UN महासभा की सुरक्षा परिषद से फिलिस्तीन को सदस्यता देने की अपील, भारत ने किया प्रस्ताव का सर्मथन।
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193 सदस्य देशों वाली यूएन महासभा में इस प्रस्ताव के पक्ष में भारत समेत 143 देशों ने मतदान किया. भारत 1988 और 1996 में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने संगठन के भीतर फिलिस्तीन के अधिकारों को बढ़ाया है. UNGA ने शुक्रवार को गाजा संकट के मुद्दे पर आपात विशेष सत्र के दौरान बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया. यह प्रस्ताव यूएन में एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में फिलिस्तीन के अधिकार बढ़ाएगा. इस प्रस्ताव के जरिए फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता नहीं दी गई है, मगर सुरक्षा परिषद से फिलिस्तीन के अनुरोध पर अनुकूल ढंग से फिर विचार करने की अपील की गई है.
193 सदस्य देशों वाली यूएन महासभा में इस प्रस्ताव के पक्ष में भारत समेत 143 देशों ने मतदान किया, 9 ने विरोध में वोट डाले, जबकि 25 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
सदस्यता का निर्णय केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा किया जा सकता है. यूएन महासभा के अनुसार, फिलिस्तीन यह दर्जा पाने के योग्य है और सुरक्षा परिषद से इस सिलसिले में अनुकूल ढंग से पुनर्विचार किए जाने का आग्रह किया गया है.
फिलिस्तीन है एक गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य
फिलिस्तीन को 2012 से गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य (Non-Member Observer State) का दर्जा प्राप्त है. इसके तहत पूर्ण सदस्य से कुछ कम अधिकार प्राप्त होते हैं.
फिलिस्तीन के अधिकारों में होगी बढ़ोतरी
यूएन महासभा में प्रस्ताव के पारित होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के अधिकारों में बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि उसके पास मतदान करने या यूएन के अन्य अंगों, जैसेकि सुरक्षा परिषद या आर्थिक एवं सामाजिक परिषद में सदस्यता पाने का अधिकार नहीं होगा.
यूएन में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के लिए सुरक्षा परिषद में 18 अप्रैल को लाए गए एक प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा वीटो कर दिया गया था.
बता दें यूएनजीए की यह बैठक ऐसे समय में आयोजित की गई है जब दक्षिणी गाजा राफा शहर में लाखों फिलिस्तीन बेहद नाज़ुक हालात में हैं. जहां इजरायली सेना का जमीनी अभियान शुरू होने के बाद से ही मानवीय राहत प्रयासों की रफ्तार रुक गई है.
भारत और फिलिस्तीन
भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य था.भारत 1988 और 1996 में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था.
दिल्ली ने गाजा में फिलिस्तीन प्राधिकरण के लिए अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे बाद में 2003 में रामल्ला में ट्रांसफर कर दिया गया.
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