12वीं पास, जेब में ₹100 का नोट…अहमदाबाद की गलियों से निकला 16 साल का लड़का कैसे बन गया सबसे बड़ा रईस, अडानी की कामयाबी, जज्बे की कहानी।
1 min read|
|








गौतम अडानी उन नामों में शुमार है, जो हर दिन खबरों की सुर्खियों में रहते हैं. इन नाम को लेकर सड़क से लेकर संसद तक चर्चाएं होती है. हॉट टॉपिक बन चके गौतम अडानी को शायद ही कोई होगा, जो न पहचानता हो, लेकिन इन नाम की सफलता के पीछे लंबा संघर्ष है.
गौतम अडानी उन नामों में शुमार है, जो हर दिन खबरों की सुर्खियों में रहते हैं. इन नाम को लेकर सड़क से लेकर संसद तक चर्चाएं होती है. हॉट टॉपिक बन चके गौतम अडानी को शायद ही कोई होगा, जो न पहचानता हो, लेकिन इन नाम की सफलता के पीछे लंबा संघर्ष है. एशिया के दूसरे सबसे अमीर गौतम अडानी कुछ साल पहले तक दुनिया के दिग्गज अमीर उद्योगपतियों की टॉप 5 लिस्ट में शामिल थे, लेकिन अमेरिकी शॉर्ट सेलर के खुलासे ने इन्हें कई साल पीछे धकेल दिया. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हुए नुकसान की भरपाई अडानी तेजी से कर रहे हैं. आज कहानी उस शख्स कि जो भारत के घर-घर में पॉपुलर है.
12वीं पास, झुग्गी में रहता था परिवार
अहमदाबाद के मिडिल क्लास फैमिली 24 जून 1962 को गौतम अडानी का जन्म हुआ. 12वीं तक पढ़े गौतम छह भाई-बहन और माता-पिता के साथ अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहते थे. बचपन चॉल में ही बीता. पढ़ाई में मन वगा नहीं इसलिए उन्होंने छोटा-मोटा काम करना शुरू कर दिया. कुछ दिनों तक अहमदाबाद में घर-घर जाकर साड़ियां बेचने का काम शुरू किया. थोड़ी बहुतम कमाई होती थी. वो समझ चुके थे कि इससे काम नहीं चलने वाला है.
100 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे
जेब में 100 रुपये लेकर गौतम मायानगरी मुंबई पहुंच गए. न कोई रिश्तेदार, न दोस्त, अनजाने शहर में कोई अपना नहीं, लेकिन गौतम जान चुके थे कि उनके सपनों की उड़ान यहीं से पूरी होगी. हिंद्रा ब्रदर्स के यहां 300 रुपये की सैलरी पर उन्हें नौकरी मिल गई. हीरे के कटिंग का काम सीखा. कुछ दिन वहां काम करने के बाद उनके भाई मनसुखलाल ने उन्हें वापस अहमदाबाद बुला लिया.
प्लास्टिक कंपनी में काम
अपने भाई के साथ उन्होंने प्लास्टिक फैक्ट्री में काम शुरु किया. पीवीसी पाइप के इंपोर्ट के काम में दोनों भाई जुट गए और इसके साथ ही गौतम ने ग्लोबल ट्रेडिंग में एंट्री की. पीवीसी इंपोर्ट में ग्रोथ होती रही और साल 1988 में गौतम अडानी ने अडानी ग्रुप की नींव रखी दी. इसके बाद क्या था, गौतम अडानी ने जहां हाथ डाला वहां उन्हें सफलता मिलती चली गई. साल 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडानी का बिजनेस को जल्द ही डायवर्सिफाई हुआ और गौतम अडानी मल्टीनेशनल बिजनेसमैन बन गए.
लकी रहा मुंद्रा पोर्ट का कारोबार
साल 1995 गौतम अडानी की पोर्ट कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला, इसके बाद उनके बिजनेस ने उड़ान भरना शुरू कर दिया. 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई. 10 साल बाद कंपनी पावर जनरेशन बिजनस में भी उतरी. एक के बाद एक कर गौतम अडानी का कारोबार फैलता चला गया. कोल माइनिंग, एयरपोर्ट्स ऑपरेटर, पावर जेनरेटर और सिटी गैस रिटेलर , सीमेंट बिजनेस से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में रोड कंस्ट्रक्शन, डिफेंस प्रोडक्शन और रेलवे में अडानी की कंपनी कारोबार करती है. अब अडानी की कंपनी अपना विस्तार ग्रीन एनर्जी की ओर कर रही है.
ताज आतंकी हमले में बाल-बाल बची थी जान
साल 2008 में मुंबई में ताज होटल पर हुए आतंकी हमलों के दौरान गौतम अडानी बाल-बाल बचे थे. जब ताज पर आंतकियों ने हमला किया अडानी वहीं मौजूद थे. एक मीटिंग के लिए ताज गए गौतम अडानी की जान बाल-बाल बची थी.
कभी चलाते थे स्कूटर आज चार्टर्ड प्लेन के मालिक
शुरुआती दिनों में गौतम अडानी दोस्त के स्कूटर के पीछे बैठ कर सफर करते थे. काम थोड़ा बढ़ा तो उन्होंने मारुति 800 ली, लेकिन आज उनके पास लग्जरी कारों के साथ-साथ हेलिकॉप्टर, चार्टर्ड प्लेन सब मौजूद है.
गौतम अडानी का परिवार
गौतम के पिता शांतिलाल अडानी, अहमदाबाद में टेक्सटाइल बिजनेस में काम करते थे. उनकी मां शांता अडानी हाउसवाइफ थी. गौतम की पत्नी प्रीति डॉक्टर हैं. हालांकि अब वो अपने पति के काम में हाथ बंटाती हैं उनके दो बेटे करन और जीत अडानी पिता के कारोबार में साथ देते हैं. करन अडानी पोर्ट बिजनेस की कमान संभालते हैं. फोर्ब्स बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक गौतम अडानी का नेटवर्थ 85.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.
About The Author
|
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space












Recent Comments