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    April 23, 2025

    वैज्ञानिकों को मिल गया अंतरिक्ष का ‘लाल दैत्य’, भीतर से पिघल रहा है पृथ्वी जैसा यह ग्रह।

    1 min read
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    वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है जहां ज्वालामुखी उबल रहे हैं. यह ग्रह अंतरिक्ष से देखने पर भयानक लाल रंग का गोला नजर आता है.

    वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखियों से घिरे एक नए ग्रह की खोज की है. यहां शायद इतने ज्यादा ज्वालामुखी उबल रहे हैं कि अंतरिक्ष से ग्रह भयानक लाल रंग का दिखता है. रिसर्चर्स के मुताबिक, उन्होंने अभी तक ऐसा कोई और ग्रह नहीं देखा है. इस रहस्यमयी ग्रह की मौजूदगी कन्फर्म करने के लिए और स्टडी की जरूरत होगी. खोजे गए ग्रह का नाम TOI-6713.01 रखा गया है. यह एक प्लेनेटरी सिस्टम का अंदरूनी ग्रह है. यहां पर दो और ग्रह एक नारंगी बौने ग्रह की परिक्रमा करते हैं. यह ग्रह धरती से करीब 66 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. इस चट्टानी ग्रह का आकार पृथ्वी से थोड़ा बड़ा है. यह अपने 5 बिलियन साल पुराने तारे का सिर्फ 2.2 दिन में चक्कर लगा लेता है. वैज्ञानिकों ने ग्रह पर रिसर्च के लिए NASA के ग्रह-खोजी Transiting Exoplanet Survey Satellite (TESS) का सहारा लिया. एस्ट्रोनॉमर्स की स्टडी The Astronomical Journal ने अप्रैल में छापी है.

    लगातार लावा उगल रहे इस ग्रह के ज्वालामुखी
    TESS के के ऑब्जर्वेशन बताते हैं कि इस चट्टानी ग्रह की सतह पिघले हुए लावा से भरी है. इस ग्रह पर हजारों ज्वालामुखी सक्रिय हैं और लगातार लावा उगल रहे हैं. यहां का तापमान 2,300 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है. इतने अधिक तापमान का मतलब है कि यह ग्रह अंतरिक्ष में चमकता नजर आता है. इस ग्रह की खोज का नेतृत्व स्टीफन केन ने किया जो यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में एस्ट्रोफिजिसिस्ट हैं. उन्होंने एक बयान में, ‘यह खोज के उन पलों में से था जिसमें आप सोचते हैं कि Wow, कमाल है कि ऐसा सच में होता है.’

    एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक, पड़ोसी ग्रहों ने तारे की दूर से परिक्रमा करते हुए इस ग्रह की कक्षा को ओवल शेप में ला दिया है. यानी यह अपने तारे की एक छोटी कक्षा में परिक्रमा करते हुए लगातार दोनों पड़ोसी ग्रहों और केंद्रीय तारे की ग्रेविटी में फंसा हुआ है. इस रस्साकशी की वजह से ग्रह पर काफी ज्यादा आंतरिक घर्षण और ऊष्मा बनती है जो ज्वालामुखी से लावा फूटने की शकल में बाहर आती है. अगर आगे की रिसर्च से TOI-6713.01 की मौजूदगी कन्फर्म होती है तो इस ग्रह में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी बढ़ेगी.

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