे घाटी के ऊपरी हिस्से में थेंगबो पर चार ग्लेशियल लेक्स हैं. इनमें से लेक नंबर 3 की एक मोरेन बाउंड्री यानी कमजोर मिट्टी और पत्थर से बनी दीवार टूटने से अचानक यह भयानक आपदा आ गई. थमे घाटी में इससे पहले 1985 में भी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण ऐसी ही आपदा आई थी. आइए, जानते हैं कि ये जीएलओफ क्या है?
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) क्या है और क्यों होता है?
ग्लेशियर के पिघलने से बनी अस्थाई बर्फ और पानी की झीलों के टूटने से आने वाली बाढ़ को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहते हैं. ग्लेशियर की झील की दीवार मिट्टी या बर्फ की हो सकती है. कभी-कभी बर्फ की दीवार बढ़ती गर्मी से पिघल जाती है या कमजोर मिट्टी की दीवार तेज बारिश से टूट जाती है. ऐसा होने पर झील में जमा पानी तेजी से निचले इलाके की तरफ जाकर बाढ़ की हालत पैदा कर देता है. लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन, कम बर्फबारी, बढ़ते तापमान और लगातार तेज होती बारिश में स्टेबिलिटी की कमी की वजह से हिमालयी क्षेत्र में ऐसे हालात बन जाते हैं.
कुछ दशकों में 10 गुना ज्यादा स्पीड से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर
भारत के हिमालयी इलाके में गंगोत्री, चोराबारी, दुनागिरी, डोकरियानी और पिंडारी समेत दो दर्जन से ज्यादा ग्लेशियरों पर दुनिया भर के साइंटिस्ट नजर बनाए हुए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों की टीम ने हिमालय के 14,798 ग्लेशियरों की स्टडी करने के बाद बताया कि छोटे हिमयुग यानी 400 से 700 साल पहले हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की दर बहुत कम थी. वहीं, पिछले कुछ दशकों में ये 10 गुना ज्यादा स्पीड से पिघल रहे हैं. हिमालय के ग्लेशियरों ने अपना 40 फीसदी हिस्सा, 390 क्यूबिक KM से 590 क्यूबिक KM बर्फ खोकर 28 हजार वर्ग किमी के मुकाबले 19,600 वर्ग किमी पर आ गए हैं.
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