Success Story: सिक्योरिटी गार्ड के बेटे ने उधार किताब मांगकर की पढ़ाई, पहले अटेंप्ट में क्लियर कर डाला UPSC एग्जाम।
1 min read
|








उन्होंने 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. 2011 में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. उस समय उनके पास मोबाइल फोन या लैपटॉप नहीं था.
एक साधारण बैकग्राउंड से निकलकर सर्वोच्च पद तक पहुंचना, यही सच्ची सफलता का प्रतीक है. ऐसी ही एक मोटिवेशनल स्टोरी आईआरएस अधिकारी कुलदीप द्विवेदी की है, जिन्होंने 2015 में अपने पहले ही अटेंप्ट में एआईआर 242 के साथ यूपीएससी में सफलता हासिल की.
वह उत्तर प्रदेश के निगोह के एक छोटे से गांव शेखपुर के रहने वाले हैं. उनके पिता, सूर्यकांत द्विवेदी, लखनऊ यूनिवर्सिटी में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे और 1100 रुपये की मामूली तनख्वाह पर परिवार में कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे. कुलदीप के पिता सूर्यकांत ने केवल 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की और मां मंजू कक्षा 5 तक पढ़ी हुई हैं, लेकिन उनका मानना था कि शिक्षा ही गरीबी से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है. उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को पढ़ाई करने से नहीं रोका.
4 भाई-बहनों में से कुलदीप पढ़ाई में सबसे होशियार थे. छोटी उम्र से ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने जीवन में बड़े सपने देखे और कड़ी मेहनत की.
बहनों को शहर के अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में पढ़ते हुए देखते थे तो अक्सर उन्हें कितना बुरा लगता था, लेकिन उनके माता-पिता कभी भी बेस्ट करने में असफल नहीं हुए जो वे कर सकते थे.
उन्होंने 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. 2011 में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. उस समय उनके पास मोबाइल फोन या लैपटॉप नहीं था. वह कोचिंग का खर्च भी नहीं उठा सकते थे, इसलिए उन्होंने दोस्तों से किताबें उधार लेकर सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया.
वह अपने पिता से किराया चुकाने के लिए मिले 2500 रुपये में ही अपना काम चलाते थे. फाइनलरी उन्होंने 2015 में अपने पहले ही अटेंप्ट में AIR 242 के साथ यूपीएससी में सफलता प्राप्त की. वर्तमान में, वह एक आईआरएस अधिकारी के रूप में तैनात हैं.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments