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    April 24, 2025

    Japan Dadly Bacterial Infection: जापान में फैल रही है ये कौन सी बीमारी, 48 घंटे में हो सकती है मौत, कोविड के बाद नई चुनौती।

    1 min read
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    जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) के 977 मामले दर्ज किए थे, जिसमें मृत्यु दर 30% तक है.

    जापान में कोविड-काल के प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद, एक खतरना बीमारी फैल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बीमारी एक दुर्लभ ‘मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ के कारण होती है और इसमें 48 घंटों के भीतर लोगों की मौत हो सकती है.

    सीएनएन के मुताबिक 2 जून तक, जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) के 977 मामले दर्ज किए थे, जिसमें मृत्यु दर 30% तक है. उपलब्ध नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, जनवरी से मार्च के बीच संक्रमण से लगभग 77 लोगों की मृत्यु हुई है.

    पिछले साल के रिकॉर्ड को छोड़ा पीछे
    जापान में चल रहा प्रकोप पिछले साल के 941 प्रारंभिक संक्रमणों के पिछले रिकॉर्ड को पार कर चुका है. जापान के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान ने पिछले साल STSS के कारण 97 मौतों की सूचना दी थी, जो पिछले छह वर्षों में मृत्यु दर की दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी.

    ‘एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जीवाणु संक्रमण’
    सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक एसटीएसएस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जीवाणु संक्रमण है जो तब विकसित हो सकता है जब बैक्टीरिया गहरे ऊतकों और रक्तप्रवाह में फैल जाता है. मरीजों को शुरू में बुखार, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी होती है लेकिन लक्षण जल्दी ही जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं जैसे कि निम्न रक्तचाप, सूजन और कई अंग विफलता, क्योंकि शरीर सदमे में चला जाता है.

    यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार. ‘उपचार के साथ भी, एसटीएसएस घातक हो सकता है. एसटीएसएस से पीड़ित 10 लोगों में से तीन लोग संक्रमण से मर जाते हैं.’

    STSS के अधिकांश मामलों की वजह
    अधिकांश एसटीएसएस मामले ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (जीएएस) बैक्टीरिया के कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से बच्चों में बुखार और गले के संक्रमण का कारण बनता है. दुर्लभ परिस्थितियों में, स्ट्रेप ए तब आक्रामक हो सकता है जब बैक्टीरिया एक विष उत्पन्न करता है जो इसे ब्लडस्ट्रेन तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, जिससे टॉक्सिक शॉक जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं.

    स्ट्रेप ए ‘मांस खाने वाले’ नेक्रोटाइज़िंग फेसिटिस का कारण भी बन सकता है, जिससे अंगों की हानि हो सकती है. हालांकि, CDC के अनुसार, इस बीमारी से पीड़ित अधिकांश रोगियों में अन्य स्वास्थ्य कारक होते हैं जो संक्रमणों से लड़ने की उनके शरीर की क्षमता को कम कर सकते हैं, जैसे कि कैंसर या मधुमेह.

    कोविड नियमों में ढील के बाद क्यों बढ़े मामले
    आक्रामक समूह ए स्ट्रेप संक्रमण को कोविड-19 नियंत्रणों, जैसे कि मास्किंग और सामाजिक दूरी द्वारा काफी हद तक रोका गया था, लेकिन इन उपायों में ढील दिए जाने के बाद कई देशों ने मामलों में वृद्धि की सूचना दी.

    2500 तक पहुंच सकते हैं बीमारी के मामले
    जापान टाइम्स के मुताबिक टोक्यो महिला मेडिकल यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर केन किकुची ने कहा, ‘संक्रमण की वर्तमान दर के हिसाब से, जापान में इस वर्ष मामलों की संख्या 2,500 तक पहुंच सकती है, और मृत्यु दर 30% होगी.’

    ‘48 घंटे के भीतर मौत’
    किकुची ने कहा, ‘अधिकांश मौतें 48 घंटों के भीतर होती हैं. जैसे ही मरीज को सुबह अपने पैर में सूजन दिखती है, दोपहर तक यह घुटने तक फैल सकती है, और वे 48 घंटों के भीतर मर सकते हैं.’

    दूसरे देशों में भी दिखी ये समस्या
    जापान टाइम्स के मुताबिक अन्य देशों में हाल ही में इस बीमारी का प्रकोप देखने को मिला है. 2022 के अंत में, कम से कम पांच यूरोपीय देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इनवेसिव ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (iGAS) रोग के मामलों में वृद्धि की सूचना दी, जिसमें STSS भी शामिल है. WHO ने कहा कि मामलों में वृद्धि COVID-19 प्रतिबंधों के समाप्त होने के बाद हुई है.

    मार्च में जापानी अधिकारियों ने दी थी चेतावनी
    सीएनएऩ के मुताबिक मार्च में, जापानी अधिकारियों ने STSS मामलों में उछाल की चेतावनी दी. जापान के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान ने एक जोखिम मूल्यांकन जारी किया जिसमें कहा गया कि iGAS के कारण होने वाले STSS मामलों की संख्या ‘जुलाई 2023 से बढ़ गई है, विशेष रूप से 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में.’

    खुले घाव वाले वृद्ध लोग रहें सावधान
    CDC का कहना है कि खुले घाव वाले वृद्ध लोगों में STSS होने का जोखिम अधिक होता है, जिनमें हाल ही में सर्जरी कराने वाले लोग भी शामिल हैं.

    CDC ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘हालांकि, विशेषज्ञों को यह नहीं पता है कि STSS से पीड़ित लगभग आधे लोगों के शरीर में बैक्टीरिया कैसे पहुचे.’

    जापानी सार्वजनिक प्रसारक NHK के अनुसार, जापान में STSS के मामलों में इस वर्ष की वृद्धि का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है.

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