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    April 22, 2025

    फर्स्ट अटेंप्ट में IIT क्रैक, फिर UPSC क्लियर करके पहले बनीं IPS फिर IAS.

    1 min read
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    गरिमा प्रक्टिस की वैल्यूज पर भी जोर देती है, यह सुझाव देती है कि नियमित आधार पर मॉक टेस्ट दिए जाने चाहिए और राइटिंग एबिलिटीज को डेवलप करने के लिए सवालों के जवाब देने और लिखने की प्रक्टिस की जानी चाहिए.

    गरिमा अग्रवाल एकेडमिक एक्सीलेंसी, दृढ़ता और दृढ़ संकल्प की कहानी है. गरिमा एक बिजनेस फैमिली में जन्मी थीं, उन्होंने स्कूल में लगातार उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया, 10वीं और 12वीं क्लास में 89% और 92% के नंबर हासिल किए. उनकी जर्नी में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने जेईई परीक्षा पास की और आईआईटी हैदराबाद में एडमिशन लिया, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. गरिमा ने जर्मनी में एक इंटर्नशिप के दौरान अपने स्किल और नॉलेज को बढ़ाया.

    हालांकि इंटेलेक्चुअल चैलेंज के लिए गरिमा की भूख अभी पूरी नहीं हुई थी, फिर भी उन्होंने भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पर अपना फोकस किया. पहली बार जब उन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा दी तो उनकी 240 रैंक आई थी. जिससे उन्हें आईपीएस का पद मिला, लेकिन गरिमा अपने फाइनल टारगेट: आईएएस पद की तैयारी में जुटी रहीं.

    गरिमा, जो अपनी इस सफलता से विचलित नहीं हुईं. उन्होंने खुद को एक कठोर तैयारी की प्रक्रिया में रखा. वह ज्यदा सफलता की अपनी महत्वाकांक्षाओं के साथ एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों को बैलेंस करने में कामयाब रहीं. वह एक व्यापक अप्रोच की वकालत करती हैं जिसमें मेंस एग्जाम, प्रारंभिक परीक्षा और इंटरव्यू की तैयारी शामिल हो. वह अपने पर्सनल एक्सपीरिएंस का हवाला देकर और उन फील्ड को पॉइंट आउट करके एग्जाम की जरूरी पर जोर देती है जहां यूपीएससी प्री और मेंस एग्जाम के सवाल ओवरलैप हो सकते हैं.

    दूसरे अटेंप्ट में आई 40 रैंक
    गरिमा अग्रवाल, जो वर्तमान में तेलंगाना की असिस्टेंट जिला मजिस्ट्रेट हैं, ने आईएएस बनने के लिए 2018 में दोबारा परीक्षा दी. इस बार उनकी रैंक AIR 40 है.गरिमा प्रक्टिस की वैल्यूज पर भी जोर देती है, यह सुझाव देती है कि नियमित आधार पर मॉक टेस्ट दिए जाने चाहिए और राइटिंग एबिलिटीज को डेवलप करने के लिए सवालों के जवाब देने और लिखने की प्रक्टिस की जानी चाहिए. गरिमा की राय में, सफलता का मतलब सिर्फ सीखना नहीं है. यह फोकस्ड स्टडी और प्लानिंग के बारे में भी है. एक ऐसी मानसिकता जिसने निश्चित रूप से उन्हें अपनी अद्भुत उपलब्धियां हासिल करने में मदद की है.

    कैंडिडेट्स के लिए मंत्र
    भारत में लाखों स्टूडेंट्स जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें गरिमा की सफलता की कहानी से मोटिवेशन मिलता है. गरिमा की उपलब्धियां एक रिमाइंडर के रूप में काम करती हैं कि यदि सही अप्रोच और स्ट्रेटजी हो तो कोई भी बाधाओं को पार कर सकता है और अपने सपनों को साकार कर सकता है.

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