Bullet Train: ‘इस देश का ड्रीम प्रोजक्ट है बुलेट ट्रेन’, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका |
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Court News: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज एंड बॉयस ने याचिका दायर की थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया |
Mumbai-Ahmedabad Bullet Train: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार और एनएचएसआरसीएल की ओर से मुंबई के विखरोली क्षेत्र में शुरू किए गए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज एंड बॉयस की याचिका गुरुवार (9 फरवरी) को खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन इस देश का, राष्ट्रीय महत्व का और जनहित में एक ड्रीम प्रोजेक्ट है |
जस्टिस आरडी धानुका और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि परियोजना अपने आप में अनूठी है और सार्वजनिक हित को निजी हित पर वरीयता मिलेगी.
परियोजना में कहां फंसा है पेंच?
मुंबई से अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर की रेल की पटरी में से 21 किलोमीटर भूमिगत रहेगी. भूमिगत सुरंग का एक प्रवेश बिंदु विखरोली में गोदरेज की जमीन पर पड़ता है. राज्य सरकार और राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (NHSRCL) ने दावा किया था कि कंपनी के कारण पूरी परियोजना में देरी हो रही है, जबकि परियोजना जनता के लिए महत्वपूर्ण है |
सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि गोदरेज एंड बॉयस मेन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड के विखरोली क्षेत्र स्थित इलाके को छोड़कर परियोजना के पूरे मार्ग के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
पिछले अक्टूबर में 264 करोड़ का मुआवजा दे चुकी है राज्य सरकार
राज्य सरकार ने अदालत को पहले बताया था कि वह पहले ही पिछले साल अक्टूबर में कंपनी को 264 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है. गोदरेज एंड बॉयस ने उसे मुआवजा देने के महाराष्ट्र सरकार के 15 सितंबर, 2022 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी |
अदालत ने गोदरेज की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि शुरुआत में मुआवजा 572 करोड़ रुपये तय किया गया था लेकिन जब आखिरी फैसला सुनाया गया तो इसे घटाकर 264 करोड़ रुपये कर दिया गया. बता दें कि कंपनी और सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना में अधिग्रहण मामले पर 2019 से कानूनी विवाद में उलझे हुए हैं |
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