वास्तु शास्त्र जैसे उदात्त शास्त्र का मार्गदर्शन करने वाले सिदरामजी साठे की कहानी
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वास्तु शास्त्र, भारतीय पौराणिक समय में इस्तमाल किया जाने वाला एक उदात्त शास्त्र है। जिसका इस्तमाल समय के साथ कम होता चला गया। इस शास्त्र के अध्ययन और उपयोग करने से काफी समस्याओंका हल निकाला जा सकता है। श्री. सिदरामजी साठे, विविध ईमारत एवं दफ्तरों को वास्तु संबंधित मार्गदर्शन कर उन्हें संकटमुक्त करने का काम पूरी मेहनत और लगन से कर रहे है।
श्री. सिदरामजी साठे, सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद सिंटेल लिमिटेड जैसी बड़ी और प्रसिद्द कंपनी में उन्होंने काम किया। उनके उद्योगक्षेत्र में होने वाले प्रोजेक्ट्स के सफलता असफलता के संबंध में वह हमेशा रिसर्च में जुटे हुए होते थे, जिससे की वह उनके काम में और बेहतर हो सके। एक दिन चल रहे ऐसे ही रिसर्च से उन्हें यह पता चला की, पुरातन वास्तुशास्त्र के अनेको नियम जिन प्रोजेक्ट्स में नजरअंदाज किये गए हो ऐसे लगभग सभी प्रोजेक्ट्स असफल रहे है।
वास्तु शास्त्र के सन्दर्भ में उन्होंने दिन प्रति दिन अध्ययन शुरू किया। जो प्रोजेक्ट्स असफल रहे है ऐसे प्रोजेक्ट को वास्तु शास्त्र के नियमो में बांध कर मार्गदर्शन करना उन्होंने शुरू किया। उनके इस काम का परिणाम काफी सकारात्मक रहा। धीरे धीरे उनका यह काम और तेजी से बढ़ता चला गया। जिसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ वास्तुशास्त्र मार्गदर्शन का स्वतंत्र व्यवसाय स्थापन करने का निर्णय लिया।
साल २०१५ में शुरुवात हुई वास्तु समर्थ की, जो एक वास्तु शास्त्र संबंधित मार्गदर्शन करनेवाली एक पुणे शहर में स्थित एक भरोसेमंद फर्म है। सिदरामजी ने वास्तु शास्त्र संबंधित ज्ञान का उपयोग कर उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के उद्देश्य से उन्होंने इस फर्म स्थापना की।
‘वास्तु-समर्थ’ कंपनी की शुरुवात पुणे शहर से हुई, लेकिन आज भारत से लेकर दुबई और स्पेन तक विस्तार कर चूका है। इस भारतीय पौराणिक शास्त्र का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर सिदरामजी काफ़ी सारे नामांकित बिल्डर्स और कई सारे बड़े बड़े दफ्तरों को योग्य मार्गदर्शन कर उनके प्रोजेक्ट्स की सफलता के लिए काम कर रहे है।
वास्तु संबंधित शास्त्रीय ज्ञान हासिल कर सिदराम जी अपने ग्राहकों को उनकी वास्तु में विविध बदलाव करने के सन्दर्भ में योग्य मार्गदर्शन करते है। लगभग १० सालो से सिदराम जी और वास्तु समर्थ यह काम कर रहे है। उन्होंने गुम हो रहे इस पुरातन शास्त्र का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन कर उसका उपयोग कर के अपना स्वतंत्र और भरोसेमंद नाम बनाया है। हम रिसिल डॉट इन की ओर से उन्हें ढेर सारी शुभकानाए देते है।
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