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    April 23, 2025

    सब्जियों के दाम में लगी आग, आसमान पर पहुंची महंगाई, 16 महीने का रिकॉर्ड टूटा।

    1 min read
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    जून 2024 में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है. खाद्य वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है.

    खाद्य पदार्थों और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. देश में थोक मुद्रास्फीति जून में लगातार चौथे महीने बढ़कर 3.36 प्रतिशत हो गई. खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों तथा विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में इजाफा इसकी मुख्य वजह रही. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 प्रतिशत थी. जून 2023 में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी.

    वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही.

    किस सेक्टर में कितनी बढ़ी महंगाई?
    आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी. सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी. प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही. दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही. ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है.

    विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी. जून में थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप थी. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य तौर पर खुदरा मुद्रास्फीति को ही ध्यान में रखता है.

    सब्जियों के ऊंचे दामों से बिगड़ा रसोई का बजट
    दिल्ली के थोक बाजारों में दुकानदारों ने बताया कि खासतौर पर आलू, प्याज और टमाटर जैसी रसोई की मुख्य वस्तुओं के साथ ही फूलगोभी, पत्तागोभी और लौकी जैसी हरी सब्जियों के दामों में उछाल आया है. आजादपुर सब्जी मंडी के एक व्यापारी संजय भगत ने बताया, ‘फिलहाल टमाटर का थोक भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम है. स्थानीय किस्म का टमाटर 1,200 रुपये प्रति 28 किलोग्राम (एक क्रेट) और हाइब्रिड किस्म का टमाटर 1,400 से 1,700 रुपये में बिक रहा है. पहले टमाटर का भाव 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम था.’

    उन्होंने कहा, ‘थोक बाजार में अन्य सब्जियों की कीमत करीब 25 से 28 रुपये प्रति किलोग्राम है. जो सब्जियां 10 से 15 रुपये में बिकती थीं, वे अब 25 से 30 रुपये में मिल रही हैं. बीन्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही हैं.’ इस साल तेज गर्मी और बारिश में देरी के कारण कीमतों में उछाल आया है.

    ‘आम आदमी सब्जियां नहीं खरीद सकता’
    भगत ने कहा कि ज्यादातर आपूर्तिकर्ता हिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार गर्मी बहुत थी और बारिश बहुत कम हुई. इससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्रमित हो गए. उन्होंने कहा कि सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा. ओखला सब्जी मंडी के एक व्यापारी ने कहा कि अभी केवल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है – कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश. महाराष्ट्र से 10-15 अगस्त के आसपास नई फसल आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी.

    दिल्ली में कई लोगों ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है. लक्ष्मी नगर सब्जी मंडी में किराने का सामान खरीद रहीं सरिता ने कहा, ‘मैं सीमित मात्रा में ही खरीद रही हूं और सिर्फ वही चीजें खरीद रही हूं, जो रसोई में बिल्कुल जरूरी हैं. आम आदमी अभी सब्जियां नहीं खरीद सकता.

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