अडानी मामले को लेकर वित्त मंत्री का बड़ा बयान, FPO को पहले भी वापस लिया गया है
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अमेरिकी फर्म की हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट को लेकर विपक्ष ने कल देश की संसद में हंगामा किया था। शेयरों में गिरावट की वजह से अडानी ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारी गिरावट देखने को मिली है। अडानी मामले को लेकर मचे बवाल पर अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा बयान दिया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में हमारा विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 80 लाख डॉलर हो गया है। एफआईआई का आना-जाना लगा रहता है। अडानी मामले ने भारत की छवि और स्थिति को प्रभावित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि नियामक अपना काम करेगा। रिजर्व बैंक ने अपना बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि पहले भी एफपीओ वापस लिए गए हैं।
शुक्रवार को संसद में विपक्षी सदस्य अडानी समूह के मुद्दे पर बहस और एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग कर रहे थे।
रिजर्व बैंक निगरानी कर रहा है
निवेशकों की चिंताओं को दूर करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि देश की बैंकिंग प्रणाली लचीली और स्थिर है। आरबीआई ने कहा कि यह सतर्क है और देश के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता की निगरानी करना जारी रखता है। आरबीआई की ओर से कहा गया है कि एक नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में आरबीआई वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र और व्यक्तिगत बैंकों पर लगातार नजर रखता है।
हिंडनबर्ग का आरोप
हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी। इसके बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हो गया। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी ग्रुप की सात लिस्टेड कंपनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है।
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