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    April 23, 2025

    UPSC में कैसे मिलता है दिव्यांग कोटा? जिससे बढ़ जाते हैं सिलेक्शन के चांस, हर मानक में मिलती है छूट.

    1 min read
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    देश की सबसे बड़ी सरकारी सेवा UPSC में चयन का हर युवा का सपना होता है. इस परीक्षा में दिव्यांग कोटा ऐसा तुरूप का इक्का है कि जिसे यह मिल जाए तो उसके चयन के चांस बहुत बढ़ जाते हैं.

    क्या आईएएस और आईपीएस जैसे देश के आला अधिकारियों का चयन करने वाली संस्था UPSC के सिलेक्शन में भी कोई धांधली हो सकती है. आपका जवाब शायद नहीं होगा. लेकिन महाराष्ट्र की IAS पूजा खेडकर और यूपी के निवर्तमान IAS अभिषेक सिंह के चयन के बाद यह मुद्दा तेजी से तूल पकड़ रहा है. इन दोनों ने दिव्यांग कोटे से UPSC क्लियर किया और फिर आईएएस बन गए.

    लगातार बहाने बनाकर टाल दिए मेडिकल टेस्ट
    आरोप है कि पूजा खेडकर ने मानसिक रूप से बीमार और दृष्टिबाधित होने का सर्टिफिकेट लगाकर UPSC परीक्षा में हिस्सा लिया. इसमें दिव्यांग कोटे से मिली रियायतों के आधार पर वे आईएएस बन गई. अगर वे दिव्यांग के सर्टिफिकेट नहीं लगाती तो वे उन्हें मिले नंबरों के आधार पर किसी भी सूरत में आईएएस नहीं बन सकती थी. इस सिलेक्शन के बाद उन्हें केंद्र सरकार की ओर से नामित दिल्ली के दो सरकारी अस्पतालों में मेडिकल जांच से गुजरना था. लेकिन उन्होंने हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया.

    बिना मेडिकल कराए बन गईं आईएएस?
    IAS पूजा खेडकर ने 6 बार टालने के बाद एक बाहरी मेडिकल एजेंसी से अपनी मेडिकल जांच का सर्टिफिकेट बनाकर यूपीएससी में भेजा. शुरू में कमीशन ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. लेकिन बाद में खेडकर के उस प्रमाण पत्र को कबूल कर लिया. इसके साथ ही बिना सरकारी मेडिकल कराए वे आईएएस बनने में कामयाब हो गईं.

    आईएएस अभिषेक सिंह पर भी विवाद
    वहीं यूपी की चर्चित आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के पति और यूपी कॉडर के आईएएस अभिषेक सिंह भी लोकोमोटर डिसेबलटी (हाथ- पैर या दूसरे अंगों का सही से काम न कर पाना) श्रेणी में दिव्यांगता का सर्टिफिकेट लगाकर आईएएस बन गए. गुजरात चुनावों के दौरान वर्ष 2022 में उन्हें पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था लेकिन आचार संहिता का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. इसके बाद उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया और एक्टिंग फील्ड में उतर आए. उनका यह इस्तीफा सरकार के स्तर पर अभी भी विचाराधीन है.

    सनी लियोनी के साथ डांस करते दिखे ‘दिव्यांग IAS’
    इसी बीच वे बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी के साथ नई मूवी ‘काली’ में बोल्ड डांस करते दिखाई दिए. उनके डांस मूव्स और स्टाइल से नहीं लगा कि वे दिव्यांग कोटे से अधिकारी बनने के लायक थे. वहीं ‘दिव्यांग’ से IAS बनीं पूजा खेडकर भी सामान्य व्यक्तियों की तरह फिट नजर आती हैं. वे सरकार से अपनी ऊल-जुलूल मांगों की वजह से भी चर्चा में है. नेटिजन इस मुद्दे को UPSC स्कैम हैशटैग बताकर सोशल मीडिया में सवाल उठा रहे हैं और दिव्यांग कोटे में हुई भर्तियों की जांच की मांग कर रहे हैं.

    UPSC में कैसे मिलता है दिव्यांग कोटा?
    आज हम आपको बताते हैं कि UPSC का दिव्यांग कोटा क्या है और इसे हासिल करके कोई व्यक्ति अधिकारी बनने के लिए पात्र कैसे हो सकता है. वर्ष 2014 में UPSC में ऑल इंडिया टॉप करने वाली दिव्यांग IAS इरा सिंघल बताती हैं कि सरकार ने देश की शीर्ष सेवा में दिव्यांगों को आगे बढाने के लिए 4 कोटे तय कर रखे हैं. ये कोटे ऑर्थो, विजुअल, हियरिंग और मल्टिपल डिसेबिलिटीज में दिए जाते हैं. अब इसमें एसिड अटैक सर्वाइवर को भी जोड़ लिया गया है.

    मेडिकल बोर्ड के सामने होता है टेस्ट
    वे बताती हैं कि कोई भी व्यक्ति UPSC का फॉर्म भरते वक्त दिव्यांग होने का दावा कर सकता है. जब वह इंटरव्यू तक पहुंच जाता है तो उसकी दिव्यांगता का वेरिफिकेशन किया जाता है. इसके लिए सरकार ने दिल्ली के कुछ बड़े सरकारी अस्पतालों में बोर्ड तय कर रखे हैं. वहां पर दिव्यांग कोटा चाहने वाले अभ्यर्थियों को टाइम और तारीख बताकर मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया जाता है. इस बोर्ड में 3 डॉक्टर शामिल होते हैं, जिसमें एक डॉक्टर अभ्यर्थी को हुई बीमारी का स्पेशलिस्ट होता है. इस टेस्ट के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर यूपीएससी को भेज दी जाती है.

    अफसर बनने के लिए कितनी दिव्यांगता?
    इस रिपोर्ट में स्पष्ट बताया जाता है कि अभ्यर्थी को किस तरह की और कितने प्रतिशत विकलांगता है. यह भी बताया जाता है कि उस विकलांगता के दूर होने की कोई संभावना है या नहीं. नियमों के मुताबिक 40 प्रतिशत से अधिकत विकलांगता वाले अभ्यर्थियों को ही दिव्यांग कोटा हासिल करने का अधिकार होता है. अगर उसकी विकलांगता दर इससे कम हो तो उसे यह कोटा नहीं मिलता. इस रिपोर्ट के आधार पर यूपीएससी उक्त अभ्यर्थी को दिव्यांगता का आरक्षण देने या न देने का फैसला करती है. पूजा खेडकर और अभिषेक सिंह पर आरोप है कि वे दिव्यांग कोटा हासिल करने के लिए पात्र नहीं थे, फिर भी जुगाड़ करके वे इसे हासिल करने और शान के साथ आईएएस बनने में कामयाब हो गए.

    क्यों हो रहे दिव्यांग कोटे के दीवाने?
    यह मामला केवल पूजा खेडकर या अभिषेक सिंह का ही नहीं है. मामूली विकलांगता वाले लोग भी दिव्यांग कोटा हासिल करने की दौड़ में जुटे रहते हैं. वे ऐसा क्यों करना चाहते हैं, इसकी कई वजहें हैं. असल में दिव्यांग उम्मीदवारों को संघ लोक सेवा आयोग की ओर से कई तरह की रियायतें दी जाती हैं. इसमें उन्हें आयु सीमा में छूट, परीक्षा और इंटरव्यू के प्राप्तांकों में छूट, पदों में रिजर्वेशन और एग्जाम सेंटर्स के विशेष इंतजाम शामिल होते हैं. इस कोटे में कंपीटिशन बहुत कम होता है, जिससे आईएएस अधिकारी बन जाने के चांस भी ज्यादा बढ़ जाते हैं.

    IAS पूजा खेडकर की बढ़ रही मुश्किलें
    विकलांगता प्रमाण पत्र मामले में महाराष्ट्र में ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. जिस अस्पताल ने उन्हें अगस्त 2022 में दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किया था, अब उसके डीन का सनसनीखेज बयान सामने आया है. यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल के डीन डॉ. राजेंद्र वाबले ने मंगलवार को कहा, हमारे अस्पताल की ओर से अगस्त 2022 में पूजा खेडकर का मेडिकल परीक्षण करके उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया था. जांच में उनके बायें घुटने में 7 प्रतिशत विकलांगता मिली थी, जिसके आधार पर उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया था. हालांकि सरकार की ओर से दिव्यांगों के लिए जारी लाभ उठाने के न्यूनतम मानक 40 प्रतिशत विकलांगता है.

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