क्या आप जानते हैं ? शाकाहारी भी खा सकते हैं “प्लांट बेस्ड मीट” जानिए इसके बारे में विस्तार से |
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भले ये आहार हमारे लिए नया हो, लेकिन दुनियाभर में इसे काफ़ी लोगों ने अपनाया है। जानिए क्या है ये प्लांट बेस्ड मीट।
दुनिया में लोग धीरे-धीरे शाकाहार की तरफ़ बढ़ रहे हैं। पर वो लोग जो रोज़ मांसाहारी भोजन करते हैं | उनके लिए एकदम से इसे छोड़कर शाकाहार अपनाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे लोग पौधे आधारित मांसाहार का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे शाकाहार की तरफ़ बढ़ सकते हैं। वहीं जो सेहत के लिहाज़ से मांसाहार छोड़ना चाहते हैं उनके लिए भी यह अच्छा विकल्प है।
*क्या है पौधे आधारित मांस:-
रंग, स्वाद और बनावट में ये मीट जैसा होता है | लेकिन इसे पौधों और अनाजों की मदद से तैयार किया जाता है। इसे पौधे आधारित खाद्य जैसे फलियां, दालें, किनोवा, नारियल का तेल, गेहूं के ग्लूटन या सीतान, सोयाबीन, मटर, चुकंदर के रस का अर्क आदि से तैयार किया जाता है। पशुओं के दूध के बजाय दूध ओट्स और बादाम से बनता है।
*कितना फ़ायदेमंद है:-
प्लांट बेस्ड मीट में कैलोरी और सैचुरेटेड फैट असल मीट की तुलना में कम होता है। शून्य कोलेस्ट्रॉल होता है और यह फाइबरयुक्त होता है। ये पौधों और वनस्पतियों से तैयार होता है इसलिए इस तरह के मीट के प्रोटीन का सेवन करने से उच्च रक्तचाप, मोटापा, कैंसर और अन्य दीर्घकालीन (क्रॉनिक) बीमारियों के होने की संभावना कम हो सकती है। इतना ही नहीं पौधे आधारित प्रोटीन स्रोत जैसे कि दाल आदि होने से हृदय की बीमारी, मधुमेह आदि बीमारियों के होने के ख़तरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कैंसर का ख़तरा भी कम होता है। पाचन और आंत के माइक्रोबायोम को स्वस्थ रखता है, शौच की नियमितता को बेहतर बनाता है और वज़न भी नियंत्रित रखता है। पर्यावरण के लिहाज़ से भी ये फ़ायदेमंद है।
*लेकिन ध्यान रहे :-
ओमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन और अन्य तत्व जो जानवरों के मांस में प्रचुर मात्रा में होते हैं, वे पौधे आधारित आहार में नहीं मिलते। कई बार इस शाकाहारी मीट को असल मीट का रूप-रंग देने के लिए रासायनिक रंगों का भी इस्तेमाल हो सकता है। इसलिए ख़रीदने से पहले इसका ध्यान रखें। इसे अधिक खाने से बचें। दिन में 60 ग्राम से ज़्यादा सेवन बिल्कुल न करें।
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