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    April 23, 2025

    राम पाटीलजीने एक सफल उदयोजक बनने के लिए सत्यमेव जयते और आरोग्यम् धनसंपदा के मुलमंत्र का स्विकार कीया है

    1 min read
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    अपने पहले गुरू लेखक डाॅ.उमेश कणकवलीकर की किताब पढने के बाद और उनसे मिलने के बाद राम पाटील जी का पुरा जिवन बदल गया –

    राम मुद्रीका संदीपान गव्हाणे पाटील
    राम गव्हाणे पाटील जी का जनम 3 जुन 1984 में बीड जिले के केज तेहसील के छोटेसे गांव बोरगाव मे हुआ, वे जब 3 साल के थे तभीसे भिवंडी में आकर बस गए! उनके पीताजी छोटा मोटा व्यापार या छोटी मोटी नोकरी कीया करते थे, उस वक्त 10 बाय 10 के छोटेसे घर मे उनका पुरा परीवार रेहता था, पैसो की किल्लत के कारण जैसे तैसे गुजारा हो रहा था! जब राम 17 वर्ष के हुए तो उनके पीताजी हार्टअटॅक के कारण परलोक सिधारे उसवक्त वे अपने बडे भाई महादेव, छोटी बहन सुषमा और अपनी माॅ के साथ बोहत मुश्किल से जीवन जी रहे थे! उनके बडे भाई ने पढाई छोड पीताजी का किराणा दुकान संभाला, बाकी लोग उनदिनो ऍसिड की बोटल्स बेचने का काम करने लगे! बडे भाई ने राम और उनकी बेहन की पढाई में सहयोग दिया और बडेभाई होने का फर्ज निभाया! राम ने डिग्री हासील की लेकीन जिंदगी का सबक उन्हे उनकी माॅ ने सिखायाॅ, वे हमेशा कहा करती थी! यदी हम किसीका भला नही कर सकते तो किसी का बुरा भी नही करना चाहीए क्योकी हमने किए हुए अच्छे करम ही हमे जिवन में आगे बढने में सहयोग देते है! यही सिख ध्यान मे रखते हुए उन्होंने हर कदम सफलता हासील की! अपनी बहन की शादी मुंबई मे हुई अपने पती और दो बच्चो के साथ वो आज खुशी से जिवन बिता रही है! राम जी को मोहिनी के रूप मे एक अच्छी पत्नी मीली जो उनका हरपल साथ दे रही है! उन्हे स्वरीत और वेदांगी दो बच्चे है! वे आज अपने जिवन मे समाधान के साथ आगे बढ रहे है!
    उनके बडे भाई उनके लिए एक आदर्श है! उनकी सफलता में महादेव और उनकी पत्नी वैशाली जी का काफी योगदान है! उन्हे भी दो बेटीयाॅ और एक बेटा है! जिनसे पुरा परीवार प्यार करता है! महादेव जी की बदौलत घर मे पहलीबार बाईक और कार देखने का मौका मिला! अपनी मेहनत और लगन के साथ हर कदम प्रगती की दिशा मे बढायाॅ और आज वे टोयोटा फाॅरच्युनर अलिशान कार में बडी शान से घुमते है! बिझनेसमन बनने की प्रेरणा उन्हे उनके बडेभाई से ही मिली! उन्ही के मार्गदर्शन से 2016 मे उन्होने खुद का एक बिझनेस शुरू कीया! अलग अलग बिझनेस होकर भी वे एकही परिवार मे रहते है! दोनो एकदुसरे का सहारा बनकर ही उदयोग में खुद को आगे बढा सकते है ये उन दोनों को पुरा विश्वास है! कडी मेहनत और निरंतर प्रयासों के बाद आज उन्हे बडी खुशी है की गांव में एक अलिशान बंगला उन्होंने बनाया है! वे कईबार घुमने के लिए उनके गांव चले जाते है! हर हप्ते पुरे परीवार के साथ घुमने जाना, हाॅटेल जाना उन्हे अच्छा लगता है जिससे पुरे परीवार का रिश्ता मजबुत हो जाता है!
    जिवन में कब कौनसा मोड हमे कहाॅ ले जाए ये कोई नही जानता, 2009 मे रामजी ने डाॅ.उमेश कणकवलीकर जी का ‘मी विजेता होणारच’ ये प्रोग्राम कल्याण में अटेंड किया था! उन्हींसे प्रभावित होकर उन्होंने एक नही बल्की 25 कार्यक्रम अटेंड किए और खुद में परिवर्तन लाने की निरंतर कोशीष की! उन्होंने प्रोग्राम अटेंड करने वालोमें सिल्वरज्युबली सेलिब्रेट की! सामान्य से असामान्य कैसे बना जाता है ये सिख उन्होंने ध्यान मे रखी! और खुद अमिर बनने का ख्वाब देखने लगे! रामजी भी बडे सपने देखने लगे उन्हें पुरा करने के लिए निरंतर मेहनत और सही दिशा मे प्रयास करने लगे! प्रोग्राम के बाद उन्होंने आर्ट ऑफ़ लिविंग का प्रशिक्षण भी लिया! जिससे उन्हें बोहत ज्यादा उत्साह प्राप्त हुआ! और उनके अंदर छुपा एक उदयोजक बाहर आया!
    आज उन्होंने खुद के बलबुतेपर एक बडा उदयोग खडा कीया है! जिसमे 70 से अधिक लोग काम करते है! प्रतीवर्ष विकास की उचाईयाॅ वे हासील कर रहे हैॅ आज 40 करोड के आसपास उनका बिझनेस होता है! अगले साल 70 करोड का बिझनेस करने का लक्ष्य है! और आनेवाले समय मे 100 करोड से आगे बढने का मजबुत ईरादा और आत्मविश्वास है! और 5 से 6 वर्ष के बाद 200 करोडतक बिझनेस को आगे बढाने का लक्ष्य है! उनकी कंपनी क्वाॅलीटी प्लास्ट इंडस्ट्रीज के शेअर्स मुंबई शेअर मार्केट मे अपना मुकाम हासील करेंगे ये उन्हे पुरा विश्वास है!
    2009 में जब बिझनेस की शुरूआत की उस वक्त उन्हे काफी संघर्ष करना पडा! 3 साल निरंतर कठीनाईयोंका सामना करते हुए मेहनत करते रहे! उन्ही समस्याओंमेंसे सिख लेते हुए हर कदम आगे बढते रहे! ऍसिड के साथ अन्य इंडस्ट्रीयल ऑइल बेचने का काम शुरू कीया! और बाद में वेस्ट प्लास्टीकसे रिसायकलींगव्दारा प्लास्टीक मॅन्युफॅक्चरींग का काम शुरू कीया! उस समय उनके ग्राहक श्री.दयानंद पाटील ने बडा साथ दिया! एक अच्छे दोस्त की तरह दोनों आगे बढे और साथमें बिझनेस मे सांझेदारी कर अपने उदयोग को आगे बढाया! आज वाडा,पालघर मे 4 एकर जमीन मे कंपनी का विस्तार हो चुका है!
    पहले जहाॅ 30 से 40 टन बिझनेस होता था, आज एकसाथ मिलकर 250 टन से उपर का बिझनेस वे आसानीसे कर सकते है! दयानंद जी स्वभाव शांत और सरल है! आज उनके साथ 50 प्रतिशत प्राॅफिट की साझेदारी होती है! राम पाटीलजी सेलिंग और मार्केटींग की जिम्मेदारी संभालते है! दयानंदजी प्राॅडक्शन की जिम्मेदारी निभाते है! कामगारों के साथ घुलमीलकर काम करना उन्हे बखुबी आता है! उनकी पत्नी स्नेहलजी ने एम.बी.ए. की डिग्री हासील की है! जो उनके बिझनेस मे अकाउंटीग का काम संभालते है! बिझनेस के साथ साथ अपने घर एक बेटा बेटी दोनों की ज़िमेदारी भी वे बखुबी निभाती है! इमानदारी के साथ बिझनेस करना यही उनका मुलमंत्र है! सफलता पाने के सही प्रयास करना और निष्ठा के साथ अपने बिझनेस का आगे बढाने का काम उनके माध्यम से होता है! सफलता पाने के बाद भी अपने कदम जमीनपर होने चाहीए यही सोच लेकर वे आगे बढ रहे है!
    युवा अवस्थामेही रामजी को बिझनेस के प्रती लगाव था! ‘मी यशस्वी होणारच’ इस किताब को उन्होंने कई बार पढा है! जिसमे उन्होंने बिझनेस के तरीके, मार्केटींग के फंडे, लिडरशिप, टाईम मॅनेजमेंट, ग्राहकसेवा, मनी मॅनेजमेंट जैसे अन्य कई उपायोंको अच्छे तरीके से समझा है! भारतीय और अंतराष्ट्रीय उदयमीयों की जानकारी उन्हें इसी कीताब के माध्यम से मिली है! उस किताब पर लीखे उदयमीयों के मंत्र उन्हें बिझनेस को आगे बढाने की प्रेरणा देते है!
    उनका मानना है यह किताब बचपन से अध्ययन के लिए छात्रों को मिलनी चाहीए! जिसके पाठ स्कुलों में सिखाए जाने जाहीए ताकी भविष्य में सही उदयोजक निर्माण हो सके! वे अपने जैसे कई उदयोजक बनाना चाहते है! पढाई के बाद छोटा मोटा कोईभी बिझनेस शुरू करने की सलाह वे युवांओं के देते है! तकलिफ और परेशानी उठाने के बादही हमें सुख की अनुभूती मिलती है! जिसके लिए हमे तैयार होना चाहीए! सही दिशा में सही प्लॅनिंग के साथ आगे बढनेवाला इन्सान ही उदयोग में सफलता हासिल कर सकता है! जिसके लिए सही मार्गदर्शन लेना अतिआवश्यक होता है! हमें सामाजिक कार्योसे जुडा होना चाहीए! अपने उदयोग के साथ अपने परीवार को समय देना भी अपना कर्तव्य होता है! उदयमीयोंने अपनी हाॅबीज का पुरा खयाल रखना जरूरी है! अपनी हेल्थपर ध्यान देना भी अपना कर्तव्य है!
    अष्टविनायक रांजणगाव के पास शिरूर, पुणे में अपने शिष्यों के लिए बने संकुल में रामजी बार बार जाते है! सर से मिलने के बाद उन्हें और उर्जा का अनुभव मिला, उनसे मुलाकात और बात करने बाद उन्हें बोहतकुछ समझ आया! उनसे ज्ञान, जिद, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच जैसी कई जिचे उन्होंने सिखी! डाॅ.उमेश कणकवलीकर रामजी के गुरू है! जीनसे प्रभावित होकर वे आत्मविश्वास के साथ जिवन में विकास की राहपर चल पडे है! उन्हें खुशी है की उनके गुरू ने बताए हुए रास्तेपर उनके कई स्नेही आज चल रहे है और जिवन की कई समस्यांओसे छुुटकार पा रहे है!
    उन्हें समाधान है की उन्होंने गुरू व्दारा आयोजित आर्ट ऑफ़ लिविंग कार्यक्रम में हिस्सा लिया और आगे निशुल्क उन्हें लाभ मिलता रहा! साथही उनकी सभी किताबे जिवन को सही राह दिखाती है! उनकी लिखी किताबे पढने के बाद घरपरीवार में सभी को किताब पढने की आदत लगी है! और उनके घर में एक अच्छी लायब्ररी उन्होंने बनाई है! रामजी महाराष्ट्र उदयोजक विकास केंद्र का उदयोंजक मासिक नियमित रूपसे पढते है!
    उन्हें गर्व है जिस किताब में उनके गुरू के लिखे लेख वे पढते थे उसी किताब में उनकी खुदकी जानकारी और लिखे हुए लेख प्रसिध्द हुए है! उन्हें सामाजिक गतिवीधीयों में रूची थी तो उन्होंने रोटरी क्लब जाॅईन किया और रक्तदान शिबीर, वृध्दाश्रम में सेवा, अन्नदान, स्कुल मे सहयोग, आर्थिक सहयोग, गांवो के लिए जलयुक्त शिवार का कार्यक्रम जैसे अन्य कई सामाजिक गतिविधियोंमें  उन्होंने हिस्सा लिया और अपनी सामाजिक जिम्मेंदारी भी निभाई!
    उन्हे कोरोना के समय कई उतार चढाव देखना पडा, तेजी से आगे बढता हुआ बिझनेस अचानक रूक सा गया! कडी मेहनत से सबकुछ खडा किया था और मानो पल मे टुटकर बिखर गया हो! उन्हें उनके गुरू से अच्छी शिक्षा मिली थी तो उन्हेांने उसी विश्वास के साथ अन्य बिझनेस में कदम रखा, यह बिझनेस उनके लिए नए अवसर लेकर आया, उन्होने प्लास्टीक उदयोग के साथ साथ धातु का बिझनेस भी सफलतापुर्वक संभाला! रामजी का वनज उस दौरान 78 किलो हो चुका था लेकीन खान पान की शुध्दी के कारण उन्हेाने फिरसे 10 कीलो वनज घटाया! 23 वर्ष की आयु में उन्हें पिठदर्द हो रहा था तो उन्होंने योगा शुरू कीया! और अच्छी सेहत बनाई! उन्होंने जिवन का सही आनंद लेना शुरू कीया था! प्रतीदिन 1 से 1.50 घंटा चलना, योगा करना, कसरत करना, टेन्शन से दुर रहने के लिए संगीत सुनना, मनपसंच मुव्हीज देखना, उनके लिए सफल उदयोजक बनने का मुलमंत्र आरोग्यम धनसंपदा और सत्यमेव जयते है! जिसपर वे हर कदम चलते रहे और सफलता हासिल करते रहे!
    उन्होने ‘मी यशस्वी उदयोजक होणारचं’ इस किताब से काफी कुछ सिखा है! उसी मे लिखे हुए विचारों के अनुसार अंतिम क्षणोंतक लढते रेहना और जितना हो सके काम करते रेहना और अपने हिस्से का योगदान देते रेहना ताकी ये कारवा आगे बढता रहे! आनेवाले समय में विकास की अनगीनत राहे खुली हो सके! हम रामजी को रिसील की और से सलाम करते है और उनके सपनों के लिए उन्हें शुभकामनाए देते है!
                                                                                                                                                                             लेखक : सचिन आर जाधव

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