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    June 14, 2025

    न US,न चीन…भारत का पीछा करने में छूट रहे ड्रैगन के पसीने, आंकड़ों से खोल दी अमेरिका की पोल.

    1 min read
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    अमेरिका और चीन जैसे देश, जो दुनियाभर में अपनी धौंस दिखाते हैं, फिलहाल अपनी इकॉनमी को बचाने के लिए जूझ रहे हैं. चीन की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है तो अमेरिका कर्ज के बोझ से दबा है. इन सबके बीच भारत की इकॉनमी अनुमान से बेहतर प्रदर्शन कर रही है.

    दुनिया की दो पावरफुल देशों की आर्थिक सेहत बिगड़ती जा रही है. अमेरिका जहां कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है तो वहीं चीन की इकॉनमी उसके लिए चुनौती बनती जा रही है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियां चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ने लगी है. चीन की सुस्त विकास दर के आंकड़ों ने चीन की इकॉनमी की पोल दुनियाभर के सामने खोल दी है. भारत को चुनौती देने वाला ड्रैगन फिलहाल हांफ रहा है.

    चीन Vs भारत की अर्थव्यवस्था
    भारत की विकास की गाड़ी जहां अनुमान से तेज भाग रही है, वहीं चीन की विकास दर सुस्त पड़ गई है. बीजिंग नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स (NBS) ने सोमवार (को साल की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े पेश किए, जो चीन की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है. दूसरी तिमाही में चीन की विकास दर 4.7 फीसदी है, जबकि पहली तिमाही में यह 5.3 फीसदी थी. चीन की विकास दर अनुमान से पीछे होती जा रही है. अगर भारत की बात करें तो उसने अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी विकास दर के लक्ष्य को हासिल किया.

    क्यों चरमाई चीन की अर्थव्यवस्था
    चीनी सरकार की ओर से जारी आंकडों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 फीसदी से घटकर 4.7 फीसदी पर आ गई है. जबकि इकोनॉमिस्ट और ब्लूमबर्ग ने दूसरी तिमाही में 5.1 फीसदी की ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था, चीन की विकास दर अनुमानों से पीछे रह गई. कोरोना के बाद से ही चीन की इकोनॉमी चरमराई हुई है. चीन की अर्थव्यवस्था दोबारा उठ नहीं पा रही है. चीन का रियल एस्टेट सबसे बुरे दौर को झेल रहा है. खुदरा बिक्री में कमी के चलते अर्थव्यवस्था उठ नहीं पा रही है. चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वहां के उपभोक्‍ता खपत की वृद्धि दर 3.7 फीसदी से गिरकर सिर्फ 2 फीसदी रह गई.

    क्यों संकट में घिरा है चीन
    मतलब साफ है कि चीन में उपभोक्‍ता खपत और खुदरा बिक्री एक महीने में गिरकर आधी रह गई. खपत में कमी किसी भी देश की इकॉनमी के लिए घातक है. वहीं गिरता निर्यात, बढ़ती बेरोजगारी, बूढ़ी होती चीन की जनसंख्या इकॉनमी पर घातक प्रभाव छोड़ रही है. कारोबार और कंपनियों के कामकाज में चीनी सरकार के दखल के चलते विदेशी कंपनियां परेशान होकर चीन छोड़ने लगी है. देश का रियल एस्‍टेट भारी कर्ज संकट से जूझ रहा है. वहीं शी जिंनपिंग की नीतियों के चलते चीन का पश्चिमी देशों के साथ तनाव और व्‍यापारिक टेंशन उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. वहीं रियल एस्टेट का संकट अब चीन के बैंकिंग सेक्टर को अपनी चपेट में ले रहा है. बैंकों के कर्ज डूब रहे हैं. ये सारी चुनौतियां चीन की अर्थव्यवस्था को डुबा रही हैं.

    चीन से कितना आगे हैं भारत
    दुनिया को धौंस दिखाने वाला चीन अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रहा है. भारत से मुकाबले की बात करें तो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार अनुमान से कहीं आगे है. भारत ने दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी की विकास दर हासिल की है, जबकि चीन अनुमान से पीछे 4.7 फीसदी पर अटक गया है. भारत की उपभोक्‍ता खपत की विकास दर 3.8 फीसदी रही तो चीन में ये आंकड़ा 2 फीसदी पर अटका हुआ है. भारतीय रियल एस्‍टेट क्षेत्र चरम पर है तो चीन की इकॉनमी की इस हालत के लिए वहां की रियल एस्टेट बड़ी जिम्मेदार है.

    भारत की अर्थव्यवस्था
    IMF ने भारत के विकास दर से अनुमान को बढ़ा दिया है. आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था साल 2025 तक 7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. इससे पहले अप्रैल में आईएमएफ ने 6 फीसदी का अनुमान रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है. वहीं रिजर्व बैंक का अनुमान है साल 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी.

    अमेरिका Vs चीन Vs भारत
    वहीं आईएमएफ ने कहा कि ग्लोबल इकॉनमी 3.3 फीसदी की दर से बढ़ेगी. आईएमएफ के मुताबिक साल 2025 तक अमेरिका की इकॉनमी 2.6 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. वहीं चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर आईएमएफ ने कहा कि साल 2025 तक वो 5 फीसदी की दर से बढ़ेगी. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन , अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों के सामने भारत कितनी तेजी से बढ़ रहा है.

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