Masik Shivratri 2023: भाद्रपद मासिक शिवरात्रि कब ? नोट करें डेट, शिव पूजा का मुहूर्त, महत्व।
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Masik Shivratri 2023 Date: मासिक शिवरात्रि व्रत करने से व्यक्ति का हर मुश्किल काम आसान हो जाता है , जानते हैं भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व।
Bhadrapad Masik Shivratri 2023 Kab Hai: हिंदू कैलेंडर के हर माह में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है , शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति का हर मुश्किल काम आसान हो जाता है , चतुर्दशी तिथि के दिन ही शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
इस दिन रात्रि में भोलेनाथ की आराधना करने से व्रती के विवाह और वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत होता है , मनोवांछित वर पाने के लिए मासिक शिवरात्रि व्रत का बहुत महत्व है , आइए जानते हैं भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व।
भाद्रपद मासिक शिवरात्रि 2023 डेट (Bhadrapad Masik Shivratri 2023 Date)
इस साल भाद्रपद माह की शिवरात्रि का व्रत 13 सितंबर 2023 को रखा जाएगा , ये व्रत शिव-पार्वती को समर्पित है , मासिक शिवरात्रि के दिन मध्यरात्रि में पूजा का विधान है , इसके साथ ही रात्रि के चार प्रहर में भी महादेव का जलाभिषेक किया जाता है।
भाद्रपद मासिक शिवरात्रि 2023 मुहूर्त (Bhadrapad Masik Shivratri 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह कृष्ण तिथि की शुरुआत 13 सितंबर 2023 को प्रात: 02 बजकर 21 मिनट पर होगी , 14 सितंबर 2023 को सुबह 04 बजकर 48 मिनट पर इसका समापन होगा।
पूजा मुहू्त – रात 11.54 – प्रात: 12.40, 14 सितंबर
पूजा अवधि – 46 मिनट
भाद्रपद शिवरात्रि महत्व (Masik Shivratri Vrat Importance)
सभी देवी-देवताओं में शिव को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है , हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है , इस दिन शिव जी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे जीवन में कभी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता , विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है , वैवाहिक जीवन में चल रहा तनाव खत्म होता है , संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है , खासबात ये है कि मासिक शिवरात्रि व्रत के प्रताप से ग्रहों की अशुभता दूर हो जाती है , शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri Vrat Vidhi)
मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें. व्रत का संकल्प लें
रात्रि में शिव जी का दूध, और गंगाजल आदि से अभिषेक करें।
शिव जी के समक्ष पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करें , बेलपत्र, धतूरा आदि अवश्य अर्पित करें।
शिव के पंचाक्षरी मंत्र का 108 बार जाप करें. भोग लगाने के बाद आरती करें ,
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