ढ़ाई लाख करोड़ रुपये की लागत की बिछेंगी ट्रांसमिशन लाइनें, देश में रिनीवेबल ऊर्जा का रोडमैप तैयार
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वर्ष 2030 तक देश में सोलर, पवन, बायोगैस जैसे अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों (रिनीवेबल) से बिजली बनाने का रोडमैप तो पहले से तैयार है, अब इस बिजली को देश के हर हिस्से में भेजने का रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। रोडमैप को अमली जामा पहनाने में कुल 2.44 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके तहत 8120 किलोमीटर लंबी हाइ वोल्टाज ट्रांसमिशन कारीडोर के अलावा 42 हजार किलोमीटर लंबी कम क्षमता की ट्रांसमिशन लाइनें बिछाई जाने की योजना है।
विंड पावर प्रोजेक्ट
योजना के तहत पहली बार भारत में समुद्री तट से दूर बीच समुद्र में स्थित स्थापित होने वाले विंड पावर प्रोजेक्ट को भी देश के मुख्य ट्रांसमिशन लाइन से जोड़ने की तैयारी है। इस योजना के पूरा होने के बाद देश के अंतर-क्षेत्रीय ट्रांसमिशन लाइन की मौजूदा क्षमता 1.12 लाख मेगावाट से बढ़ कर 1.50 लाख मेगावाट हो जाएगी। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि देश के एक क्षेत्र में स्थापित होने वाले सौर या पवन ऊर्जा संयंत्रों से बिजली को राष्ट्रीय स्तर का बाजार उपलब्ध हो सकेगा।
बिजली मंत्रालय ने दी जानकारी
बिजली मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक रिनीवेबल सेक्टर से उत्पादित बिजली को देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाने के लिए तैयार इस रोडमैप की एक दूसरी खास बात यह होगी कि इसके तहत देश में बैट्री स्टोरेज क्षमता भी स्थापित किया जाएगा। चूंकि रिनीवेबल सेक्टर से जो बिजली बनती है उसका एक बड़ा हिस्सा दिन में बनाया जाता है इसलिए इनकी बिजली की चौबीसों घंटे स्टोरेज करने की जरूरत है।
सरकार की तैयारी
शुरुआत में सरकार की तैयारी है कि वर्ष 2030 तक 51,500 मेगावाट रिनीवेबल बिलजी को स्टोरेज करने की क्षमता स्थापित हो जाए। कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने देश में 50 हजार मेगावाट क्षमता की बैट्री स्टोरेज क्षमता स्थापित करने के लिए पीएलआइ स्कीम लागू की है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 17 हजार करोड़ रुपये की मदद दी जा रही है। बिजली मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के अध्यक्ष की अगुवाई में स्थापित उच्चस्तरीय समिति ने रिनीवेबल सेक्टर के लिए ट्रांसमिलन लाइन बिछाने की योजना पर काम कर रही है।
रोडमैप को तैयार करने में निजी सेक्टर के साथ ही राज्यों के साथ भी विमर्श किया गया है।इस रोडमैप से यह बात भी सामने आती है कि राजस्थान का फतेहगढ़, भादला, बीकानेर, गुजरात में खावड़ा, आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, कुरनूल जैसे क्षेत्र रिनीवेबल ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित हो रहे हैं। इन क्षेत्रों से बिजली को देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाने के लिए काम जल्द शुरू किये जाने की जरूरत बताई गई है।
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